राजनाथ ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले एनसीसी कैडेटों को सम्मानित किया

नई दिल्ली, 12 जून: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के पर्वतारोहण अभियान दल को गुरूवार को यहां दस लाख रूपये की राशि प्रदान कर सम्मानित किया। रक्षा मंत्रालय ने गुरूवार को यहां एक वक्तव्य जारी कर बताया कि अभियान दल के कैडेटों ने रक्षा मंत्री से मुलाकात की। अभियान दल के सदस्यों की औसत आयु 19 वर्ष है और इनमें पांच लड़कियां और पांच लड़के शामिल है। दल ने गत 18 मई को माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। रक्षा मंत्री ने कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में टीम के अदम्य साहस, धैर्य और देशभक्ति का सम्मान करते हुए कठिन परिस्थितियों में यह उपलब्धि हासिल करने के लिए उन्हें 10 लाख रुपये का चेक प्रदान किया। साउथ ब्लॉक में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कैडेटों ने अभियान के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने रक्षा मंत्री के साथ बातचीत में कठोर प्रशिक्षण, सावधानीपूर्व योजना और चुनौतियों की जानकारी दी। श्री सिंह ने साहस, अनुशासन और धैर्य के लिए टीम की सराहना की। कैडेटों को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान के साथ बहादुर कैडेटों ने यह संदेश दिया है कि देश के युवाओं के लिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी भी कोई सीमा नहीं है। उन्होंने विश्वास जताया कि कैडेट भविष्य की चुनौतियों का उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ सामना करेंगे जैसा उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढाई के दौरान दिखाया था। रक्षा मंत्री ने कैडेटों में राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करने और उन्हें शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से मजबूत बनाकर उनके सामाजिक कौशल को विकसित कर समग्र विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एनसीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कैडेटों के परिवार के सदस्यों की भी सराहना की जिन्होंने इस प्रयास में उनका साथ दिया। इस अवसर पर एनसीसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह भी उपस्थित थे। एनसीसी के कैडेटों ने 2013 और 2016 के बाद तीसरी बार यह उपलब्धि हासिल की है। अभियान दल में 10 कैडेट, अधिकारियों की एक टुकड़ी, जूनियर कमीशन अधिकारी, प्रशिक्षक और गैर-कमीशन अधिकारी शामिल थे। दल में सूबेदार मेजर बलकार सिंह भी शामिल थे जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीय सेना के पहले सूबेदार मेजर थे। दल के युवा कैडेट की उम्र महज 16 साल थी। रक्षा मंत्री ने अभियान दल को औपचारिक रूप से गत तीन अप्रैल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

भारत में हुए 9 सबसे खतरनाक प्लेन हादसे, जिन्होंने हर किसी को दहला दिया

नई दिल्ली, 12 जून : अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद लंदन जा रहा एयर इंडिया का एक पैसेंजर प्लेन गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस दुखद हादसे के बाद भारत में अबतक हुए तमाम बड़े प्लेन क्रैश का इतिहास फिर से सुर्खियों में है. बीच हवा में घातक टक्करों और खराब मौसम के कारण जानलेवा दुर्घटनाओं से लेकर टेबलटॉप एयरपोर्ट्स पर रनवे के ओवरशूट तक, देश ने दशकों में कई त्रासदियों को देखा है. यहां भारत के विमानन इतिहास की सबसे विनाशकारी हवाई दुर्घटनाओं की लिस्ट दी गई है: एयर इंडिया फ्लाइट एआई171 (12 जून 2025): अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 में कम से कम 169 भारतीय और 53 ब्रिटिश नागरिक यात्रा कर रहे थे, जो उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई. अहमदाबाद से दोपहर 1.38 बजे रवाना हुई इस फ्लाइट में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे, जिसमें सात पुर्तगाली नागरिक और एक कनाडाई नागरिक भी थे. विमान में 10 केबिन क्रू और दो पायलट थे. कैप्टन सुमीत सभरवाल, जो लंबे समय से एयर इंडिया के पायलट हैं और जिनके पास 8,200 से अधिक उड़ान घंटे का अनुभव है और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर, जिन्होंने 1,100 घंटे उड़ान भरी थी. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 (साल 2020): कोरोना महामारी के दौरान, वंदे भारत रिपार्टिशन मिशन के हिस्से के रूप में संचालित एयर इंडिया एक्सप्रेस उड़ान 1344, 7 अगस्त, 2020 को कोझिकोड (कालीकट) इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय रनवे से फिसल गई. भारी बारिश के बीच, विमान गीले टेबलटॉप रनवे से आगे निकल गया, घाटी में गिर गया और दो हिस्सों में बंट गया. विमान में सवार 190 लोगों में से दो पायलटों सहित 21 लोगों की जान चली गई. एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (साल 2010): 22 मई, 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 कर्नाटक के मंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय रनवे से आगे निकल गई. दुबई से आ रही बोइंग 737-800, टेबलटॉप रनवे से परे एक खाई में गिर गई और आग की लपटों में घिर गई, जिससे 158 लोगों की मौत हो गई. इस दुखद घटना ने प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान भारत के टेबलटॉप एयरपोर्ट्स और लैंडिंग प्रोटोकॉल की जांच बढ़ा दी. एलायंस एयर फ्लाइट 7412 (साल 2000): 17 जुलाई, 2000 को एलायंस एयर फ्लाइट 7412 उतरने का प्रयास करते समय बिहार के पटना में घनी आबादी वाले आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. फाइनल एप्रोच के दौरान अनुचित संचालन के कारण बोइंग 737-200 को कम ऊंचाई पर रुकने का अनुभव हुआ. साठ लोग मारे गए, जिनमें पांच ग्राउंड पर मरे थे. दुर्घटना ने छोटे शहरी एयरपोर्ट पर एप्रोच की प्रक्रिया को अपग्रेड करने को प्रेरित किया. चरखी दादरी में हवा में टक्कर (साल 1996): 12 नवंबर 1996 को जो प्लेन क्रैश हुआ वह भारत की सबसे विनाशकारी विमानन दुर्घटना बन गई. उसमें 349 लोग मारे गए. यह त्रासदी तब हुई जब सउदीया फ्लाइट 763 (एक बोइंग 747) और कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 (एक इल्यूशिन आईएल-76) हरियाणा में चरखी दादरी के पास हवा में टकरा गईं. यानी दो प्लेन की हवा में टक्कर हुई थी. दुर्घटना की वजह थी कि कम्यूनिकेशन सही से नहीं किया गया और कजाख प्लेन का क्रू अपनी निर्धारित ऊंचाई से नीचे उतर आया था. घटना के बाद, भारत ने महत्वपूर्ण विमानन सुरक्षा उपाय पेश किए, जिसमें सभी वाणिज्यिक विमानों पर ट्रैफिक टकराव बचाव प्रणाली (टीसीएएस) की स्थापना को अनिवार्य करना शामिल है. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 605 (साल 1990): 14 फरवरी 1990 को, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 605 बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें सवार 146 लोगों में से 92 की मौत हो गई. एयरबस A320 उस समय भारत में अपेक्षाकृत नया विमान था. वो बहुत नीचे उतरा और रनवे से कुछ दूर जमीन से टकराकर एक गोल्फ कोर्स पर फिसल गया. जांच से पता चला कि पायलट की गलती थी और क्रू को A320 के उन्नत डिजिटल कॉकपिट की पूरी जानकारी नहीं थी और इसी के कारण यह दुखद दुर्घटना हुई. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 (साल 1988): 19 अक्टूबर 1988 को खराब दृश्यता (विजिबिलिटी) के बीच, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 113, बोइंग 737-200, अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई. मुंबई से आ रही फ्लाइट पेड़ों से टकरा गई और रनवे से कुछ दूर जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इससे उसमें सवार 135 लोगों में से 133 की मौत हो गई. जांचकर्ताओं ने पायलट की गलती, अपर्याप्त मौसम की जानकारी और हवाई यातायात नियंत्रण द्वारा प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया. एयर इंडिया की उड़ान 855 (साल 1978): 1 जनवरी 1978 को, दुबई जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट 855 (एक बोइंग 747) मुंबई से उड़ान भरने के तुरंत बाद अरब सागर में गिर गई, जिससे उसमें सवार सभी 213 लोगों की मौत हो गई. यह दुर्घटना उड़ान के केवल 101 सेकंड बाद घटी जब एक दोषपूर्ण एटीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर के कारण कैप्टन ने विमान की दिशा का गलत अर्थ निकाला. दुर्घटना समुद्र के ऊपर रात के समय हुई, जिससे चालक दल को अपने पोजिशन का पता आंखों से नहीं चला. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 440 (1973): 31 मई 1973 को, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 440 दिल्ली के पालम एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई. बोइंग 737-200 को खराब मौसम का सामना करना पड़ा और रनवे से कुछ ही दूर हाई-टेंशन तारों से टकरा गया. जहाज पर सवार 65 लोगों में से 48 की मौत हो गई. मृतकों में प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ मोहन कुमारमंगलम भी शामिल थे. दुर्घटना ने भारतीय एयरपोर्ट्स पर बेहतर मौसम रडार की आवश्यकता को रेखांकित किया.

विमान दुर्घटना: स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए आयी सेना

नई दिल्ली, 12 जून: अहमदाबाद में गुरूवार को हुई भीषण विमान दुर्घटना के बाद भारतीय सेना भी मदद के लिए आगे आई है तथा सेना के जवान राहत और बचाव अभियान में नागरिक प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। सेना के अनुसार अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयासों में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सेना की 130 कर्मियों वाली टीमों को तैनात किया गया है। इन टीमों में मलबा हटाने के लिए जेसीबी के साथ इंजीनियरिंग टीमें, डॉक्टरों और पैरामेडिक्स मेडिकल टीमें, त्वरित कार्रवाई दल तथा अग्निशामक यंत्र शामिल हैं। इसके अलावा सेना के अस्पताल को भी मदद के लिए तैयार रखा गया है। उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का एक ड्रीमलाइनर बोइंग 787-8 विमान गुरुवार को अपराह्न सरदार पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार विमान में 230 यात्री, दो पायलट और चालक दल के 10 अन्य सदस्य सवार थे।

अहमदाबाद विमान हादसा दिल दहलाने वाला: मोदी

नई दिल्ली, 12 जून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद में हुए विमान हादसे पर गहरा दुख जताया है और प्रभावित लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। श्री मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “अहमदाबाद में हुई त्रासदी ने हमें स्तब्ध और दुखी कर दिया है। यह शब्दों से परे दिल दहला देने वाली घटना है। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं सभी प्रभावित लोगों के साथ हैं। मैं मंत्रियों और अधिकारियों के संपर्क में हूँ जो प्रभावित लोगों की सहायता के लिए काम कर रहे हैं।” गौरतलब है कि एयर इंडिया का एक ड्रीमलाइनर बोइंग 787 विमान आज अपराह्न अहमदाबाद से लंदन के लिये उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 230 यात्री, दो पायलट और चालक दल के 10 अन्य सदस्य सवार थे।

विमान हादसा: गुजरात में विमान हादसा 200 लोगों की मौत

नई दिल्ली/अहमदाबाद, 12 जून: गुजरात में भयावह विमान हादसे में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई। अहमदाबाद एयरपोर्ट से एयर इंडिया का विमान गुरुवार को लंदन के लिए उड़ान भरने के दो मिनट बाद ही सरकारी बीजे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर छात्रावास से टकरा गया। हादसे के दौरान विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और क्रू सदस्यों समेत 242 लोग सवार थे। अहमदाबाद के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कनन देसाई ने बताया कि हादसे में 200 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्ट हुई है। जानकारी के अनुसार विमान में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और कनाडा के एक नागरिक के साथ 12 क्रू सदस्य सवार थे। रुपाणी सीट नंबर 12 पर सवार थे। बताया जा रहा वे बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। एयर इंडिया के अनुसार बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एयरक्राफ्ट (एआई171) अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दोपहर करीब एक बजकर 39 मिनट पर लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रनवे संख्या 23 से उड़ा। दो मिनट बाद ही विमान एयरपोर्ट के पास मेघानीनगर स्थित आवासीय क्षेत्र में एक घर से टकरा गया। घटना के वक्त विमान जमीन से 625 मीटर की ऊंचाई पर था। हादसे की खबर लगते ही एयरपोर्ट का संचालन रोक दिया गया। हालांकि घटना की सूचना के बाद अहमदाबाद पहुंचने वाले वीवीआईपी और जांच टीम के लिए एयरपोर्ट का संचालन जारी है। नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बयान जारी कर बताया कि हादसे से पहले पायलट ने अहमदाबाद के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) को मे-डे कॉल दिया था। इसके बाद एटीसी ने विमान को कई निर्देश दिए जिसका कोई जवाब नहीं मिला। अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त जीएस मलिक ने कहा कि लोगों के बचे होने की संभावना को दरकिनार नहीं कर सकते हैं। कुछ लोगों को अस्पताल भेजा गया है। राहत और बचाव कार्य जोरों पर जारी है। एएआईबी करेगा मामले की जांच हादसे की जांच के लिए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) के महानिदेशक, जांच निदेशक और सरकार की टीम अहमदाबाद पहुंच गई है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत आने वाला ये ब्यूरो विमानों के सुरक्षा मानदंडों के लिए जिम्मेदार है। भारतीय वायु क्षेत्र में रहने के दौरान अगर कोई विमान हादसे का शिकार होता है तो यही जांच करता है। ब्यूरो विमान सुरक्षा सुधार के लिए सलाह भी देता है। सबसे पहले पहुंची सीआईएसएफ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टक्कर के बाद विमान आग का गोला बन गया और चंद सेकंड बाद ही पूरा इलाका धुआं-धुआं हो गया। घटना की सूचना के बाद एनडीआरएफ की छह और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की दो टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए पहुंच गईं। राहत और बचाव कार्य का मोर्चा सबसे पहले एयरपोर्ट पर तैनात सीआईएसएफ की टुकड़ी ने संभाला। सीआईएसएफ के 150 जवानों को भी तैनात किया है। तेज धमाके से दहशत मची हादसे के प्रत्यक्षदर्शी जयेश पटेल ने बताया कि जब विमान हादसा हुआ तब मैं घटनास्थल से महज 500 से 600 मीटर दूर था। बहुत तेज धमाका हुआ और आग की ऊंची लपटें उठने के बाद पूरा इलाका धुएं से भर गया। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। धमाके की आवाज सुन लोग घर के बाहर निकल गए। हर कोई घटना स्थल की तरफ दौड़ा। वहां जो मंजर था वो बहुत भयावह था। हर तरफ मलबा ही मलबा हादसे के बाद का नजारा बेहद भयावह था। हर तरफ मलबा बिखरा हुआ था। विमान का नोज एक घर की छत पर टूटकर गिर गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि विमान जब मकान से टकराया तो आसपास के कई घरों को भी भारी नुकसान हुआ है। कई लोग घायल भी हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि धमाका और आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पार्किंग में खड़ी कई गाड़ियों में भी आग लग गई। कैप्टन सुमित कर रहे थे कमांड डीजीसीए ने बताया कैप्टन सुमित सभरवाल विमान को फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के साथ कमांड कर रहे थे। कैप्टन सुमित को 8200 घंटों का उड़ान का अनुभ्व था। वहीं को-पायलट के 1100 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव था। विमान में दो पायलटों के साथ 10 क्रू सदस्य सवार थे। डीजीसीए दोनों पायलटों से जुड़ी और जानकारी जुटाने में जुटा है। गुजरात में दूसरा हादसा गुजरात में ये दूसरा भीषण विमान हादसा है। इससे पहले 19 अक्तूबर 1988 को इंडियन एयरलाइन्स का विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग से पहले ही दुर्घटना का शिकार हो गया था। इसमें 130 लोगों की जान चली गई थी। मुंबई से उड़ा ये विमान दृश्यता कम होने के कारण हादसे का शिकार हुआ था। हादसे के वक्त इस विमान की गति 300 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। शाह-नायडू अहमदाबाद रवाना हादसे की सूचना मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू अहमदाबाद रवाना हो गए। प्रधानमंत्री ने नायडू को पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद मुहैया करने के लिए निर्देश दिया है। साथ ही पल-पल की जानकारी साझा करने की बात कही है। हादसे के वक्त नायडू विजयवाड़ा में थे। एयर इंडिया मदद में जुटा एयर इंडिया के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि विमान हादसे की खबर से हम सब दुखी हैं। एक्स पर पोस्ट में उन्होंने कहा, हादसे का शिकार हुए लोगों के परिवारीजनों को हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए इमरजेंसी सेंटर को सक्रिय कर दिया गया है। टीम लोगों की मदद में जुटी हैं। हादसे में जो भी लोग मारे गए एयर इंडिया उन पीड़ित परिवारों के साथ है। हम पूरी ताकत से लोगों की मदद में जुटे हैं।

मोदी का सेवा सुशासन गरीब कल्याण का दावा महज धोखा : कांग्रेस

नई दिल्ली, 09 जून: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 11 साल के शासन के सेवा, सुशासन, गरीब कल्याण के दावे को धोखा करार देते हुए कहा है कि उनके दावे सिर्फ कागजी हैं और जमीन पर इन दावों की तस्वीर कहीं नजर नहीं आती है। कांग्रेस रिसर्च विभाग के प्रमुख तथा पूर्व सांसद राजीव गोड़ा और एडवोकेट महिमा सिंह ने सोमवार को यहां पार्टी के नये मुख्यालय इंदिरा भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने 11 साल के शासन में सिर्फ दावे किए हैं, लेकिन जमीन पर उसके दावों की कहीं कोई हकीकत नजर नहीं आती है। सरकार आर्थिक विकास का लगातार दावा कर रही है, लेकिन ये दावे उसके जुमले हैं क्योंकि आर्थिक विकास की दर पिछले साल 6.5 प्रतिशत रही है जो कोविड के बाद सबसे कम है। सरकार सिर्फ प्रचार प्रसार में लगी है और जमीन पर उसके दावों की हकीकत कहीं दिखती ही नहीं रही है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति की बात की जा रही है और उसे बहुत सजा धजाकर पेश किया गया है। उसका डाटा बहुत बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि महिलाओं के खिलाफ जो अपराध हुए हैं जो उसके आंकड़े डरावने हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के अनुसार 2012 में ढाई लाख के करीब मामले थे वे 2022 में साढ़े चार लाख तक पहुंच गये हैं और इसका जवाब मोदी सरकार को देना चाहिए। पूर्वोत्तर को देश का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुर दो साल से जल रहा है और वहां हजारों लोग बेघर हुए हैं और वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया है और उस मणिपुर को जलता छोड़ा गया है और दावा करते हैं पूर्वोत्तर के विकास को सरकार ने सबसे ज्यादा महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि जनगणना को टालने के लिए कोविड का बहाना बनाया गया। मोदी सरकार पहले घोषणा करती है और फिर उसे पूरा नहीं करती है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार का दावा है कि उन्होंने किसानों को पीएम किसान लाभार्थियों को पौने चार लाख करोड रुपए वितरित किये हैं, लेकिन सच यह है कि सवा दो करोड़ किसानों के नाम सूची से हटा दिए जाते हैं। उनका कहना था कि मोदी सरकार का काम करने का तरीका है कि वह लाभार्थियों की सूची बनाती है और बाद में सूची से नाम हटा देती है और यहां पीएम किसान लाभार्थी योजना में भी यही हुआ है। साल 2011 के आंकड़े के हिसाब से 14 करोड़ से ज्यादा किसान सरकार की योजना से बाहर है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास नीति है और उसकी काम करने की नीयत है। यह सरकार घोषणा करती है और अपनी ही घोषणाओं को हर साल नये रूप में पेश करती रहती है।

मोदी सरकार के 11 साल का समय जनसेवा के संकल्प, साधना और समर्पण का ‘स्वर्णिम कालखंड’: शाह

नई दिल्ली, 09 जून: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार के 11 साल का समय जनसेवा के संकल्प, साधना और समर्पण का ‘स्वर्णिम कालखंड’ रहा है। शाह ने कहा कि यह नया भारत ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ की शक्ति के साथ विकास और आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देशवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाकर भारत को हर क्षेत्र में ‘नंबर 1’ बनाने की यह यात्रा जारी रहेगी। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ”मोदी सरकार के 11 साल का समय जनसेवा के संकल्प, साधना और समर्पण का ‘स्वर्णिम कालखंड’ रहा है। सेवा के 11 वर्षों में देश ने आर्थिक पुनरुत्थान, सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय सुरक्षा का एक नया युग देखा है।” मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला साल सोमवार को पूरा हो रहा है। गृह मंत्री ने कहा, ”मोदी सरकार ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब नेतृत्व स्पष्ट हो, संकल्प अडिग हो और नीयत जनसेवा की हो तो सेवा, सुरक्षा और सुशासन के नए कीर्तिमान बनते हैं।” शाह ने कहा कि जब 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी, तब देश में नीतिगत पंगुता की स्थिति थी। उन्होंने कहा कि उस समय न कोई नीति थी, न नेतृत्व था और घोटाले तो चरम पर थे, अर्थव्यवस्था जर्जर थी और शासन प्रणाली दिशाहीन थी। गृह मंत्री ने कहा कि ‘सेवा के 11 वर्षों’ के दौरान ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ द्वारा देश के विकास की गति और पैमाने को बदल दिया गया है। उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और वंचितों को शासन के केंद्र में लाए और तुष्टीकरण के बजाय सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की कार्य संस्कृति बनाई।” शाह ने कहा कि मोदी सरकार के 11 साल राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, ”नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो चुकी है, भारत अब आतंकवादी हमलों का जवाब आतंकियों के घर में घुसकर देता है। यह मोदी सरकार के तहत भारत की बदलती तस्वीर को दर्शाता है।”

फरार सोनम ने उप्र में किया आत्मसमर्पण, पति राजा की हत्या के लिए भाड़े के गुंडे लिए थे

शिलांग/गाजीपुर, 09 जून : राजा रघुवंशी की हत्या की पत्नी सोनम रघुवंशी ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि उसने कथित तौर पर अपने पति की हत्या के लिए मेघालय में भाड़े के गुंडों को रखा था। यह जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को दी। मेघालय पुलिस ने इस मामले में सोनम द्वारा अपने लोगों की हत्या के लिए कथित तौर पर भाड़े के गुंडों में से तीन को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। मेघालय पुलिस के एक अधिकारी ने को बताया कि सोनम ने रविवार रात उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के नंदगंज पुलिस स्टेशन में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। राजा की निर्मम हत्या से संबंधित परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मेघालय पुलिस के विशेष जांच दल ने हत्या के तीन अन्य संदिग्धों – मध्य प्रदेश के इंदौर से दो और उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले से एक को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तीनों आरोपियों को राजा की हत्या के लिए कथित तौर पर सोनम ने किराए पर लिया था। उन्होंने बताया कि एक और आरोपी को पकड़ने के लिए तलाश जारी है। पुलिस अधिकारी ने बताया, “चारों आरोपियों को इस निर्मम हत्या की आगे की जांच के लिए राज्य में ट्रांजिट रिमांड के लिए अदालतों में पेश किया जाएगा।” मामले के बारे में और जानकारी के लिए सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। हत्या का मामला दर्ज किया जा रहा है और विशेष जांच दल जांच कर रहा है। मध्य प्रदेश के इंदौर के इस जोड़े ने 11 मई को शादी की थी और 21 मई को हनीमून पर मेघालय की राजधानी शिलांग पहुंचे। नवविवाहित जोड़ा 22 मई को अपने हनीमून के हिस्से के रूप में मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में सोहरा तक अपने किराए के दोपहिया वाहन पर सवार होकर गया, जो पृथ्वी पर सबसे अधिक बारिश वाला स्थान है। यह जोड़ा 22 मई को प्रसिद्ध लिविंग डबल डेकर रूट ब्रिज के घर – नोंग्रियाट गांव में शिपारा होमस्टे में चेक इन किया था। राजा और सोनम सुबह-सुबह अपने होमस्टे से चेक आउट कर गए। टूर गाइड अल्बर्ट पीडी ने कहा कि उन्होंने इस जोड़े को ट्रेक के बीच में देखा था, नोंग्रियाट से लौटते हुए, उनके साथ तीन अन्य पुरुष पर्यटक भी थे। पीडी ने कहा, “राजा तीनों पुरुषों के साथ चल रहा था, जबकि सोनम उनके पीछे धीरे-धीरे चल रही थी।” दंपत्ति के लापता होने का मामला तब प्रकाश में आया जब 24 मई को शिलांग और सोहरा रोड के बीच सोहरारिम गांव में एक दोपहिया वाहन लावारिस हालत में मिला, जिसे उन्होंने किराए पर लिया था। दो जून को मेघालय पुलिस ने राजा और उनकी पत्नी सोनम के लापता होने के आठ दिनों बाद, सोहरा के रियात अर्लियांग में वेई सावडोंग पार्किंग स्थल के नीचे एक गहरी खाई से राजा का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। चार जून को मेघालय पुलिस ने मावक्मा गांव के एडी व्यू पॉइंट पर एक खड्ड से खून से सना हुआ रेनकोट बरामद किया। मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने कहा कि राजा की हत्या निर्मम तरीके से की गई थी। पुलिस ने घटनास्थल से एक चाकू भी बरामद किया, जिसे हत्या का हथियार माना जा रहा है। जांचकर्ताओं ने कहा कि घटनास्थल से बरामद सभी भौतिक साक्ष्यों को आगे के विश्लेषण के लिए हैदराबाद स्थित सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) भेजा जाएगा। इंदौर हनीमून मनाने वाले व्यक्ति के लापता होने का पता तब चला जब 24 मई को शिलांग और सोहरा रोड के बीच सोहरारिम गांव में ग्रामीणों ने एक दोपहिया वाहन को लावारिस हालत में पाया, जिसे उन्होंने मेघालय की राजधानी शिलांग से चार दिनों के लिए किराए पर लिया था।

मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिफेंस में आत्मनिर्भर बना रहा देश : हरदीप सिंह पुरी

नई दिल्ली, 08 जून: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में देश तेजी से मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिफेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इकोनॉमिक्स टाइम्स में लिखे लेख में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 के बाद भारत के डिफेंस सेक्टर का तेजी से आधुनिकीकरण हुआ है और डिफेंस निर्यात में तेजी आई है। यह बदलाव अचानक नहीं हुआ है, बल्कि पीएम मोदी के द्वारा शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत सुधारों के कारण हुआ है। इनमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति और कुछ क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई जैसे बदलाव शामिल हैं, जिसने घरेलू कंपनियों को फलने-फूलने में मदद की है। पुरी ने बताया कि मोदी सरकार के विजन में मैन्युफैक्चरिंग हमेशा केंद्र में रही है और देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत सरकार ने देशों में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव्स दे रही है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स असम में 27,000 करोड़ रुपए की लागत से सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग प्लांट बना रही है, जिसके 2025 के मध्य तक चालू होने और लगभग 27,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। वहीं, एचसीएल और फॉक्सकॉन के बीच ज्वाइंट वेंचर से 3,706 करोड़ रुपए की लागत से उत्तर प्रदेश के जेवर में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित की जा रही है, जो डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स पर केंद्रित होगी और इसका उत्पादन 2027 में शुरू होगा। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘अंत्योदय के माध्यम से सर्वोदय’ के विजन के तहत जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, जिसकी मदद से 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालने में सफलता मिली है। पुरी ने आगे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत करीब 11 करोड़ किसानों को 3.68 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा वितरित किए जा चुके हैं। वहीं, ‘लखपति दीदी’ पहल ने एक करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाओं को एक लाख रुपए से अधिक की वार्षिक आय प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग 3 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है। वहीं, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) का विस्तार किया गया है, जिससे 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को चाहे उनकी आय कुछ भी हो प्रति वर्ष 5 लाख रुपए का निःशुल्क हेल्थ कवरेज प्रदान किया जा सके। इससे लगभग 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री द्वारा संचालित एक्स-4 मिशन 10 जून को आईएसएस मिशन के लिए तैयार

चेन्नई, 08 जून: भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला द्वारा संचालित प्रतिष्ठित एक्सिओम-4 (एक्स-4) मिशन 10 जून मंगलवार की सुबह अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार है। यह मिशन भारतीय समयानुसार सुबह 0612 बजे होगा। एक्स-4 चालक दल 10 जून को भारतीय समयानुसार 0612 पर नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में एलसी-39ए से स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना होगा। यह अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के चार अंतरिक्ष यात्रियों को 14-दिवसीय डॉकिंग मिशन के लिए निम्न पृथ्वी कक्षा में ले जाएगा, जिसमें विभिन्न प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से सात इसरो द्वारा किए जाएंगे। एएक्स -4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष यान की “वापसी” को साकार करेगा, जिसमें प्रत्येक देश की 40 से अधिक वर्षों में पहली सरकारी प्रायोजित उड़ान होगी। जबकि एएक्स-4 इन देशों के इतिहास में दूसरा मानव अंतरिक्ष यान मिशन है, यह पहली बार होगा जब तीनों देश आईएसएस पर एक मिशन को अंजाम देंगे।