नई दिल्ली, 12 अगस्त : संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को जमकर नारेबाजी हुई। दरअसल दोनों सदनों यानी राज्यसभा व लोकसभा में विपक्ष के सांसद बिहार में चुनाव आयोग द्वारा करवाए जा रहे गहन मतदाता सूची रिव्यू (एसआईआर) को लेकर चर्चा की मांग कर रहे थे। विपक्षी सांसदों ने अपनी इस मांग को लेकर दोनों सदनों में नारेबाजी की, जिसके बाद राज्यसभा व लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद विपक्ष द्वारा चर्चा की मांग उठाई गई। दरअसल सदन को जानकारी देते हुए उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि उन्हें 12 अगस्त को चर्चा के लिए 21 नोटिस प्राप्त हुए हैं। विपक्षी सांसदों द्वारा ये नोटिस नियम 267 के अंतर्गत दिए गए थे। नियम 267 के अंतर्गत सदन की पहले से तय अन्य सभी चर्चा व कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता और नियम 267 के अंतर्गत दिए गए नोटिस पर चर्चा कराई जाती है। इस चर्चा के अंत में मतविभाजन भी होता है। उप सभापति ने राज्यसभा को जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें चार अलग-अलग विषयों पर चर्चा के कुल 21 नोटिस प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही, उपसभापति ने कहा कि अधिकांश विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए नोटिसों में नोटिस देने संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किया गया है। उपसभापति ने कहा कि सांसदों ने कई ऐसे विषयों पर भी चर्चा के लिए नोटिस दिया है जिनकी सुनवाई अदालत में चल रही है। उपसभापति ने कहा कि अदालत में लंबित मामलों पर सदन में चर्चा नहीं कराई जाती है। नियमों का हवाला देते हुए, उपसभापति ने सभी नोटिसों को अमान्य घोषित कर दिया। इसके बाद राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा व नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी सांसदों ने सदन में चर्चा कराए जाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। उपसभापति ने सभी सांसदों से सदन की कार्यवाही चलाने के लिए अनुरोध किया, लेकिन विपक्षी सांसदों का विरोध जारी रहा। सदन में लगातार नारेबाजी और हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं लोकसभा में तो सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष के सांसद चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। थोड़ी ही देर में विपक्षी सांसद अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए। सदन में प्रश्नकाल चल रहा था। हंगामे बढ़ता देख लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सांसदों से अपनी सीट पर जाकर बैठने का आग्रह किया। विपक्षी सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे तो सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। गौरतलब है कि संसद में सोमवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ था। इस हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा, की कार्यवाही बाधित हुई थी। दोनों ही सदनों में विपक्ष ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। विपक्ष के कई सांसदों का कहना है कि वे बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा चाहते हैं। विपक्ष ने राज्यसभा में अन्य सभी संसदीय कार्यों को रोककर सबसे पहले इन मुद्दों पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था। विपक्षी सांसदों के इस नोटिस को अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने जमकर नारेबाजी की। सदन में बढ़ते हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में स्वीकार, तीन सदस्यीय समिति गठित
नई दिल्ली, 12 अगस्त: देश के न्यायिक इतिहास में दुर्लभ और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, मंगलवार को लोकसभा ने औपचारिक रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पढ़कर सुनाया। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 और 218 के तहत उन्हें पद से हटाने की कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में बताया कि उन्हें 31 जुलाई 2025 को यह प्रस्ताव प्राप्त हुआ था, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता सहित कुल 146 लोकसभा सदस्यों और 63 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। यह मामला मार्च 2025 में सामने आए उस विवाद से जुड़ा है, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के दौरान जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए थे। हालांकि, उस समय जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन बाद में तीन सदस्यीय आंतरिक न्यायिक जांच ने निष्कर्ष निकाला कि वे इस नकदी पर ‘नियंत्रण’ रखते थे। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी। संसद में प्रस्ताव पढ़ते हुए स्पीकर ओम बिरला ने यह भी घोषणा की कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संबंधित नियमों के तहत आरोपों की जांच के लिए एक वैधानिक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी आचार्य शामिल हैं। समिति शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, तब तक प्रस्ताव लंबित रहेगा। जस्टिस वर्मा ने जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे प्रक्रिया में खामी और संवैधानिक अतिक्रमण बताया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और संवैधानिक बताते हुए उनके इस रुख की आलोचना की कि पहले उन्होंने जांच में भाग लिया और बाद में उसकी वैधता पर सवाल उठाए। अगर समिति आरोपों को सही पाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित करना होगा, अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई मत तथा कुल सदस्यों का बहुमत। इसके बाद ही प्रस्ताव राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। स्वतंत्र भारत में यह तीसरा मौका है जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है।
‘वोट चोरी’ के खिलाफ विपक्ष का संसद से चुनाव आयोग तक मार्च, पुलिस ने कई बड़े नेताओं को हिरासत में लिया
नई दिल्ली, 11 अगस्त : बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने सोमवार को संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक पैदल मार्च किया। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर बैरिकेड लगाकर मार्च को रोक दिया और कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। मार्च में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और सागरिका घोष, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव, कांग्रेस की कुमारी शैलजा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह समेत तृणमूल, डीएमके, एनसीपी, सपा और अन्य विपक्षी दलों के सैकड़ों सांसद शामिल हुए। सांसदों ने सफेद रंग की टोपी पहन रखी थी जिस पर ‘एसआईआर’ और ‘वोट चोरी’ लिखा था तथा लाल रंग से क्रॉस का निशान बना था। संसद के मकर द्वार पर राष्ट्रगान के साथ विरोध की शुरुआत हुई, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने “वोट चोरी बंद करो” के नारे लगाते हुए पैदल मार्च शुरू किया। दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर बैरिकेड लगाकर मार्च को रोका। इस दौरान कई नेताओं और पुलिस के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश करते नजर आए और बोले, “हम वोट बचाने के लिए बैरिकेड फांद रहे हैं। जिन लोगों ने वोट काटे हैं, उनके खिलाफ चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए।” पुलिस ने निषेधाज्ञा उल्लंघन का हवाला देते हुए नेताओं को बस में बैठाकर संसद मार्ग थाने ले जाया, जहां कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। हिरासत में लिए जाने के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा, “यह सरकार डरी हुई है।” मार्च के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “सच्चाई देश के सामने है। यह लड़ाई राजनीतिक नहीं है, यह संविधान को बचाने की लड़ाई है, ‘एक व्यक्ति एक वोट’ की लड़ाई है। हमें एक साफ-सुथरी और सही मतदाता सूची चाहिए।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया, “भाजपा की कायराना तानाशाही नहीं चलेगी। यह जनता के वोट के अधिकार को बचाने की लड़ाई है। अगर सरकार हमें चुनाव आयोग तक पहुंचने नहीं देती, तो उसे किस बात का डर है?” कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “चुनाव आयोग वोट चोरी करवा रहा है और सीनाजोरी भी कर रहा है। बिहार में 65 लाख वोट काटे गए हैं, न सूची दी जा रही है, न कारण बताया जा रहा है। राहुल गांधी की यह मुहिम अब पूरे देश में फैलेगी।” यह प्रदर्शन राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची के आंकड़े सामने लाने के बाद हुआ। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि वहां 1,00,250 मतों की चोरी की गई, जबकि बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट 2019 में भाजपा ने सिर्फ 32,707 वोटों के अंतर से जीती थी। उनका दावा था कि यही ‘वोट चोरी मॉडल’ देशभर में लागू किया जा रहा है। विपक्ष ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह मतदाता सूची में गड़बड़ियों की स्वतंत्र जांच कराए, सभी हटाए गए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक करे और पारदर्शी तरीके से सही मतदाता सूची तैयार करे। विपक्षी नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों के लिए 184 नए फ्लैटों का किया उद्घाटन
नई दिल्ली, 11 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को नई दिल्ली के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर सांसदों के लिए बनाए गए 184 नए बहुमंजिला फ्लैट का उद्घाटन किया। ये सभी फ्लैट टाइप-VII श्रेणी के हैं। यह कार्यक्रम सुबह 9:00 बजे शुरू हुआ। इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और किरेन रिजिजू भी शामिल हुए। उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवासीय परिसर में सिंदूर का एक पौधा भी लगाया। इसके साथ ही वे वहां काम करने वाले श्रमिकों (श्रमजीवियों) से भी मिले और उनके योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, हर नया फ्लैट लगभग 5,000 वर्ग फुट के कारपेट एरिया में बना है। इन फ्लैटों का डिज़ाइन ऐसा है कि सांसद अपने घर से ही अपने आधिकारिक और सार्वजनिक कार्य आसानी से कर सकें। इस परिसर में सांसदों के आवास के साथ-साथ कार्यालय, कर्मचारियों के लिए आवास और एक सामुदायिक केंद्र भी शामिल है। यह सभी सुविधाएं मिलकर यहां रहने वालों के लिए एक आत्मनिर्भर वातावरण तैयार करती हैं। इसका बुनियादी ढांचा आधुनिक मानकों के अनुसार तैयार किया गया है। सभी इमारतें भूकंपरोधी हैं और उनमें आधुनिक संरचनात्मक सुरक्षा सुविधाएं मौजूद हैं। सिर्फ इमारतों की मजबूती ही नहीं, बल्कि परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी बेहद मज़बूत और व्यापक है, जिससे सभी निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह परिसर सांसदों की बदलती ज़रूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, यह परिसर दिव्यांगजनों के लिए भी अनुकूल है, जो समावेशी डिज़ाइन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सीमित ज़मीन की उपलब्धता को देखते हुए, भूमि का अधिकतम उपयोग करने और रखरखाव की लागत को कम रखने के लिए आवासों का निर्माण किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी तीन नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की सौगात, रेलवे व मेट्रो ढांचे को मिली बड़ी मजबूती
बेंगलुरु, 10 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को बेंगलुरु के के.एस.आर. रेलवे स्टेशन पर आयोजित एक भव्य समारोह में देश को तीन नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की सौगात दी। इस ऐतिहासिक मौके पर केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, केंद्रीय व राज्य मंत्रीगण सहित बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि, रेलकर्मी और आमजन मौजूद रहे। कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले बेंगलुरु-बेलगावी वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह ट्रेन दक्षिण और उत्तर कर्नाटक को जोड़ते हुए व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नया आयाम देगी। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री ने ट्रेन के कोच का अवलोकन किया तथा यात्रियों, स्कूली बच्चों और रेलवे स्टाफ से संवाद किया। प्रधानमंत्री ने समारोह के दौरान वीडियो लिंक के माध्यम से अमृतसर–श्री माता वैष्णो देवी कटरा व नागपुर (अजनी)–पुणे मार्ग पर भी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को रवाना किया। अमृतसर–कटरा लाइन दो प्रमुख धार्मिक स्थलों — स्वर्ण मंदिर एवं वैष्णो देवी — के बीच यात्रा को तेज व सुविधाजनक बनाएगी, जबकि नागपुर–पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस महाराष्ट्र के औद्योगिक और शैक्षिक केंद्रों को जोड़कर व्यापारिक गतिविधियों को गति देगी। इन तीनों ट्रेनों के शुरू होते ही भारत में वंदे भारत ट्रेनों की कुल संख्या बढ़कर 150 हो गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु मेट्रो की येलो लाइन का भी उद्घाटन किया, जिससे मेट्रो नेटवर्क में 19 किमी और 16 नए स्टेशन जुड़े हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “वंदे भारत ट्रेनें नए भारत की गति, संकल्प और विकास की प्रतीक हैं। आने वाले समय में देश के लगभग सभी राज्यों को इस आधुनिक रेल सेवा से जोड़ा जाएगा।” वहीं, रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “ये ट्रेनें स्वदेशी तकनीक आधारित आधुनिक रेल इंजीनियरिंग के नए युग का आगाज हैं और यात्रियों को विश्वस्तरीय यात्रा अनुभव दिलाएँगी।” मुख्य विशेषताएँ: वंदे भारत एक्सप्रेस की अधिकतम गति 160 किमी/घंटा, अत्याधुनिक एयरोडायनामिक डिज़ाइन, रीक्लाइनिंग व रोटेटेबल सीटें, ऑनबोर्ड वाई-फाई व इंफोटेनमेंट, स्वचालित दरवाजे, जीरो-डिस्चार्ज बायो-टॉयलेट्स, उन्नत कवच सुरक्षा प्रणाली व सीसीटीवी निगरानी जैसी सुविधाएँ उपलब्ध। बेंगलुरु मेट्रो येलो लाइन के उद्घाटन तथा मेट्रो फेज-3 परियोजना के शिलान्यास से शहर का सार्वजनिक परिवहन और अधिक मजबूत होगा। रेलवे ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही वंदे भारत एक्सप्रेस का स्लीपर वर्जन भी शुरू किया जाएगा। इन कदमों से भारतीय रेलवे और मेट्रो नेटवर्क देश की तेज़, आधुनिक और सुरक्षित यात्रा सुविधाओं के लक्ष्य को साकार करने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है।
चुनाव आयोग ने 334 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का पंजीकरण किया रद्द
नई दिल्ली, 09 अगस्त : देश की चुनावी प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए निर्वाचन आयोग ने 334 पंजीकृत अवैमान्य राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है. यह कार्रवाई लगातार छह वर्षों तक चुनाव में हिस्सा न लेने और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत निर्धारित नियमों का पालन न करने के आधार पर की गई है. इस कदम से अब देश में पंजीकृत दलों की संख्या 2854 से घटकर 2520 रह गई है. आयोग के अनुसार देश में वर्तमान में छह राष्ट्रीय दल, 67 क्षेत्रीय दल और 2854 अवैमान्य पंजीकृत हैं. इन दलों को पंजीकरण के समय नाम, पता, पदाधिकारियों के विवरण देने और किसी भी बदलाव की सूचना आयोग को तुरंत देने की बाध्यता होती है. साथ ही दिशा-निर्देशों के तहत यदि कोई दल छह साल तक चुनाव में भाग नहीं लेता, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है. जून 2025 में आयोग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को 345 पंजीकृत की जांच के निर्देश दिए थे. इन दलों को शोकॉज नोटिस जारी कर व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी दिया गया. 345 में से 334 दलों ने नियमों का उल्लंघन किया मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर 345 में से 334 दलों को नियमों का उल्लंघन करने के लिए डीलिस्ट किया गया, जबकि शेष मामलों को पुनः सत्यापन के लिए भेजा गया है. आयोग ने इस प्रक्रिया को निर्वाचन प्रणाली की सफाई और सुदृढीकरण के लिए अपनी व्यापक रणनीति का हिस्सा बताया. डीलिस्ट किए गए दलों को अब जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29B और 29C, आयकर अधिनियम 1961 और चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के तहत कोई लाभ जैसे कर छूट, मुफ्त मतदाता सूची, प्रसारण सुविधाएं या चुनाव चिह्न प्राप्त नहीं होंगे. प्रभावित दलों को आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर आयोग में अपील करने का अधिकार दिया गया है. यह कदम राजनीतिक दलों की जवाबदेही बढ़ाने और निष्क्रिय दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उन दलों की संख्या पर अंकुश लगाएगा जो पंजीकरण के लाभ उठाते हुए चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं होते, जिससे वास्तविक प्रतिस्पर्धी दलों को अवसर मिलेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात
नई दिल्ली, 03 अगस्त: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। हालांकि, इस चर्चा के बारे में अधिक जानकारी साझा नहीं की गई है। राष्ट्रपति के सोशल मीडिया हैंडल एक्स से रविवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बीच हुई मुलाकात की तस्वीर भी शेयर की गई, जिसमें वे दोनों चर्चा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।” पीएम मोदी और राष्ट्रपति के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान आगामी 9 सितंबर को कराया जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से जारी शेड्यूल के अनुसार, 7 अगस्त को चुनाव के लिए आधिकारिक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी की जाएगी। इसके बाद इच्छुक उम्मीदवार 21 अगस्त तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को की जाएगी। इससे पहले, 16 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। यह मुलाकात संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले हुई थी। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर कर बैठक की तस्वीरें साझा की गई थीं। इसके अलावा, 7 मई को पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी थी। इस अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया था। राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स पोस्ट में बताया था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी।”
अंगदान को जनआंदोलन बनाने की आवश्यकताः जेपी नड्डा
नई दिल्ली, 02 अगस्त : केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने आज कहा कि अंगदान जीवन का कीमती उपहार है और यह एक परोपकारी, समतावादी और अनिवार्य रूप से नैतिक कार्य है, लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी के कारण आज अंग प्रत्यारोपण के लिए जरुरतमंद लोगों को काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक आदमी आठ लोगों के जीवन को बचा सकता है। इसलिए इसे जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। जेपी नड्डा ने अंतरराष्ट्रीय अंबेडकर सेंटर में राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन द्वारा आयोजित 15वें भारतीय अंगदान दिवस के अवसर पर ‘अंगदान- जीवन संजीवनी अभियान’ को संबोधित करते हुए कहा कि आज अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता बढ़ रही है। हर साल हजारों लोगों को अंग प्रत्यारोपण के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। अंगदान करने वालों और अंग प्रत्यारोपण कराने वालों की संख्या में भारी अंतर दिखाई देता है। अंगदान करने में आज भी लोग काफी पीछे हैं। इसका कारण लोगों में इसको लेकर जागरुकता का अभाव है। इसके साथ समाज में व्याप्त धारणाएं भी हैं। आज का दिन और यह समारोह हर अंगदान करने वाले व्यक्ति के महान कार्य को सम्मानित करने और लोगों में जागरुकता फैलाने का है। उन्होंने बताया कि 2023 में आधार कार्ड पर आधारित राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की वेबसाइट लॉन्च होने के बाद करीब 3 लाख से अधिक लोगों ने अंग दान करने के लिए शपथ ली है। यह दर्शाता है कि लोगों में जागरुकता बढ़ रही है। भारत में साल 2024 में 18900 प्रत्यारोपण किए गए। यह एक साल में किए गए प्रत्यारोपण की सबसे अधिक संख्या है। साल 2013 में देश में 5000 ट्रांसप्लांट हुआ था। इसके साथ भारत अंग प्रत्यारोपण में वैशिवक स्तर पर तीसरा देश बन गया है और दिल के प्रत्यारोपण में सबसे आगे हैं। केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि लाइफ स्टाइल से बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके कारण अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता भी बढ़ रही है। इस मौके पर नड्डा ने सभी लोगों को अंगदान करने की शपथ दिलाई। इस मौके पर कई अंगदान करने वाले व्यक्तियों के परिवारों को सम्मानित किया गया। इसके साथ उन राज्यों को भी सम्मानित किया गया जो अंगदान के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
वोटर लिस्ट से जुड़े तेजस्वी यादव के दावे को भाजपा ने बताया ‘फर्जी’, शेयर की सूची
नई दिल्ली, 02 अगस्त: बिहार में एक अगस्त को जारी हुई मतदाता सूची के मसौदे (ड्राफ्ट) को लेकर सियासत गर्मा गई है। विपक्ष ने इसे लेकर कई सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया कि वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है। तेजस्वी के इस बयान पर भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने टिप्पणी की है। उन्होंने तेजस्वी के दावे को फर्जी और भ्रामक करार दिया। अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, “फर्जी खबर की खुली पोल। तेजस्वी यादव का यह दावा कि विशेष संवीक्षा (विशेष गहन पुनरीक्षण) के बाद उनका नाम मतदाता सूची से गायब है- पूरी तरह गलत है। उनका नाम क्रमांक 416 पर दर्ज है। कृपया तथ्य जांचें, फिर जानकारी साझा करें। जानबूझकर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिशों को बेनकाब करना जरूरी है।” अमित मालवीय ने इस पोस्ट के साथ मतदाता सूची का स्क्रीनशॉट भी साझा किया है, जिसमें तेजस्वी यादव का नाम क्रमांक 416 पर दर्ज है। मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम मतदान केंद्र संख्या 204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, क्रम संख्या 416 पर अंकित है। इससे पहले, उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केन्द्र संख्या 171, क्रम संख्या 481 पर दर्ज था। बता दें कि बिहार में मतदाता सूची को लेकर एसआईआर की प्रक्रिया के बाद 1 अगस्त को नया ड्राफ्ट जारी किया गया। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाए कि कई लोगों के नाम जानबूझकर हटाए गए हैं। तेजस्वी यादव ने खुद का नाम गायब होने की बात कहकर इस मसले को और गंभीर बना दिया। उन्होंने एसआईआर में 65 लाख लोगों के नाम काटे जाने को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जो सूची सामने आई है उसमें कुछ भी नहीं बताया गया। इसे लेकर कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई है। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग का यह अद्भुत कार्य है। हर विधानसभा क्षेत्र से लगभग 20 से 30 हजार नाम हटाए गए हैं, कुल लगभग 65 लाख, यानी करीब 8.5 फीसदी मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं।
चुनाव आयोग की हकीकत पूरे देश को बताएंगे : राहुल
नई दिल्ली, 02 अगस्त : कांग्रेस सांसद व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बहुत बड़ा आरोप लगाया है। शनिवार को कांग्रेस पार्टी के कानूनी सम्मेलन में राहुल गांधी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में “धांधली” हुई थी। उन्होंने कहा कि अब उनके पास इस बात के डॉक्यूमेंट्स और डेटा हैं, जो यह साबित करते हैं कि चुनाव में गड़बड़ी हुई। राहुल गांधी ने कहा, “लोकसभा चुनाव में गड़बड़ी हो सकती है, और 2024 का लोकसभा चुनाव गड़बड़ी वाला था। अब हमारे पास इसके सबूत हैं। हम इसे साबित करेंगे।” वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़े का दावा राहुल गांधी ने एक लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा, “हमने एक सीट की वोटर लिस्ट की जांच की। उसमें 6.5 लाख वोटर थे, जिनमें से 1.5 लाख फर्जी निकले।” उनका दावा है कि यह कोई अपवाद नहीं, बल्कि सुनियोजित योजना के तहत किया गया फर्जीवाड़ा है। कांग्रेस नेता ने पार्टी के विधि विभाग द्वारा विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की। “अगर 15-20 सीटें कम होतीं, मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन पाते” राहुल गांधी ने आगे कहा कि बीजेपी की बहुमत सरकार इसी गड़बड़ी के कारण बनी है। उन्होंने कहा, “अगर बीजेपी को 15-20 सीटें कम मिलतीं, तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनते।” राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, “भारत में चुनाव आयोग अब मर चुका है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अब यह संस्था स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रही। “शक 2014 से था, अब सबूत मिल गए” राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें 2014 से ही चुनाव प्रणाली पर शक था, और गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान यह शक और गहराया। उन्होंने कहा, “राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस को एक भी सीट न मिलना, हैरान करने वाला था। जब भी हम बोले, लोग कहते थे सबूत कहां हैं?” महाराष्ट्र बना टर्निंग पॉइंट राहुल गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र में उन्हें पहली बार ठोस सुराग मिले। उन्होंने कहा, “लोकसभा में हमने जीत हासिल की, लेकिन चार महीने बाद विधानसभा में हमारी बुरी हार हुई। जब हमने जांच की तो पाया कि लोकसभा और विधानसभा के बीच 1 करोड़ नए वोटर जुड़ गए, जिनमें से अधिकतर वोट बीजेपी को गए। अब मेरे पास कोई शक नहीं कि ये चुनाव गड़बड़ी से प्रभावित था।” राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अब इन तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर पूरे देश के सामने यह सच्चाई उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि वे इसे कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर उठाएंगे। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में जो हुआ, उसने मुझे इस मुद्दे को गंभीरता से लेने पर मजबूर कर दिया। मैं बिना सबूत के कुछ नहीं कह सकता था लेकिन अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूं कि हमारे पास सबूत हैं। हम पूरे देश को दिखाएंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था ठीक से काम नहीं करती है। हमें सबूत ढूंढ़ने में छह महीने जरूर लग गए लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता। सवाल है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची पर स्कैन और कॉपी सुरक्षा क्यों लागू करता है।” राहुल की स्पीच, 4 आरोप लगाए -2014 से ही मुझे इलेक्शन सिस्टम पर संदेह रहा है। भाजपा का इतनी बड़ी जीत हासिल करना आश्चर्यजनक था। मैं बिना सबूत के कुछ नहीं कह सकता था, लेकिन अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूं कि हमारे पास सबूत हैं। -लोकसभा में, हम चुनाव जीते। और फिर चार महीने बाद, हम न केवल हारे, बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गए। हमने पाया कि महाराष्ट्र में, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच एक करोड़ नए मतदाता जुड़े। इनमें से ज्यादातर वोट भाजपा को जाते हैं। -संविधान की रक्षा करने वाली संस्था को मिटाकर उस पर कब्जा कर लिया गया है। हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो पूरे देश को दिखा देंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह गायब हो गई है। -चुनाव आयोग जैसी संस्था ठीक से काम नहीं करती। आपको जानकर हैरानी होगी कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज उपलब्ध कराता है, उन्हें स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग मतदाता सूची पर स्कैन और कॉपी प्रोटेक्शन क्यों लागू करता है?