नई दिल्ली/भोपाल, 22 फरवरी: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को शनिवार को भोपाल से नई दिल्ली के लिए एयर इंडिया की एक उड़ान में अपनी आवंटित सीट टूटी और धंसी मिली और इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि आज उनका यह भ्रम टूट गया कि टाटा समूह के हाथ में जाने के बाद इस एयरलाइन की सेवा बेहतर हुई होगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और अब केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मंत्री श्री चौहान ने डिजिटल मीडिया मंच एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में लिखा कि उन्हें आज भोपाल से दिल्ली आना था और पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के माननीय प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भाग लेना था। उन्होंने एयर इंडिया की उड़ान संख्या एआई-346 का टिक लिया था। उन्होंने टूटी सीट को लेकर जब विमानकर्मियों से बात की तो उन्हें बताया गया कि इसकी सूचना एयरलाइन के प्रबंधन को पहले ही दी जा चुकी थी और कहा गया था कि उक्त सीट का टिकट न बेचा जाए लेकिन सभी सीटों के टिकट बेच दिए गए थे। उन्होंने सवाल किया कि “क्या यह यत्रियों के साथ धोखा नहीं है?” श्री चौहान ने लिखा, “मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट क्रमांक एआई436 में टिकिट करवाया था, मुझे सीट क्रमांक 8सी आवंटित हुई। मैं जाकर सीट पर बैठा, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था।” उन्होंने लिखा, “जब मैंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? उन्होंने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं।” उन्होंने कहा कि विमान में अन्य यात्रियों ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने का प्रस्ताव किया पर उन्होंने विनम्रता पूर्वक कहा कि वह किसी अन्य को तकलीफ देने के बजाय टूटी सीट पर यात्रा करना श्रेयस्कर समझेंगे। उन्होंने लिखा, “मैं अपने लिए किसी और मित्र को तकलीफ क्यों दूं, मैंने फैसला किया कि मैं इसी सीट पर बैठकर अपनी यात्रा पूरी करूंगा।” केंद्रीय मंत्री ने लिखा, “मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला।” उन्होंने कहा, “मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है, लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है?” उन्होंने सवाल किया है कि “क्या आगे किसी यात्री को ऐसा कष्ट न हो, इसके लिए एयर इंडिया प्रबंधन कदम उठाएगा या यात्रियों की जल्दी पहुंचने की मजबूरी का फायदा उठाता रहेगा?” एयर इंडिया की शुरुआत आजादी से पहले टाटा समूह ने ही की थी । बाद में इसको सरकार ने अपने हाथ में ले लिया था। लम्बे समय तक वित्तीय बदहाली और बदइंतजामी में पिसती रही इस एयरलाइन को सरकार ने इसे टाटा समूह को बेच दिया। जनवरी 2022 से इसका संचालन-परिचालन टाटा समूह के हाथ में है।
मेरठ में 168 साल पुरानी मस्जिद को प्रशासन ने किया ध्वस्त, बताया सहमति से हटाया गया
मेरठ, 22 फरवरी : मेरठ में 168 साल पुरानी एक ऐतिहासिक मस्जिद को प्रशासन ने आधी रात को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। यह मस्जिद दिल्ली रोड पर सर्विस लेन पर स्थित थी और मेट्रो तथा रैपिड रेल कॉरिडोर के बीच में आ रही थी। बता दें कि दो दिन पहले इस मस्जिद का बिजली कनेक्शन काट दिया गया था। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने स्वयं मस्जिद को हटाने का प्रयास किया और हथौड़े चलाकर कुछ हिस्सों को तोड़ा। इसके बाद शुक्रवार की देर रात प्रशासन ने बुलडोजर लगाकर पूरी मस्जिद को गिरा दिया और तुरंत मलबा भी हटा दिया गया। इसके बाद मेट्रो के काम के लिए जगह हो गई। यह मस्जिद दिल्ली रोड पर जगदीश मंडप के पास स्थित थी और लंबे समय से वहां मौजूद थी। प्रशासन का कहना है कि निर्माण कार्य में बाधा बनने के कारण इसे हटाने का निर्णय लिया गया। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इसके बदले नई जगह पर मस्जिद और उचित मुआवजा चाहते थे, लेकिन बिना उनकी मांग पूरी किए इसे हटा दिया गया। घटनास्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल की भारी तैनाती के बीच बुलडोजर से मस्जिद को गिराया गया। मस्जिद ध्वस्त किए जाने की खबर के बाद इलाके में माहौल तनावपूर्ण हो गया, लेकिन पुलिस और प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इस मामले में प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई सहमति के आधार पर हुई है और इसके पीछे कोई अन्य कारण नहीं है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने प्रशासन से नई मस्जिद के लिए जगह देने और मुआवजा देने की मांग दोहराई है।
डॉ. विवेक जोशी ने चुनाव आयुक्त का संभाला कार्यभार
नई दिल्ली, 19 फरवरी: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी डॉ. विवेक जोशी ने बुधवार को भारत के चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त का कार्यभार संभाला। डॉ. जोशी 1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव और केन्द्र में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग तथा वित्तीय सेवा विभाग के सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अपने लंबे करियर में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त तथा हरियाणा राज्य में पांचवें राज्य वित्त आयोग के सदस्य सचिव के रूप में भी कार्य किया है। उत्तर प्रदेश के निवासी डॉ जोशी आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उन्होंने आईआईएफटी, नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्नातकोत्तर तथा ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, जेनेवा (स्विट्जरलैंड) से अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र में एमए एवं डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति ने सोमवार को बैठक में डॉ. जोशी को चुनाव आयुक्त का सदस्य चुनने के अलावा, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए जाने का निर्णय किया था। समिति में लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने समिति के निर्णयों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। श्री कुमार और डॉ. जोशी ने आज अपना कार्यभार संभाला।
भगदड़ के विरोध में युवा कांग्रेस का प्रदर्शन, मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा
नई दिल्ली, 18 फरवरी : युवा कांग्रेस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में कई लोगों के मारे जाने पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए इस घटना के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को जिम्मेदार बताते हुए मंगलवार को यहां प्रदर्शन किया और श्री वैष्णव से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की। युवा कांग्रेस के प्रवक्ता वरुण पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदर्शनकारी युवाओं ने जबरन रेल मंत्रालय की तरफ जाने का प्रयास किया, लेकिन भारी पुलिस बंदोबस्त के कारण उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने रेल मंत्री का पुतला फूंका और उनसे इस्तीफ़ा मांगा। इस दौरान प्रदर्शनकारी हाथों में बैनर और तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर मरने वालों के आंकड़े नहीं छुपाने, भगदड़ नहीं नरसंहार जैसे नारे लिखे हुए थे। श्री पांडे के अनुसार इस दौरान युवा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भानु चिब ने प्रदर्शनकारी युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह भगदड़ या हादसा नहीं बल्कि नरसंहार है। रेल मंत्री अपने कर्तव्य का निर्वाह करने में विफल रहे हैं इसलिए उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। श्री चिब ने कहा, “वहां का मंजर दिल दहलाने वाला था, रेलवे प्रशासन की नाकामी के कारण आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दम घुटने से 18 लोगों की मौत हो गई, जिसमें नौ महिलाएं, चार पुरुष और पांच बच्चे शामिल हैं। श्रद्धालुओं के इस नरसंहार का जिम्मेदार कौन है। इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी नैरेटिव बनाया गया कि सब कुछ नियंत्रण में है। जब लोग भगदड़ में मर रहे थे तो रेल मंत्री मौत के आंकड़ें छिपाने में जुटे थे। श्री वैष्णव को नैतिक रूप से अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है इसलिए उन्हें जल्द से जल्द इस्तीफा देना चाहिए।” दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अक्षय लाकरा ने कहा कि सरकार ने विज्ञापन दिए और लोगों को कुंभ में बुलाया। ऐसे में जब लोग कुंभ जा रहे हैं तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं निभाई। आस्था के पर्व महाकुंभ में जाने के लिए जनता की सरकार से उम्मीद होती है कि उनके लिए आवागमन के उचित प्रबंध हों, पुलिस प्रशासन की तैनाती हो, भीड़ संचालन का बंदोबस्त हो लेकिन मोदी सरकार यह सब व्यवस्था करने में विफल रही है।
प्लेटफॉर्म बदलने के कारण हुआ था नई दिल्ली स्टेशन पर हादसा : आरपीएफ
नई दिल्ली, 18 फरवरी: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ को लेकर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। शुरुआती जांच में भारी लापरवाही सामने आई है। दिल्ली पुलिस की रेलवे पुलिस ने शुरुआती जांच की थी उसकी कॉपी अमर उजाला के पास है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 फरवरी की रात लगभग 10.00 बजे, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना हुई। रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13, 14, 15,16 पर भीड़ अधिक हो गई थी। इस कारण इन प्लेटफॉर्म पर रास्ते पूरी तरह जाम हो गए थे। बताया गया है कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर यात्रियों की भारी भीड़ थी, जो प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रही थी। इसी समय, प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर, नई दिल्ली से दरभंगा जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में सवार होने के लिए बड़ी संख्या में यात्री एकत्र हो गए थे। यह ट्रेन देरी से चल रही थी और इसे मध्यरात्रि में प्रस्थान करने के लिए पुनर्निर्धारित किया गया था, जिसके कारण यात्री प्लेटफॉर्म पर ही रहे। ऐसे में प्लेटफॉर्म नंबर-14 और 13 दोनों प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ती रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार रात आठ बजे शिवगंगा एक्सप्रेस के प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना हुई, इसके बाद प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की अधिक भीड़ जुटने लगी थी। इस कारण प्लेटफॉर्म नंबर 12 से 16 पर जाने वाले रास्ते पूरी तरह जाम हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, रेलवे अधिकारी प्रयागराज के लिए लगभग 1,500 सामान्य टिकट प्रति घंटे जारी कर रहे थे। इस कारण प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर अधिक यात्री एकत्र हो गए। इस भारी भीड़ के कारण, प्लेटफॉर्म पर खड़े रहने के लिए मुश्किल से ही जगह बची थी। इसके साथ ही रेलवे की टीम को टिकट बेचने पर रोक लगाने के लिए भी कहा गया था। बढ़ती भीड़ और लगातार टिकट बिक्री को देखते हुए, लगभग रात 10 बजे, रेलवे अधिकारियों ने प्लेटफॉर्म नंबर 16 से प्रयागराज के लिए एक विशेष ट्रेन की घोषणा की। इस घोषणा को सुनकर, सामान्य टिकट धारक यात्री, जो पहले से ही प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़े थे, फुट ओवरब्रिज पार करके प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर दौड़ पड़े। ऐसा करने में, उन्होंने उन यात्रियों को कुचल दिया जो पहले से ही फुट ओवरब्रिज पर बैठे थे, जिसके कारण भगदड़ मच गई। इस घटना में कई पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को चोटें आईं। अधिकारियों का कहना है कि भारी भीड़ के बीच प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा से भगदड़ व भ्रम की स्थिति बनी। आरपीएफ के अनुसार, ड्यूटी स्टेशन इंचार्ज को भगदड़ की सूचना दी गई थी। रेलवे पुलिस के पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि पुलिस रेलवे के सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। रिपोर्ट जैसी आएगी उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। लापरवाही की बात आने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
कतर के अमीर का राष्ट्रपति भवन में रस्मी स्वागत
नई दिल्ली, 18 फरवरी: भारत यात्रा पर आए कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में रस्मी स्वागत किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में कतर के अमीर का पारंपरिक स्वागत किया। वह सोमवार की रात दो दिन की यात्रा पर यहां पहुंचे थे। श्री मोदी ने उनके आगमन पर प्रोटोकॉल तोड़ कर स्वयं हवाई अड्डे पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था। इसके बाद अमीर राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। इसके पश्चात हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक होगी। शाम को अमीर राष्ट्रपति मुर्मु से भेंट करेंगे। राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा। इसके पश्चात रात में वह स्वदेश लौट जाएंगे।
मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का किया स्वागत
नई दिल्ली, 18 फरवरी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के भारत आगमन पर प्रोटोकॉल तोड़ कर स्वयं हवाई अड्डे पर आकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। श्री मोदी ने पालम टेक्नीकल एरिया में देर शाम को कतर के अमीर का स्वागत किया। उन्होंने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, “मेरे भाई, कतर के अमीर एच. एच. शेख तमीम बिन हमद अल थानी का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे गया। उनके भारत की सफल यात्रा की कामना और कल हमारी बैठक के लिए प्रतीक्षारत हूं।” हवाई अड्डे से होटल पहुंचने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर के अमीर से शिष्टाचार भेंट की। श्री हमद अल थानी का कल सुबह राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में रस्मी स्वागत किया जाएगा। वह राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। इसके पश्चात हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी। कतर के अमीर कल शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट करेंगे। राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा। इसके पश्चात रात में वह स्वदेश लौट जाएंगे। उल्लेखनीय है कि कतर ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी। देश में इस मुद्दे के जोर पकड़ने पर श्री मोदी की पहल के परिणाम स्वरूप उनके प्राण रक्षा हुई और उनकी सही सलामत वापसी सुनिश्चित हुई।
सैम पित्रोदा के चीन के समर्थन में दिए गए बयान पर भाजपा का पलटवार
-सुधांशु त्रिवेदी बोले, यह, कहा गलवान घाटी में बलिदान हुए जवानों का है अपमान नई दिल्ली, 17 फ़रवरी: इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के चीन के समर्थन में दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सैम पित्रोदा के बयान को गलवान घाटी में बलिदान हुए जवानों का अपमान बताया। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान में बोल जरूर सैम पित्रोदा के अपने हैं लेकिन संगीत जॉर्ज सोरोस का है। सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु हैं। राहुल गांधी ने पीपुल्स लिबरेशन पार्टी ऑफ चाइना के साथ एक गुप्त संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं। राजीव गांधी ने चीन से फंड लिया था। जवाहर लाल नेहरू ने अक्साई चिन और यूएनएससी में भारत की सीट चीन को दे दी। कांग्रेस और चीन की दोस्ती काफी पुरानी है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले कर्ज के दबाव में यह बोल रहे हैं। क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान है या नहीं? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर शक्तिशाली हो रहा है। ऐसे में अनेक शक्तियां इसे रोकने की साजिश रच रही हैं। ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का बयान चीन के संबंध का इजहार कर रहा है। यह भारत की आस्मिता पर गहरा आघात है। उन्होंने कहा है कि चीन के साथ कोई विवाद नहीं है। यह कोई आइसोलेटेड विचार नहीं है। राहुल गांधी ने भी इसी तरह के कई बयान दिए हैं। सुधांशु ने आरोप लगाया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। गौरव गगोई का संबंध इससे भी पता चलता है। विदेशी शक्ति के लिए कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान है। साथ ही ये भारत में लड़ाने का काम करते हैं। राहुल गांधी के बयान भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए है। उल्लेखनीय है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा था कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। यह न केवल चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है।
कांग्रेस ने चीन पर सैम पित्रोदा के बयान से किया किनारा
नई दिल्ली, 17 फ़रवरी: कांग्रेस ने चीन को लेकर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के बयान से किनारा कर लिया हैं। पार्टी महासचिव (संचार) एवं राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने आज यहां कहा कि सैम पित्रोदा का बयान कांग्रेस का बयान नहीं है। जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि सैम पित्रोदा द्वारा चीन पर व्यक्त किए गए कथित विचार निश्चित रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार नहीं हैं। जयराम रमेश ने कहा कि चीन हमारी विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चीन के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर बार-बार सवाल उठाए हैं, जिसमें 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से चीन की दी गई क्लीनचिट भी शामिल है। चीन पर हमारा सबसे हालिया बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद को इस स्थिति पर चर्चा करने और इन चुनौतियों का प्रभावी समाधान निकालने के लिए सामूहिक संकल्प व्यक्त करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा था कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। यह न केवल चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है। सैम पित्रोदा के बयान पर आज भाजपा ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सैम पित्रोदा के बयान को गलवान घाटी में बलिदान हुए जवानों का अपमान बताया। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान में बोल जरूर सैम पित्रोदा के अपने हैं लेकिन संगीत जॉर्ज सोरोस का है। सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु हैं। राहुल गांधी ने पीपुल्स लिबरेशन पार्टी ऑफ चाइना के साथ एक गुप्त संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं। राजीव गांधी ने चीन से फंड लिया था। जवाहर लाल नेहरू ने अक्साई चिन और यूएनएससी में भारत की सीट चीन को दे दी। कांग्रेस और चीन की दोस्ती काफी पुरानी है। उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले कर्ज के दबाव में यह बोल रहे हैं। क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान है या नहीं ?
न्यायालय ने पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह तक टाली
नई दिल्ली, 17 फ़रवरी: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह तक टाल दी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी। इससे पहले सुबह शीर्ष अदालत ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित मामले में कई नई याचिकाएं दायर किए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 के समय के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान करता है। जब एक वादी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दिन में सुनवाई के लिए एक नई याचिका का उल्लेख किया, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं।’’ अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले का उल्लेख किया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है। बहुत सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं… हम शायद इस पर सुनवाई नहीं कर पाएं।’’ उन्होंने कहा कि मार्च में एक तारीख दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश के जरिए विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी ढंग से रोक दिया, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण का अनुरोध किया गया था। संभल की शाही जामा मस्जिद में झड़पों में चार लोग मारे गए थे। इसके बाद न्यायालय ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को प्रभावी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के नेता और कैराना की सांसद इकरा चौधरी और कांग्रेस पार्टी सहित अन्य ने 12 दिसंबर के बाद कई याचिकाएं दायर कीं, जिनमें 1991 के कानून के प्रभावी कार्यान्वयन का अनुरोध किया गया है। उत्तर प्रदेश के कैराना से सांसद चौधरी ने 14 फरवरी को मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाकर कानूनी कार्रवाई की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया था। इसके बारे में उनका कहना था कि इससे सांप्रदायिक सद्भाव और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरा है। शीर्ष अदालत ने पहले ओवैसी की इसी तरह की प्रार्थना वाली एक अलग याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई थी। हिंदू संगठन ‘अखिल भारतीय संत समिति’ ने 1991 के कानून के प्रावधानों की वैधता के खिलाफ दायर मामलों में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। इससे पहले पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी। उपाध्याय ने 1991 के कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है। यह कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में परिवर्तन पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 के समय के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान करता है। हालांकि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से संबंधित विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ जैसी मुस्लिम संस्थाएं सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और मस्जिदों की वर्तमान स्थिति को बनाए रखने के लिए 1991 के कानून का सख्ती से क्रियान्वयन चाहते हैं। हिंदुओं ने इस आधार पर इन मस्जिदों को पुनः प्राप्त करने का अनुरोध किया है कि वे आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किए जाने से पहले मंदिर थे। दूसरी ओर, उपाध्याय जैसे याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम की धारा 2, 3 और 4 को अलग रखने का अनुरोध किया है। इसके कारणों में यह दलील भी शामिल थी कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने के लिए न्यायिक उपचार के अधिकार को छीन लेते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हमें दलीलें सुननी होंगी’’। पीठ ने कहा कि प्राथमिक मुद्दा 1991 के कानून की धारा 3 और 4 के संबंध में है। धारा 3 पूजा स्थलों के रूपांतरण पर रोक से संबंधित है, जबकि धारा 4 कुछ पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र और न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर रोक आदि की घोषणाओं से संबंधित है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने अपनी हस्तक्षेप याचिका में 1991 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई लंबित याचिकाओं का विरोध किया। मस्जिद समिति ने मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद, दिल्ली के कुतुब मीनार के पास कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, मध्य प्रदेश में कमाल मौला मस्जिद और अन्य सहित विभिन्न मस्जिदों एवं दरगाहों के संबंध में वर्षों से किए जा रहे विवादास्पद दावों को सूचीबद्ध किया है। मस्जिद समिति ने कहा कि वर्तमान पूजा स्थल अधिनियम, 1991 इन धार्मिक स्थलों के मौजूदा चरित्र को संरक्षण प्रदान करता है और अधिनियम को चुनौती देने वाली ये याचिकाएं ‘‘शरारतपूर्ण इरादे’’ से दायर की गई हैं ताकि इन धार्मिक स्थलों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल सके।