प्रगति बैठक में 62,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की समीक्षा की : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 29 मई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर बुधवार को हुई प्रगति बैठक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बैठक में 62,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की समीक्षा की गई थी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा, “कल प्रगति बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें 62,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जो सड़क, बिजली, जल संसाधन, सेमीकंडक्टर जैसे विविध क्षेत्रों से संबंधित हैं। सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया गया। रेरा से जुड़ी शिकायतों पर भी चर्चा हुई। घर खरीदने वालों के लिए न्याय सुनिश्चित करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रगति बैठक की अध्यक्षता की थी। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने 62,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाले तीन प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा की, जो सड़क परिवहन, बिजली और जल संसाधन क्षेत्रों से संबंधित हैं और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित हैं। इन परियोजनाओं के रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कार्यान्वयन की बाधाओं को दूर करने और समय पर पूरा करने के लिए ठोस प्रयासों का आह्वान किया। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने दोहराया कि ऐसी देरी न केवल लागत बढ़ाती है, बल्कि नागरिकों को आवश्यक सेवाओं और बुनियादी ढांचे से वंचित करती है। उन्होंने सभी हितधारकों से दक्षता और जवाबदेही को प्राथमिकता देने का आग्रह किया, यह जोर देते हुए कि समय पर डिलीवरी सामाजिक-आर्थिक परिणामों को अधिकतम करने के लिए महत्वपूर्ण है। रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) से जुड़ी जन शिकायतों की समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री ने घर खरीदारों के लिए न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य सरकारों से रेरा अधिनियम के तहत सभी पात्र रियल एस्टेट परियोजनाओं का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करने को कहा। प्रधानमंत्री ने रियल एस्टेट बाजार में विश्वास बहाल करने के लिए रेरा प्रावधानों का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

राष्ट्रपति से पद्मश्री पाकर भावुक हुईं ममता शंकर, बोलीं– यह ईश्वर का आशीर्वाद

-कार्तिक महाराज बोले -परोपकार में और ऊर्जा मिलेगी कोलकाता, 28 मई: मशहूर अभिनेत्री और नृत्यांगना ममता शंकर ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में ‘पद्मश्री’ सम्मान प्राप्त किया। सम्मान को हासिल करने के बाद वह भाव विभोर हैं। हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि यह ऐसा अहसास है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह ईश्वर का आशीर्वाद है। मैं बहुत खुश हूं, लेकिन मन में क्या चल रहा है, उसे व्यक्त नहीं कर सकती। भारत सरकार ने मुझे इस सम्मान के लिए चुना, यह मेरी कल्पना से भी परे था। मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं था, न कभी उम्मीद की थी। ममता शंकर ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई योजना नहीं बनाई और शायद इसी कारण उन्हें जब इतना बड़ा सम्मान मिला, तो वह अभिभूत हो गईं। ममता शंकर ने अपने करियर में 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। जिनमें ‘दूरत्व’ (1978), ‘एक दिन प्रतिदिन’ (1979), ‘खारिज’ (1982), ‘गृहयुद्ध’ (1982), ‘शाखा प्रशाखा’ (1991), ‘अगंतुक’ (1991) और हालिया फिल्म ‘प्रजापति’ (2023) शामिल हैं। उन्होंने इस सम्मान की घोषणा जनवरी में होने के तुरंत बाद कहा था कि मैं मृणाल दा (मृणाल सेन), माणिक दा (सत्यजीत रे) और बुद्धदेव दासगुप्ता को याद करती हूं, जिन्होंने करियर के शुरुआती दौर में मुझे मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर ममता शंकर के अलावा पश्चिम बंगाल के अन्य प्रतिष्ठित लोगों को भी पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। इनमें उद्योगपति सज्जन भजनका, शिक्षाविद नागेंद्र नाथ राय और संत स्वामी प्रदीप्तानंद (कार्तिक महाराज) शामिल हैं। इन लोगों को व्यापार, कला, साहित्य, शिक्षा और आध्यात्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्तिक महाराज ने कहा कि जो लोग भगवा वस्त्र पहनते हैं, वे पुरस्कारों या राज्य सम्मान की लालसा नहीं रखते। हालांकि, इस सम्मान से हमारी संस्था ‘भारत सेवाश्रम संघ’ को अपने परोपकारी कार्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। अन्य सम्मानित व्यक्तियों ने भी इस अवसर को गौरवपूर्ण बताया है और कहा कि यह सम्मान उन्हें विनम्र बना देता है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की घोषणा 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की थी।

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंत्रिमंडल की विशेष बैठक की

पहलगाम, 27 मई: जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले महीने भीषण आतंकी हमले से प्रभावित हुए पहलगाम में मंगलवार को इस संदेश के साथ मंत्रिमंडल की विशेष बैठक की कि सरकार ‘आतंकवाद की कायराना हरकतों से नहीं डरेगी।’ इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने पहलगाम क्लब में हुई बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर डालीं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आज (मुख्यमंत्री ने) पहलगाम में मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। यह केवल एक नियमित प्रशासनिक कवायद नहीं थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था – हम आतंकवादियों के कायराना कृत्यों से नहीं डरते हैं।’’ मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, ‘‘शांति के दुश्मन कभी भी हमारे संकल्प को प्रभावित नहीं करेंगे। जम्मू-कश्मीर दृढ़, सशक्त और निडर है।’’ इस सरकार के कार्यकाल में यह पहली बार है जब मंत्रिमंडल की बैठक सामान्य ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर या शीतकालीन राजधानी जम्मू के बाहर हुई। पहलगाम का चयन इस पर्यटन नगरी के निवासियों के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए किया गया है, जहां 22 अप्रैल को भीषण आतंकी हमले के बाद से पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। अधिकारियों ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक राष्ट्र विरोधी और असामाजिक तत्वों को यह सीधा संदेश देने की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है कि जम्मू और कश्मीर में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। अब्दुल्ला ने 2009-14 के दौरान पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान उत्तरी कश्मीर के गुरेज, माछिल, तंगधार क्षेत्रों और जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ क्षेत्रों जैसे दूरदराज के इलाकों में मंत्रिमंडल की बैठकें की थीं। मंत्रिमंडल की आज की इस विशेष बैठक से तीन पहले शनिवार को अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकवादी हमले से बुरी तरह प्रभावित जम्मू-कश्मीर पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए दोहरा दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने केंद्र से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कश्मीर में बैठकें आयोजित करने और संसदीय समितियों की बैठकें वहीं आयोजित करने का निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में यह अपील की थी। मुख्यमंत्री का मानना है कि सरकार के इन ठोस प्रयासों से लोगों का डर काफी हद तक कम होगा, सुरक्षा और विश्वास की नई भावना पैदा होगी और अंततः कश्मीर घाटी में पर्यटन का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे जरूरी आर्थिक राहत मिलेगी और सामान्य स्थिति वापस आएगी।

गांधीनगर में पीएम मोदी बोले, ‘कटनी चाहिए थी जंजीरें, लेकिन 1947 में काट दी गईं भुजाएं’

गांधीनगर, 27 मई : गुजरात दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर पहुंचे। यहां उन्होंने ‘गुजरात शहरी विकास योजना’ के 20वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया। प्रदेश को करोड़ों की सौगात दी और एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने के लिए सेना के शौर्य की प्रशंसा की। उन्होंने आजादी के समय हुई गल्तियों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज गांधीनगर में हूं। मैं जहां-जहां गया, वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है। ये दृश्य सिर्फ गुजरात में नहीं हैं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में हैं, हर हिंदुस्तानी के दिल में हैं।” पीएम मोदी ने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा, “जब भी पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, तीनों बार भारतीय सशस्त्र बलों ने उन्हें निर्णायक रूप से हराया। यह महसूस करते हुए कि वह प्रत्यक्ष युद्ध नहीं जीत सकता, पाकिस्तान ने छद्म युद्ध का सहारा लिया। उसने आतंकवादियों को प्रशिक्षित करना और उन्हें भारत में भेजना शुरू कर दिया। इन प्रशिक्षित आतंकवादियों ने निर्दोष, निहत्थे नागरिकों, यात्रा करने वाले लोगों, होटलों में बैठे लोगों या पर्यटकों के रूप में आने वाले लोगों को निशाना बनाया।” उन्होंने 1947 के दर्द को बयां किया। कहा, “1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थी जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ की। उन्होंने कहा, “यह वीरों की भूमि है। अब तक जिसे हम छद्म युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिले, उसके बाद हम अब इसे छद्म युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते। कारण स्पष्ट है: जब मात्र 22 मिनट के भीतर नौ आतंकवादी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तो यह एक निर्णायक कार्रवाई थी। और इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके।” उन्होंने कहा, “6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया। ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है, आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।” पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते। हम शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी करना चाहते हैं, ताकि हम विश्व के कल्याण में योगदान दे सकें। इसलिए हम समर्पण के साथ करोड़ों भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होकर काम कर रहे हैं। हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे थे। हम सभी का कल्याण चाहते थे और हमेशा जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे। लेकिन बदले में खून की नदियां बहा दी गईं। मैं नई पीढ़ी को बताना चाहता हूं कि इस देश को कैसे बर्बाद कर दिया गया। अगर आप 1960 की सिंधु जल संधि का विस्तार से अध्ययन करेंगे, तो आप चौंक जाएंगे। यह तय किया गया था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी। गाद निकालने का काम नहीं किया जाएगा। तलछट साफ करने के लिए बने निचले गेट बंद रहेंगे। दशकों तक, उन गेटों को कभी नहीं खोला गया। जिन जलाशयों को 100 प्रतिशत क्षमता तक भरना चाहिए था, वे अब केवल 2 प्रतिशत या 3 प्रतिशत तक ही सीमित रह गए हैं।”

सोनिया ने शांति वन जाकर नेहरु को पुष्पांजलि अर्पित की

नई दिल्ली, 27 मई: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने शांति वन पहुंचीं। उन्होंने इस मौके पर पंडित नेहरू को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि देश के भविष्य को आकार देने में पंडित नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस के एक्स अकाउंट में साझा की गई सूचना के अनुसार, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली में उनके स्मारक शांति वन में पुष्पांजलि अर्पित की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, ”भारत को शून्य से शिखर तक पहुंचाने वाले, आधुनिक भारत के निर्माता, लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, भारत को वैज्ञानिक, आर्थिक, औद्योगिक व विभिन्न क्षेत्रों में विकासशील बनाने वाले, देश को निरंतर विविधता में एकता का संदेश देने वाले, हमारे प्रेरणास्रोत, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।” उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान के बिना 21वीं सदी के भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पंडित नेहरू को याद किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ” भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। सशक्त और समावेशी भारत का सपना लिए, नेहरू जी ने अपने दूरदर्शी नेतृत्व से स्वतंत्र भारत की मजबूत नींव रखी। सामाजिक न्याय, आधुनिकता, शिक्षा, संविधान और लोकतंत्र की स्थापना में उनका योगदान अमूल्य है। हिंद के जवाहर की विरासत और उनके आदर्श सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।”

चुनौतियों से निपटने और विदेश नीति में पूरी तरह विफल है भाजपा सरकार : कांग्रेस

नई दिल्ली, 27 मई : कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ट्रोल करके सरकार चला रही है और दबाव में देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पहलगाम हमले के बाद जब पूरा देश एकजुट होकर खड़ा था और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा था तो भाजपा के लोग इस दौरान भी विभाजन की राजनीति कर रहे थे और नफरत फैलाने के काम में लगे थे। उम्मीद की जा रही थी कि भेदभाव भुलाकर देशहित में काम होगा लेकिन भाजपा सरकार इसके उलट वह काम किया जो पाकिस्तान चाहता है। प्रवक्ता ने कहा ‘संकट के समय कांग्रेस ने पूरी तरह से सरकार का साथ दिया। नेता विपक्ष राहुल गांधी अपना विदेशी दौरा छोड़कर स्वदेश लौट आये। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तत्काल पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई और बयान जारी कर कहा कि हम सरकार के हर कदम में साथ हैं। इसके बाद श्री गांधी पहले पहलगाम जाकर घायलों से और स्थानीय लोगों से मिले। हाल ही में पुंछ गये और पाकिस्तान की कायराना फायरिंग से प्रभावित लोगों से भी मिले।’ उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमले के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान को सबक सिखाने का सही मौका था लेकिन सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में अचानक सैनिक कार्रवाई रोकने की घोषणा कर सबको चौंका दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब भारत किसी स्थिति में विदेशी ताकत के सामने झुक कर निर्णय लेने को मजबूर हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार की विदेश नीति की भी आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के मंत्री सिर्फ डायलॉगबाजी कर रहे हैं। सरकार विदेश नीति के स्तर पर पूरी तरह विफल रही है। उंन्होंने कुवैत का उदाहरण दिया और कहा कि जिस कुवैत में भारत के 21 फ़ीसदी कामगार हैं वहां अब अमेरिका के सहयोग से पाकिस्तान के साथ श्रमिकों के लिए समझौता हो रहा है। यही नहीं पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान कोई देश हमारे पक्ष में नहीं बोला जबकि कई देश खुलकर के पाकिस्तान के साथ उसका पक्ष ले रहे थे। हमारी विदेश नीति की विफलता का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम विश्व स्तर पर अलग-अलग पड़ रहे हैं। पाकिस्तान को अलग अलग करने की बजाय भारत खुद अलग-अलग पड़ रहा है और यह चिंता का विषय है। मोदी सरकार इस मुद्दे को नहीं समझ रही है और ना ही इससे निपटने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। सरकार सिर्फ ट्रोल से चल रही है और चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय लेने के काम में लगी है। आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृष्टि को दुनिया के सामने रखने के लिए सरकार ने सांसदों के कई प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजे हैं। इस प्रतिनिधि मंडल में भाजपा और विपक्ष के नेता किस तरह पक्ष रख रहे हैं यह सबके सामने है। ज़रूरत है कि सरकार को बिना ट्रोल के और निष्पक्ष होकर देश की जनता के सवालों का जवाब देना चाहिए।

राष्ट्रहित को राजनीतिक हितों से ऊपर रखें: धनखड़

नई दिल्ली, 27 मई : उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि संस्थानों की तरह ही राजनीतिक दलों की भी राष्ट्रीय उद्देश्य के प्रति नैतिक जिम्मेदारी होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक प्रगति जैसे विषयों पर सभी दलों को राष्ट्रहित को अपने राजनीतिक हितों से ऊपर रखना चाहिए। श्री धनखड़ ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति निवास में ‘राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम – चरण सात’ के उद्घाटन सत्र में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे देश की सोच को पूरी तरह बदल दिया है। समाज पहले से कहीं अधिक राष्ट्रवादी हो गया है। सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर विदेशों में भारत का शांति और आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को एकजुट रहना और मजबूत बनना होगा। संस्थानों की तरह ही राजनीतिक दलों की भी राष्ट्रीय उद्देश्य के प्रति नैतिक जिम्मेदारी होती है, क्योंकि सभी संस्थाओं का केंद्र राष्ट्रीय विकास, राष्ट्रीय कल्याण, सार्वजनिक कल्याण, पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्ठा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक प्रगति जैसे विषयों पर सभी दलों को राष्ट्रहित को अपने राजनीतिक हितों से ऊपर रखना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं सभी राजनीतिक वर्गों से अपील करता हूँ कि वे गहन चिंतन करें और इस निष्कर्ष पर पहुँचें कि इन विषयों पर सहमति होनी चाहिए। कभी-कभी राजनीति राष्ट्रवाद और सुरक्षा जैसे विषयों पर बहुत तेज हो जाती है। इसे हमें पार करना होगा।” राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वदेशी शक्ति की आवश्यकता पर बल देेते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध से सबसे अच्छा बचाव तब होता है जब हम शक्ति की स्थिति में हों। उन्होंने कहा, “ शांति तब सुनिश्चित होती है जब आप युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहें। शक्ति केवल तकनीकी क्षमता या पारंपरिक हथियारों से नहीं आती, बल्कि यह जनता से भी आती है।” नागरिकों को उनके कर्तव्यों के पालन की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। केवल अपने मौलिक अधिकारों की बात की जाती है और मौलिक कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह उदासीन रहते हैं। मौलिक कर्तव्यों का सार राष्ट्रीय कल्याण को प्राथमिकता देना, लोक व्यवहार, अनुशासन, सार्वजनिक संवाद, पर्यावरण और जीवन में भलाई आदि में योगदान देना। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का विचार आर्थिक राष्ट्रवाद से जुड़ा हुआ है। आर्थिक राष्ट्रवाद का मतलब है कि हम स्वदेशी वस्तुओं का उपभोग करें। ‘वोकल फॉर लोकल’ को अपनाएं। यह कारीगरों को प्रेरित करेगा कि वे हमारी आवश्यकताओं को पूरा करें। श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीय संसद एक साधारण विधायी निकाय नहीं है। यह आज 140 करोड़ लोगों की इच्छा का प्रतिबिंब है। यह एकमात्र वैधानिक संवैधानिक मंच है जो जनता की वास्तविक इच्छा को प्रकट करता है। इसलिए संसद कानून बनाने की अंतिम संस्था है। यह कार्यपालिका को उत्तरदायी ठहराती है। संसद बहस, संवाद, चर्चा और विमर्श का सर्वोच्च मंच है। सहयोग और सहमति के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने ज्वलंत मुद्दों और अत्यंत संवेदनशील विषयों को सहयोग, समन्वय और सहमति के साथ सुलझाया।

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के स्वदेशी कार्यक्रम को मंजूरी

नई दिल्ली, 27 मई : अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही वायु सेना की मारक क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) को देश में ही बनाने के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को यहां बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा क्षेत्र के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है ‘देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और एक मजबूत घरेलू एयरोस्पेस औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) कार्यक्रम निष्पादन के मॉडल को मंजूरी दे दी है। वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) उद्योग साझेदारी के माध्यम से कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए तैयार है। इस मॉडल में प्रतिस्पर्धी आधार पर निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को समान अवसर प्रदान करेगा। वे स्वतंत्र रूप से या संयुक्त उद्यम के रूप में या संघ के रूप में बोली लगा सकते हैं। इकाई/बोलीदाता देश के कानूनों और नियमों का अनुपालन करने वाली एक भारतीय कंपनी होनी चाहिए। यह मॉडल पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए स्वदेशी विशेषज्ञता, क्षमता और क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर होगा। वैमानिकी विकास एजेंसी जल्द ही विमान के विकास चरण के लिए रुचि की अभिव्यक्ति जारी करेगी।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने कुवैती नेताओं से की मुलाकात, भारत के आतंकवाद विरोधी रुख पर डाला प्रकाश

कुवैत सिटी/नई दिल्ली, 27 मई: भाजपा सांसद बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने कुवैती सिविल सोसाइटी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद से लड़ने और भारत-कुवैत के साझा संकल्प पर प्रकाश डाला। भारतीय दूतावास और थिंक टैंक रिकोनिसेंस रिसर्च ऑफ कुवैत द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में कुवैती सिविल सोसाइटी के प्रमुख लोग शामिल हुए। इनमें शाही परिवार के सदस्य, पूर्व मंत्री, वरिष्ठ संपादक, थिंक टैंक विशेषज्ञ, विचारक और प्रभावशाली व्यक्ति शामिल थे। कुवैत में भारतीय दूतावास ने कहा, “भारत-कुवैत की मजबूत रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप की हालिया स्थिति और सीमा पार आतंकवाद की ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए भारत के ‘नए सामान्य’ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रतिभागियों ने इस बात पर एकमत थे कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ है और इसका हर संभव तरीके से मुकाबला किया जाना चाहिए।” पांडा ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट किया, “आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख स्पष्ट और अटल है, हम इसका सामना करेंगे, चाहे वह कहीं भी हो। कुवैत में भारतीय दूतावास और रिकोनिसेंस रिसर्च द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कुवैती सिविल सोसाइटी संग एक ‘जीवंत दिवानिया शैली’ चर्चा में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ, जिसमें आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत-कुवैत की साझा प्रतिबद्धता पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।” इससे पहले सोमवार को प्रतिनिधिमंडल ने कुवैत में भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत की। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘न्यू नॉर्मल’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता, आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय सहमति और राष्ट्रीय हित के मामलों में भारतीय प्रवासियों के समर्थन पर जोर दिया। भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट किया, “प्रतिनिधियों ने कुवैत की सबसे बड़ी मस्जिद, ग्रैंड मस्जिद का भी दौरा किया, जिसका निर्माण 4 दशक पहले हुआ था। ग्रैंड मस्जिद के सागौन की लकड़ी के दरवाजे भारत के साथ इसके संबंध की बात करते हैं।”

देश के कई राज्यों में भारी बारिश का कहर, आम जनजीवन प्रभावित

नई दिल्ली/मुंबई/कोयंबटूर, 26 मई: देश के कई हिस्सों में प्री-मॉनसून और मॉनसून की बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान समेत कई राज्यों में भारी बारिश और तूफान ने तबाही मचाई। बिजली आपूर्ति और दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित किया। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कई राज्यों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने जलभराव की स्थिति पैदा कर दी। इस बीच मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि 30 लाख मेट्रिक टन कचरे की सफाई के कारण नालों से पानी तेजी से निकाला गया। नोडल अधिकारियों को जलभराव बिंदुओं की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। आईएमडी ने दिल्ली में रेड अलर्ट और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। दिल्ली में आज हल्की बारिश और गरज के साथ बौछार पड़ने की आशंका है। अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। सप्ताह के दौरान तापमान 43-46 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है। मुंबई में 26 मई को प्री-मॉनसून बारिश ने 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। सुबह 9 से 10 बजे के बीच दक्षिण मुंबई में एक घंटे में 104 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि 12 घंटों में 254 मिमी बारिश हुई। कोलाबा में 295 मिमी बारिश के साथ मई का सर्वाधिक रिकॉर्ड बना। भारी बारिश से लालबाग, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और अन्य निचले इलाकों में जलभराव हुआ, जिससे यातायात और लोकल ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं। बीएमसी और एनडीआरएफ की टीमें जल निकासी और राहत कार्य में जुटी हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने नागरिकों से अपील की कि आवश्यक कार्य के बिना घर से न निकलें, खासकर दोपहर 2 से 4 बजे तक, क्योंकि तेज हवाओं (60-70 किमी/घंटा) के साथ और बारिश की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग ने मुंबई, ठाणे और रायगढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। रायगढ़ में मूसलाधार बारिश के कारण यातायात व्यवस्था ठप हो गई है। नेरल-कलंब मार्ग पर पुल के ऊपर पानी भरने से यातायात बंद कर दिया गया। म्हसाला-श्रीवर्धन मार्ग जलमग्न होने और सपोली-हेतावने-गोंडव फाटा मार्ग पर तटबंध टूटने से सड़कें बंद हैं। वहीं, तमिलनाडु के कोयंबटूर में लगातार दूसरे दिन बारिश ने कहर बरपाया। उप्पिली पलायम रोड पर एक तेज रफ्तार कार ने एक ऑटो को टक्कर मार दी और खाई में पलट गई। स्थानीय लोगों और पीलामेडु अग्निशमन दल ने मणिकंदन को सुरक्षित निकाला और अस्पताल पहुंचाया। सिंगनल्लूर पुलिस ने क्रेन की मदद से कार को निकाला और दुर्घटना की जांच शुरू की। जिले में बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव और यातायात बाधित हुआ। तमिलनाडु में भारतीय मौसम विभाग ने कोयंबटूर, नीलगिरी जैसे जिलों के लिए रेड अलर्ट और चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम जैसे क्षेत्रों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। भारी बारिश और तूफान के कारण जलभराव, यातायात बाधित, और स्कूल-कॉलेज बंद हैं। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। गुजरात के अरवल्ली जिले स्थित मोडासा में भी भीषण तूफान ने तबाही मचाई। पड़ोसी राज्य राजस्थान के साकरिया गांव में 8-10 मिनट तक चली आंधी में पेड़ गिर गए, बिजली के खंभे उखड़ गए और घरों को भी खासा नुकसान हुआ। साकरिया स्टेशन पर वर्षों पुराना पीपल का पेड़ गिर गया, जिससे बिजली आपूर्ति ठप हो गई।