संसद मार्ग मस्जिद विवाद: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने खोला मोर्चा, मोहिबुल्लाह नदवी को हटाने मांग

नई दिल्ली, 25 जुलाई : संसद मार्ग स्थित मस्जिद में पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के सांसदों की मीटिंग के विरोध में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोर्चा खोल दिया है। मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी पर धार्मिक स्थल के राजनीतिक इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें इमामत से हटाने की मांग की गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भेजते हुए आरोप लगाया कि मौलाना नदवी की मौन स्वीकृति से संसद मार्ग मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, जियाउर्रहमान बर्क सहित अन्य नेता शामिल हुए। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आरोप लगाया कि मस्जिद जैसे पवित्र स्थल का इस तरह राजनीतिक इस्तेमाल न सिर्फ शरीयत के खिलाफ है, बल्कि यह करोड़ों मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाता है। रजवी ने पत्र में लिखा, “मस्जिद में महिलाओं का प्रवेश और ‘नापाक लोगों’ की मौजूदगी शरीयत की स्पष्ट अवहेलना है। मस्जिद इबादतगाह है, न कि कोई राजनीतिक मंच।” संसद मार्ग मस्जिद लोकसभा सचिवालय के अधिकार क्षेत्र में आती है और मौलाना नदवी वर्तमान में एक सांसद भी हैं, ऐसे में रजवी ने मांग की है कि उन्हें तत्काल मस्जिद की इमामत से हटाया जाए और किसी सूफी, धार्मिक तथा गैर-राजनीतिक व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के पत्र के बाद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने अब तक इस पूरे विवाद पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही समाजवादी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है। फिलहाल, मस्जिद के राजनीतिक उपयोग को लेकर यह मामला अब धार्मिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर चर्चा का विषय बन गया है। ज्ञात हो कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में दिल्ली के संसद मार्ग में स्थित जामा मस्जिद में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। इसकी तस्वीर खूब वायरल हुई। तस्वीर सामने आने के बाद भाजपा ने उन पर हमला बोला था। इस मामले में एक बड़ी बात यह है कि इस मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी हैं, जो उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद भी हैं।

बिहार के बाद अब देशभर में होगा वोटर वेरिफिकेशन : चुनाव आयोग

नई दिल्ली, 25 जुलाई : बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने वोटर वेरिफिकेशन को लेकर आदेश जारी किया है। ईसीआई के मुताबिक, देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू किया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर 24 जून का आदेश जारी किया है, जिसके बारे में जानकारी शुक्रवार को दी गई है। ईसीआई ने 24 जून के आदेश में कहा, “चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने का फैसला लिया है। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (आरपीए 1950) के तहत लिया गया है, जिसमें संसद और राज्यये विधानसभाओं के चुनावों और मतदाता सूची की तैयारी की देखरेख की जिम्मेदारी आयोग को दी गई है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची की सटीकता जरूरी है। जन प्रतिनिधि अधिनियम 1950 और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों (आरईआर, 1960) के तहत मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया और योग्यता तय की जाती है।” इसमें आगे बताया गया, “आयोग ने पहले भी 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004 में देश के कुछ हिस्सों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया था। बिहार में आखिरी बड़ा पुनरीक्षण 2003 में 1 जनवरी 2003 को आधार तारीख के साथ हुआ था। इस पुनरीक्षण का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और किसी को बाहर न रखा जाए। संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के भारतीय नागरिक, जो किसी कानून से अयोग्य न हों, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के हकदार हैं। आयोग ने पिछले 20 सालों में मतदाता सूची में बड़े बदलाव, शहरीकरण, और लोगों के एक जगह से दूसरी जगह पलायन को देखते हुए इस कदम को जरूरी माना है।” आयोग ने कहा कि लोग शिक्षा, रोजगार और अन्य कारणों से एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं और नई जगह पर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराते हैं, लेकिन पुरानी जगह से नाम नहीं हटाते। इससे मतदाता सूची में दोहरे नाम की समस्या बढ़ रही है। इसलिए, मतदाता सूची की शुद्धता के लिए गहन सत्यापन अभियान की जरूरत है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना है कि केवल भारतीय नागरिक ही सूची में शामिल हों। ईसीआई ने कहा, “चुनाव आयोग ने पूरे देश में विशेष गहन संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू करने का फैसला किया है, लेकिन बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए बिहार में यह अभियान पहले शुरू होगा। बाकी देश के लिए समय-कार्यक्रम बाद में जारी होगा।” चुनाव आयोग ने यह भी कहा, “बिहार में आखिरी गहन संशोधन 2003 में हुआ था, इसलिए 1, जनवरी 2003 की मतदाता सूची को पात्रता और नागरिकता का आधार माना जाएगा, जब तक कि कोई नई जानकारी न मिले, जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं है, उन्हें मतदाता सूची में शामिल होने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दस्तावेज जमा करने होंगे। मौजूदा मतदाता सूची 6, जनवरी 2025 को प्रकाशित हुई थी और तब से लगातार अपडेट हो रही है। आयोग ने निर्देश दिया है कि 25 जुलाई 2025 तक सभी मौजूदा मतदाताओं को पहले से भरा हुआ गणना फॉर्म (एन्यूमरेशन फॉर्म) उपलब्ध कराया जाए। ड्राफ्ट मतदाता सूची में केवल उन मतदाताओं के नाम शामिल होंगे, जिन्होंने यह फॉर्म भरा होगा। यह एक गहन संशोधन है, इसलिए फॉर्म न जमा करने वाले मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं और 25 जुलाई 2025 से पहले किसी भी मतदाता का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।” निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। ईसीआई ने आदेश में कहा, “मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ), और बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) को यह सुनिश्चित करना होगा कि वास्तविक मतदाताओं, खासकर बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांग, गरीब, और अन्य कमजोर वर्गों को परेशान न किया जाए। इनके लिए यथासंभव सहायता दी जाए, जिसमें स्वयंसेवकों की मदद भी शामिल हो। ईआरओ/एईआरओ बिना जांच और संबंधित व्यक्ति को उचित अवसर दिए बिना ड्राफ्ट सूची से किसी का नाम नहीं हटाएंगे। अगर कोई व्यक्ति ईआरओ के फैसले से असंतुष्ट है, तो वह आरपी एक्ट, 1950 की धारा 24(ए) और आरईआर, 1960 के नियम 27 के तहत जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास अपील कर सकता है। अगर डीएम के आदेश से भी संतुष्टि न मिले, तो व्यक्ति 30 दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पास दूसरी अपील दायर कर सकता है, जैसा कि आरपी एक्ट, 1950 की धारा 24(बी) और आरईआर, 1960 के नियम 27 में उल्लेखित है। इसके अलावा, नए मतदाता के रूप में पंजीकरण या बिहार के बाहर से स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वालों को अब फॉर्म 6/फॉर्म 8 के साथ एक अतिरिक्त घोषणा पत्र भी भरना होगा।”

उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरु, राज्यसभा महासचिव बनाए गए निर्वाचन अधिकारी

नई दिल्ली, 25 जुलाई: चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राज्यसभा के महासचिव प्रमोद चंद्र मोदी को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है और उनकी सहायता के लिए राज्यसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव गरिमा जैन को निर्वाचन अधिकारी, और निदेशक विजय कुमार को सहायक निर्वाचन अधिकारी बनाया है। आयोग ने इस संबंध में गजट अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी। आयोग ने कहा कि उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत विधि एवं न्याय मंत्रालय के साथ परामर्श करके उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के संबंध में निर्वाचन अधिकारी और सहायक अधिकारियों की नियुक्ति की गयी है। गौरतलब है कि श्री जगदीप धनखड़ के इस सप्ताह त्यागपत्र देने के कारण उपराष्ट्रपति पद के लिए नए चुनाव कराए जा रहे हैं। इस चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को मताधिकार होता है। परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा या राज्यसभा के महासचिव को निर्वाचन अधिकारी बनाया जाता है। उपराष्ट्रपति पद के पिछले चुनाव में लोकसभा के महासचिव को निर्वाचन अधिकारी बनाया गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मालदीव पहुँचे

माले/नई दिल्ली, 25 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को मालदीव पहुँचे जहाँ माले हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू और अन्य मंत्रियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री अपनी ब्रिटेन यात्रा के समापन के बाद मालदीव पहुंचे हैं। वह मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे, जो दोनों देशों के बीच छह दशकों के राजनयिक संबंधों का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा को भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह यात्रा विशेष प्रतीकात्मक महत्व भी रखती है, क्योंकि प्रधानमंत्री 26 जुलाई को राजधानी माले में मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। श्री मुइज़्ज़ू के चुनाव के बाद यह किसी भारतीय नेता की पहली उच्च-स्तरीय यात्रा है और मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित पहली राजकीय यात्रा भी है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “मालदीव भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और महासागर विजन – सभी क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति – के तहत एक घनिष्ठ और महत्वपूर्ण साझेदार है।”इस यात्रा के दौरान, श्री मोदी राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें रणनीतिक और आर्थिक सहयोग तथा समुद्री सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों पक्ष व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिए भारत-मालदीव संयुक्त दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की भी समीक्षा करेंगे, जिसे पिछले साल अंतिम रूप दिया गया था। यह अब दोनों देशों की द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है। मालदीव में भारत के उच्चायुक्त जी. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि इस यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएँगे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय बैठकें होंगी, जिसके बाद विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाएँगे और भारत समर्थित विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा।

दिल्ली-नोएडा से आतंकी गिरफ्तार, पुलिस अफसरों को नहीं लगी भनक

नई दिल्ली, 23 जुलाई : गुजरात एटीएस को आज (बुधवार) को एक बड़ी सफलता मिली है। गुजरात एटीएस ने दिल्ली-नोएडा समेत कई शहरों से अल कायदा से जुड़े चार आतंकियों को गिरफ्तार किया है। टीम ने चारों की फोटो भी जारी कर दी है। बताया गया कि चारों आतंकी 20 से 25 साल के है। इन्हें भारत में हमले करने के लिए बड़े टारगेट और बड़ी लोकेशन मिलने वाली थी। पुलिस के अनुसार, ये चारों सोशल मीडिया एप के जरिए एक-दूसरे से कनेक्ट थे। चारों के सीमा पार लिंक भी सामने आए हैं। गुजरात एटीएस ने नोएडा से एक आतंकी को गिरफ्तार किया है। गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट के अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं है। गुजरात एटीएस से सूचना फ्लैश होने के बाद अधिकारी अलर्ट हुए हैं।

राज्यसभा में एसआईआर पर बढी रार, कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित

नई दिल्ली, 23 जुलाई : बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) के विरोध में लामबंद विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया जिसके कारण दो बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है और बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के हंगामे के कारण राज्यसभा में पिछले दो दिन से कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका है। पीठासीन उप सभापति भुवनेश्वर कलिता ने दूसरे स्थगन के बाद दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ‘समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक 2025’ चर्चा और पारित करने के लिए सदन में पेश करने को कहा। इस बीच विपक्षी दलों के सदस्य अपनी जगह से उठकर आसन के निकट आकर खड़े हो गये। वे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए ‘एसआईआर वापस लो’ के नारे लगाने लगे। हंगामे के बीच ही श्री सोनोवाल ने विधेयक पेश कर दिया। पीठासीन उप सभापति ने अन्नाद्रमुक के एम तंबी दुरै को विधेयक पर चर्चा शुरू करने को कहा। श्री दुरै के बोलने के लिए खड़े होते ही विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी तेज कर दी। उप सभापति ने सदस्यों से शांत होने तथा अपनी जगहोंं पर लाैटने की अपील की लेकिन इसका असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले भी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही पहले बारह बजे और फिर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी। इस तरह उच्च सदन में दूसरे दिन भी कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका। राज्यसभा में आज 25 सदस्यों ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव के दिये थे। सर्वश्री अखिलेश प्रसाद सिंह, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, नीरज डांगी , साकेत गोखले, अशोक सिंह, नासिर हुसैन, जॉन ब्रिटास, मोहम्मद नदीमुल हक, टी सी चन्द्रशेखर, महुआ माझी, तिरूचि शिवा, सुष्मिता देव , अब्दुल वहाब और रेणुका चौधरी ने अपने नाेटिसों में सभी विधायी कामकाज रोककर चुनाव आयोग के बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी जबकि आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक और संजय सिंह ने दिल्ली में झुग्गी बस्तियों को तोड़े जाने तथा तृणमूल कांग्रेस के रीताब्रत बनर्जी ने बंगाली आव्रजक श्रमिकों के साथ अन्य राज्यों में भेदभाव के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की । इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवदासन ने देश में बढ़ती हवाई दुर्घटनाओं के मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया था। उप सभापति ने कहा कि ये सभी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं हैं और इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया गया है। उनके इतना कहते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपनी सीट से उठकर आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। श्री हरिवंश ने कहा कि यह शून्यकाल है और यह सदन में सदस्यों का समय होता है। इसलिए सदस्य अपनी जगह पर लौट जाएं और सदन की कार्यवाही चलने दें। उप सभापति ने सदस्यों से बार बार शांत होने तथा अपनी जगहोंं पर लाैटने की अपील की लेकिन इसका असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। इसके बाद बारह बजे भी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में मंगलवार को भी विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामा किया था जिसके कारण सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका था।

मोदी ब्रिटेन, मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना

नई दिल्ली, 23 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा के लिए बुधवार को राजधानी से लंदन के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान वह दोनों देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों चर्चा करेंगे। श्री मोदी ने रवाना होने से पहले जारी बयान में कहा, “भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी है और जिसमें हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हम व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, नवाचार, रक्षा, शिक्षा, अनुसंधान, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य जैसे व्यापक क्षेत्रों में एक दूसरे के साथ सहयोग करते हैं इसमें दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क का विस्तार भी शामिल है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ब्रिटेन की यात्रा में प्रधानमंत्री केर स्टार्मर के साथ बैठक करेंगे और जिससे हमारी द्विपक्षीय आर्थिक भागीदारी को और विस्तार देने का मौका मिलेगा तथा दोनों देशों में समृद्धि और आर्थिक वृद्धि के अवसर बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रवास में महामहिम सम्राट चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात की भी प्रतिक्षा है। प्रधानमंत्री शुक्रवार को मालदीव पहुंचेगे। उनकी माले यात्रा राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर हो रही है। श्री मोदी यात्रा के दौरान मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस में भाग लेंगे। यह वर्ष भारत और मालदीव के बीच राजनैतिक संबंधों के 60 साल पूरे होने का भी अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे राष्ट्रपति मुइज्जू और मालदीव के अन्य नेताओं के साथ मुलाकात की प्रतिक्षा है ताकि हम अपनी व्यापक आर्थिक और सामुद्रिक सुरक्षा भागीदारी को आगे बढ़ा सकें और भारतीय हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति समृद्धि और स्थिरता के लिए आपसी सहयोग बढ़ा सकें। श्री मोदी ने विश्वास जताया कि उनकी मालदीव यात्रा दोनों देशों के लोगों के हितों का संवर्द्धन होगा और ‘पड़ोसी पहले’ की भारत की नीति को बल मिलेगा।

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान को तत्काल रोका जाएः प्रियंका गांधी

नई दिल्ली, 22 जुलाई :कांग्रेस महासचिव एवं लोकसभा की सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इसको तत्काल रोके जाने की मांग की है। प्रियंका गांधी ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह से गलत है और इससे मतदाताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। इस दौरान मौजूद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने भी एसआईआर को लेकर गंभीर आपत्ति जतायी और कहा कि यह देशभर के मतदाताओं का वोट लूटने की साजिश है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाएगी और यह सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक ढांचे से जुड़ा सवाल है। इससे पहले, आज एसआईआर के मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई प्रमुख विपक्षी नेता उपस्थित थे। सभी नेता अपने हाथों में एसआईआर के विरोध के पोस्टर लिये हुए थे, जिन पर एसआईआर विरोधी नारे लिखे हुए थे। चुनाव आयोग बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए एसआईआर करा रहा है। इस प्रक्रिया में अब तक 90.67 प्रतिशत मतदाताओं ने फॉर्म भर दिए हैं। इसके बाद ड्राफ्ट सूची जारी होगी और 30 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति ने किया स्वीकार, अब चुनाव के लिए होगी तैयारी

नई दिल्ली, 22 जुलाई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। धनखड़ ने एक दिन पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसे राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इस इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी हो रही है। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा और उसके बाद चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन का शेड्यूल जारी होगा। इस बीच धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी मंगलवार को राज्यसभा को दी गई। गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी कि उपराष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा की बैठक जैसे ही मंगलवार दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल के लिए शुरू हुई, सभापति की कुर्सी पर बैठे घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को सूचित किया कि “गृह मंत्रालय, दिनांक 22 जुलाई 2025 की अधिसूचना के माध्यम से, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया गया है।” राज्यसभा की सुबह की बैठक के दौरान उपसभापति हरिवंश ने कहा, “भारत के उपराष्ट्रपति के पद में उत्पन्न हुई रिक्ति के संबंध में आगे की संवैधानिक प्रक्रिया की जानकारी यथासमय दी जाएगी।” इस्तीफे में क्या बोले धनखड़? जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 2027 तक था। राजनीतिक गलियारों में हलचल धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन उनके इस अचानक फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं। खासतौर पर, विपक्ष ने उनके इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “यह इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी। मैं आज शाम तक उनके साथ था और सब कुछ सामान्य लग रहा था।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर गुप्त मतदान होता है। जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके पास दोनों सदनों में बहुमत है, जल्द ही नए उम्मीदवार के नाम पर विचार-विमर्श शुरू कर सकता है। विवादों में रहा कार्यकाल धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा। विपक्ष ने उन पर राज्यसभा के संचालन में पक्षपात का आरोप लगाया था और दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, उनकी हालिया एंजियोप्लास्टी और स्वास्थ्य समस्याओं ने भी उनके इस फैसले को प्रभावित किया। धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है, और सभी की नजर अब इस बात पर टिकी है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह चुनाव कब तक पूरा होगा। संसद में आखिरी दिन धनखड़ का आखिरी दिन राज्यसभा में काफी व्यस्त रहा। उन्होंने मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर भी चर्चा कराई, जो विपक्ष द्वारा समर्थित था। धनखड़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि यह 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित है और संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। हालांकि, कुछ बीजेपी नेताओं के अनुसार, इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले धनखड़ द्वारा सरकार के साथ परामर्श न करने से असहज स्थिति पैदा हुई थी, जिसे उनके इस्तीफे से जोड़ा जा रहा है।

जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया

नई दिल्ली, 22 जुलाई : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। श्री धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखे पत्र में कहा है कि वह चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहे हैं। श्री धनखड़ ने पत्र में लिखा है, ‘‘स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।” उप राष्ट्रपति के कार्यालय ने श्री धनखड़ द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है। उल्लेखनीय है कि श्री धनखड़ ने आज यानी सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया था। उनका बुधवार को एक दिन के दौरे पर राजस्थान में जयपुर जाने के कार्यक्रम की भी आज ही घोषणा की गयी थी। श्री धनखड़ ने पत्र में उप राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति के साथ सुखद कार्य अनुभव के लिए श्रीमती मुर्मु के प्रति आभार भी प्रकट किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट सहयोग और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच सुखद और अद्भुत कार्य संबंधों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।” उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा। श्री धनखड़ ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान वह भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास के साक्षी बने । उन्होंंने कहा, ‘‘राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है। इस प्रतिष्ठित पद से विदा लेते हुए, मुझे भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व है और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास है।” उल्लेखनीय है कि श्री धनखड़ को इसी वर्ष मार्च में हृदय संबंधी समस्या के चलते एम्स में भर्ती कराया गया था जहां उपचार के दौरान उन्हें स्टेन्ट डाला गया था। स्वस्थ होने के बाद से वह निरंतर राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे।