नई दिल्ली, 20 फरवरी: प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) पायलट चरण के दूसरे चरण का शुभारंभ हो गया है। इसके लिए एक बार फिर आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। दूसरे चरण में देश के 730 से अधिक जिलों में स्थित शीर्ष कंपनियों में एक लाख से ज्यादा इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए जाएंगे। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने गुरुवार को जारी बयान में बताया कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) के लिए पायलट चरण के दूसरे चरण की शुरुआत हो गई है। मंत्रालय ने कहा कि पहले चरण में 6 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त होने के बाद दूसरे चरण में देश के 730 से अधिक जिलों में शीर्ष कंपनियों में 1 लाख से अधिक इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए जाएंगे। पीएमआईएस के दूसरे चरण के लिए देशभर में 70 से अधिक आईईसी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें अधिकतम इंटर्नशिप के अवसर वाले जिलों में, विश्वविद्यालय, कॉलेज और आईटीआई, रोजगार मेले आदि शामिल हैं, जो इन इंटर्नशिप के लिए जरूरी योग्यता के आधार पर हैं। इसके अलावा अवसरों के एकत्रीकरण और युवाओं के लिए प्रासंगिकता के आधार पर कई प्लेटफार्मों और प्रभावशाली लोगों के जरिए राष्ट्रीय स्तर के डिजिटल अभियान चल रहे हैं। इसके लिए पात्र युवा यहां दिए गए लिंक पर आवेदन कर सकते हैं- : https://pminternship.mca.gov.in/ मंत्रालय ने कहा कि तेल, गैस और ऊर्जा; बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं, यात्रा और आतिथ्य, ऑटोमोटिव, धातु और खनन विनिर्माण और औद्योगिक, तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) और कई अन्य क्षेत्रों की 300 से अधिक शीर्ष कंपनियों ने भारतीय युवाओं को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने, पेशेवरों के साथ नेटवर्क बनाने और अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए हैं। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की अगुवाई में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना भारत की युवा आबादी की क्षमता का दोहन करने के लिए उन्हें भारत की शीर्ष कंपनियों में 12 महीने की सशुल्क इंटर्नशिप प्रदान करके तैयार की गई है। यह योजना 21 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के ऐसे व्यक्तियों को लक्षित करती है, जो वर्तमान में किसी भी पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रम या रोजगार से जुड़े हुए नहीं हैं। यह योजना उन्हें अपने करियर को शुरू करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत प्रत्येक इंटर्न को 5 हजार रुपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त 6,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। प्रत्येक इंटर्नशिप प्रासंगिक प्रशिक्षण और पेशेवर अनुभव (कम से कम छह महीने) का संयोजन होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उम्मीदवार सीखें और अपने कौशल को व्यावहारिक स्थितियों में भी लागू कर सकें।
नीतिगत दरों में पांच वर्ष बाद कमी, ऋण के सस्ते होने की उम्मीद
मुंबई, 07 फरवरी: भारतीय रिजर्व बैंक ने चुनौतिपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत और लचीली बने रहने और आगे महंगाई में नरमी आने की उम्मीद जताते हुये करीब पांच वर्ष बाद नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती तथा मौद्रिक रूख को ‘तटस्थ’ रखने का निर्णय लिया जिससे आवास ऋण, वाहन ऋण और व्यक्तिगत ऋणों के सस्ते होने की उम्मीद बनी है। लगातार ग्यारहवीं बैठक में बेंचमार्क रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के बाद केंद्रीय बैंक ने आर्थिक विकास की गति कम होने और मुद्रास्फीति के अपने 4 प्रतिशत लक्ष्य के करीब पहुँचने के संकेतों के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच दरों में कटौती की। रिजर्व बैंक ने लगभग पाँच वर्षों में पहली बार बेंचमार्क दरों में कटौती की। इससे पहले कोरोना के दौरान मई 2020 में रेपो दर में 40 आधार अंकों की कटौती करके इसे 4 प्रतिशत किया गया था। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति की छठी और अंतिम तीन दिवसीय द्विमासिक बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुये कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप है। समिति ने सर्वसम्मति से दरों में कटौती करने और रुख को बनाए रखने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच समिति ने सर्वसम्मति से बेंचमार्क नीति दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.50 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.00 प्रतिशत होगी और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.50 प्रतिशत होगी। एमपीसी ने सर्वसम्मति से तटस्थ रुख जारी रखने तथा विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ रूप से संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जिसमें पहली तिमाही 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 7 प्रतिशत, तथा तीसरी और चौथी तिमाही 6.5 प्रतिशत रहेगी। चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जिसमें चौथी तिमाही में इसके 4.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। अगले वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के 4.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताते हुये उन्होंने कहा कि खुदरा महंगाई पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चाैथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। खाद्य पर अनुकूल परिदृश्य तथा पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के निरंतर प्रसारण के समर्थन से, 2025-26 में इसमें और नरमी आने की उम्मीद है, जो धीरे-धीरे लक्ष्य के साथ संरेखित होगी। समिति ने विकास का समर्थन करने के लिए नीतिगत पहल की है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक व्यापार नीतियों के बारे में निरंतर अनिश्चितताएं विकास और मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा करती हैं। पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, चालू वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत अनुमानित है, जो पिछले वर्ष 8.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद एक नरम विस्तार है। आने वाले वर्ष में आर्थिक गतिविधि में सुधार की उम्मीद है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि ग्रामीण मांग में लगातार वृद्धि जारी है, जबकि शहरी खपत में कमी बनी हुई है तथा उच्च आवृत्ति संकेतक मिश्रित संकेत दे रहे हैं। रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है। कृषि क्षेत्र में अच्छी गतिविधि घरेलू उपभोग के लिए शुभ संकेत हैं। सरकारी उपभोग व्यय के मामूली बने रहने की उम्मीद है।
एक दशक में मोबाइल फोन पर बात करना 94 प्रतिशत हुआ सस्ता: सिंधिया
नई दिल्ली, 06 फरवरी: केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि 2014 से मोबाइल फोन कॉल दरों में 94 प्रतिशत की कमी आई है। सिंधिया ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि देश में पहले 90 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता थे जो अब बढ़कर 116 करोड़ हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘…इंटरनेट पहुंच की बात करें तो 2014 में 25 करोड़ उपभोक्ता थे और आज यह संख्या 97 करोड़ है।’’ मंत्री ने कहा कि जब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है तो आवश्यक है कि शुल्क दरों की निगरानी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 में एक मिनट की कॉल की दर 50 पैसे थी जो आज तीन पैसे है। इस प्रकार दर में 94 प्रतिशत की गिरावट आई है। सिंधिया ने कहा कि कि 2014 में डेटा यानी इंटरनेट 270 रुपये प्रति जीबी थी जो अब घटकर 9.70 रुपये प्रति जीबी हो गई है जो ‘टैरिफ’ में 93 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में इंटरनेट और कॉल दरों के मामले में सबसे किफायती देश है। उन्होंने कहा कि ‘टैरिफ’ में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, ऐसा देश में 5जी सेवा के लिए किए गए निवेश के कारण हुआ है। उन्होंने सदन को बताया कि काफी तेज गति से 5जी सेवा शुरू की गयी है और करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने शुल्क दरों में वृद्धि को सही ठहराते हुए कहा कि निवेश पर ‘रिटर्न’ मिलना चाहिए।
सैमसंग की गैलेक्सी एस25 सीरीज ने दक्षिण कोरिया में बनाया प्री-ऑर्डर का नया रिकॉर्ड
सियोल/नई दिल्ली, 04 फरवरी: सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने मंगलवार को बताया कि उसके नए गैलेक्सी एस25 स्मार्टफोन ने दक्षिण कोरिया में प्री-ऑर्डर में 1.3 मिलियन यूनिट्स बेचे हैं, जो उसकी एस सीरीज मॉडल्स का अब तक का सबसे बड़ा प्री-सेल रिकॉर्ड है। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सैमसंग ने गैलेक्सी एस25 सीरीज को 22 जनवरी को लॉन्च किया था। इसके बाद इस सीरीज के लिए प्री-ऑर्डर बुकिंग 24 जनवरी से शुरू हुई। कंपनी के अनुसार, 3 फरवरी तक एस25 सीरीज के 1.3 मिलियन यूनिट्स बिक गए हैं। इससे पहले इसी सीरीज के पुराने मॉडल की 1.21 मिलियन से अधिक यूनिट्स बेची गई थीं। सैमसंग के सबसे महंगे एस25 अल्ट्रा मॉडल ने सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है, जिसकी कुल प्री ऑर्डर में 52 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। इसके बाद गैलेक्सी एस25 की 26 प्रतिशत और गैलेक्सी एस25 प्लस की 22 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। नई गैलेक्सी एस25 सीरीज अधिक उन्नत ऑन-डिवाइस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के साथ आती है, जिसमें मल्टीमॉडल क्षमताएं और व्यक्तिगत सहायता फंक्शन्स शामिल हैं। यह यूजर्स को अधिक स्मार्ट और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती है। हालांकि, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने गैलेक्सी एस25 सीरीज की कीमतों को अपने पुराने मॉडल के समान ही रखा है। नई गैलेक्सी एस25 सीरीज को शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर दुनिया भर में लॉन्च किया जाएगा। भारत में सैमसंग ने अपने फ्लैगशिप गैलेक्सी एस25 सीरीज स्मार्टफोन की डिलीवरी शुरू कर दी है, ये डिलीवरी उन ग्राहकों के लिए है, जिन्होंने इन डिवाइसों को प्री-ऑर्डर किया था। बता दें कि सैमसंग ने 23 जनवरी को गैलेक्सी एस25 सीरीज के लिए प्री-ऑर्डर लेना शुरू किया था। गैलेक्सी एस25 के 12Gजीबी/256जीबी वेरिएंट की शुरुआती कीमत 80,999 रुपये है, जबकि गैलेक्सी एस25+ की शुरुआती कीमत 99,999 रुपये और गैलेक्सी एस25 अल्ट्रा की शुरुआती कीमत 129,999 रुपये है। गैलेक्सी एस25 अल्ट्रा को प्री-ऑर्डर करने वाले ग्राहकों को 21,000 रुपये के प्री-ऑर्डर लाभ भी मिलेंगे। इसके अलावा गैलेक्सी एस25+ को प्री-ऑर्डर करने वाले ग्राहकों को 12,000 रुपये का फायदा मिलेगा। इस बीच, गैलेक्सी एस25 को प्री-ऑर्डर करने वाले ग्राहकों को अपग्रेड बोनस के रूप में 11,000 रुपये का लाभ होगा।
ट्रंप के रुख में नरमी के बाद ग्लोबल मार्केट में उत्साह का माहौल, एशियाई बाजारों में तेजी का रुख
नई दिल्ली, 04 फरवरी : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ वॉर में नरमी का संकेत देने के बाद ग्लोबल मार्केट में उत्साह का माहौल बना नजर आ रहा है। हालांकि पिछले सत्र के दौरान टैरिफ वॉर के दबाव में अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे, लेकिन आज इस आशंका के टल जाने के कारण डाउ जॉन्स फ्यूचर्स मजबूती के साथ कारोबार करता हुआ नजर आ रहा है। अमेरिकी बाजार की तरह ही यूरोपीय बाजारों में भी पिछले सत्र के दौरान लगातार दबाव बना रहा। वहीं, एशियाई बाजारों में आज मजबूती का रुख बना हुआ है। अमेरिकी बाजार में पिछले सत्र के दौरान लगातार दबाव में कारोबार होता रहा। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.76 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 5,994.57 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह नैस्डेक ने 221.83 अंक यानी 1.13 प्रतिशत टूट कर 19,405.61 अंक के स्तर पर पिछले सत्र के कारोबार का अंत किया। वहीं डोनाल्ड ट्रंप के रुख में नरमी आने के बाद डाउ जॉन्स फ्यूचर्स आज फिलहाल 0.18 प्रतिशत की मजबूती के साथ 44,500 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। अमेरिकी बाजार की तरह यूरोपीय बाजार में भी पिछले सत्र के दौरान लगातार बिकवाली होती रही। एफटीएसई इंडेक्स 1.05 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 8,583.56 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह सीएसी इंडेक्स ने 1.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7,854.92 अंक के स्तर पर पिछले सत्र के कारोबार का अंत किया। इसके अलावा डीएएक्स इंडेक्स 303.81 अंक यानी 1.42 प्रतिशत लुढ़क कर 21,428.24 अंक के स्तर पर बंद हुआ। एशियाई बाजारों में भी आज आमतौर पर तेजी का रुख है। एशिया के 9 बाजारों में से 7 के सूचकांक मजबूती के साथ हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं, जबकि एक सूचकांक गिरावट के साथ लाल निशान में बना हुआ है। चीन के स्टॉक मार्केट में बंदी की वजह से शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में आज कोई हलचल नहीं है। एशियाई बाजारों में इकलौता स्ट्रेट्स टाइम्स इंडेक्स आज फिलहाल 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,820.36 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। दूसरी ओर, गिफ्ट निफ्टी 203 अंक यानी 0.86 प्रतिशत की मजबूती के साथ 23,617 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह ताइवान वेटेड इंडेक्स 140.99 अंक यानी 0.62 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,835.70 अंक के स्तर पर पहुंचा हुआ है। हैंग सेंग इंडेक्स ने आज जोरदार छलांग लगाई है। ये सूचकांक फिलहाल 404.88 अंक यानी 1.96 प्रतिशत उछल कर 20,622.14 अंक के स्तर पर कारोबार करता नजर आ रहा है। इसी तरह कोस्पी इंडेक्स 1.37 प्रतिशत की बढ़त के साथ 2,487.99 अंक के स्तर पर पहुंचा हुआ है। इसके अलावा निक्केई इंडेक्स 480.23 अंक यानी 1.23 प्रतिशत की मजबूती के साथ 39,000.32 अंक के स्तर पर, जकार्ता कंपोजिट इंडेक्स 1.12 प्रतिशत की तेजी के साथ 7,109.39 अंक के स्तर पर और सेट कंपोजिट इंडेक्स 0.41 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1,309.74 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।
ट्रंप के टैरिफ शुल्क बढ़ाने के बाद गिरे शेयर बाजार
-सेंसेक्स 700 अंक लुढ़का; निफ्टी 23,300 के नीचे फिसला मुंबई, 03 फरवरी: घरेलू शेयर बाजार सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को बड़ी गिरावट के साथ खुले। प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स 500 अंक गिरकर खुला जबकि निफ्टी 23,300 के नीचे फिसल गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के कई देशों पर टैरिफ शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद एशियाई बाजारों में गिरावट आई। इसका असर घरेलू बाजारों पर भी देखने को मिला। ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर भी 10 प्रतिशत शुल्क दाग दिया है। ये शुल्क मंगलवार से प्रभावी हो जाएंगे। ट्रंप के इन कदमों पर भारत की नजरें गड़ी हुई हैं। पिछले ट्रेडिंग सेशन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट 2025 पेश करने के बाद बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स सपाट बंद हुए थे। सेंसेक्स 0.01 फीसदी की बढ़त के साथ 77,505.96 पर बंद हुआ। निफ्टी50 0.11 फीसदी गिरकर 23,482.15 पर बंद हुआ था। बजट 2025 पर बाजार का रिएक्शन काफी हद तक न्यूट्रल रहा। इनकम टैक्स में राहत के बावजूद बाजार को कोई खास बढ़ावा नहीं मिला। इसके अलावा कस्टम ड्यूटी स्ट्रक्चर में कुछ रेशनलाइजेशन, टेलीकॉम और आईटी कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती और वाहन आयात पर शुल्क में कटौती की गई। एग्री, ग्रामीण विकास और रिन्यूएबल एनर्जी से संबंधित अन्य उपायों को सकारात्मक रूप से देखा गया। बजट 2025 पेश होने के बाद निवेशकों का फोकस दिसंबर तिमाही के नतीजों पर केंद्रित होगा। साथ ही जनवरी के लिए पीएमआई डेटा पर भी निवेशकों की नजर होगी। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सप्ताहांत में कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद एशिआई बाजार सोमवार को गिरावट के साथ खुले। एएसएक्स 200 0.75 प्रतिशत, निक्केई 2.22 प्रतिशत जबकि कोस्पी करीब 2.81 फीसदी गिर गया। लूनर न्यू ईयर की छुट्टी के चलते चीनी बाजार बंद रहे। वहीं शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। एसएंडपी 500 में 0.50 फीसदी की गिरावट आई जबकि डॉव जोन्स में 0.75 फीसदी की गिरावट आई। नैस्डैक 0.28 प्रतिशत गिरकर 19,627.44 पर बंद हुआ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण
-वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी रहने का अनुमान नई दिल्ली, 31 जनवरी: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। संसद में राष्ट्रपति के संयुक्त अभिभाषण के बाद लोकसभा की कार्यवाही 1 फरवरी को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को 2025-26 का केंद्रीय बजट संसद में पेश करेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का केंद्रीय बजट 2025-26 शनिवार को पेश किए जाने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। इसमें चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का आधिकारिक आकलन प्रस्तुत किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के आकलन के साथ देश के समक्ष चुनौतियों को बयां करती है। आर्थिक समीक्षा एक वार्षिक दस्तावेज है, जिसे सरकार केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए पेश करती है। यह सुधारों और विकास का खाका भी प्रदान करती है। यह सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंथा नागेश्वरन के नेतृत्व में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग ने तैयार किया है। पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। उस समय यह बजट दस्तावेज का हिस्सा होता था, जिसे 1960 के दशक में केंद्रीय बजट से अलग करके बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।
कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगी यूपी एग्रीज : योगी
लखनऊ, 28 जनवरी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग (यूपी एग्रीज) किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा। आदित्यनाथ ने मंगलवार को यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एक समारोह में यूपी एग्रीज परियोजना की शुरुआत की। एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा, ‘उत्तर प्रदेश गेहूं, आलू, आम, अमरूद, मटर, मशरूम, तरबूज और शहद आदि के उत्पादन में देश में शीर्ष पर है।’ योगी ने कहा कि देश के सब्जी उत्पादन में 15 प्रतिशत और फल उत्पादन में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की करीब 17 प्रतिशत जनसंख्या रहती है, वहीं खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान 23 प्रतिशत से अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के खाद्यान्न निर्यात में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। ऐसे में यूपी एग्रीज परियोजना प्रदेश के निर्यात की संभावनाओं को आगे ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह किसानों और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए अच्छी शुरुआत है। चार हजार करोड़ रुपये की यूपी एग्रीज परियोजना के लिए 2,737 करोड़ रुपये का ऋण विश्व बैंक से मिला है, जबकि राज्य सरकार ने 1,166 करोड़ रुपये का अंशदान किया है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र को चिन्हित करना, प्रमुख फसलों की उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि, विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना, फसल तैयार होने के बाद प्रबंधन और बाजार समर्थन प्रणाली को विकसित करना है। इसके पहले चरण में राज्य के आठ संभागों (कमिश्नरी) के 28 जनपद चुने गये हैं। यह परियोजना छह वर्ष की होगी। इसकी शुरुआत 2024-25 से होगी और यह 2029-30 तक चलेगी। आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश समग्र विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। इनमें कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र की प्रगति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। यह कार्यक्रम उसी अभियान का एक हिस्सा है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि भारतीय उद्योग जगत के वाणिज्यिक विचार अर्थव्यवस्था, राष्ट्र की प्राथमिकताओं और रणनीतिक जरूरतों के साथ मेल खाने चाहिए। उद्योग जगत से पिछले दशक में सीखे गए सबक के आधार पर खुद को बदलने का आह्वान करते हुए सीतारमण ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाएं व्यापक होनी चाहिए, अन्यथा भू-राजनीतिक जोखिम इसे बाधित कर सकते हैं। वित्त मंत्री ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति मंच में कहा, ‘‘आज आर्थिक तथा वाणिज्यिक विचारों को अर्थव्यवस्था और उसकी प्राथमिकताओं के साथ राजनीति और रणनीतिक आवश्यकताओं के साथ मिलाना होगा।’’ अगले दशक के लिए अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने कहा कि उद्योग को छोटे तथा मझोले उद्यमों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे रोजगार सृजन में समान रूप से योगदान देते हुए कैसे बड़ी इकाइयों की मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम आपूर्ति श्रृंखलाओं को व्यवधान रहित आपूर्ति श्रृंखलाओं में बहाल करने की बात करते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह केवल अर्थशास्त्र नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है… हमें न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक तथा रणनीतिक दृष्टि से भी अपने निर्णय स्वयं लेने होंगे। ’’ सीतारमण ने कहा, ‘‘आपूर्ति श्रृंखलाओं को बहाल करना होगा…इन्हें नए सिरे से तैयार करना होगा और इनमें तालमेल बैठाना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यह इस स्तर पर हो कि कोई भी भू-राजनीतिक या रणनीतिक जोखिम हमारे लिए खतरा न बन पाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में सीखे गए सबक से हमें यह पता चलता है कि देश को अब इसमें बदलाव लाना होगा तथा उद्योग को न केवल आर्थिक सिद्धांतों पर बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी खुद को बदलना होगा।’’ सीतारमण ने कहा कि उद्योग तथा सरकारों दोनों का प्रयास वैश्विक शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना होना चाहिए। हिंसा या युद्ध के लिए कहीं भी कोई उचित कारण नहीं हो सकते। मंत्री ने कहा, ‘‘इस दशक के लिए वैश्विक प्राथमिकता सामान्य स्थिति बहाल करना होनी चाहिए। वे आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मुद्रास्फीति और अन्य वैश्विक चुनौतियों का मुख्य कारण हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक सफलता का लाभ केवल प्रौद्योगिकी के जरिये ही उचित रूप से सब तक पहुंचेगा। भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई), ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) और कृषि के लिए प्रौद्योगिकी ढांचे ने पहुंच को लोकतांत्रिक बनाया है। ’’ सीतारमण ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के लाभ से किसान अब वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाने में सक्षम हैं। मुझे यकीन है कि ‘कृषि ढांचा’ अगली बड़ी चीज होगा, जिसके बारे में आप भारत से सुनेंगे।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘विश्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसका असर अर्थव्यवस्था में दिखता है।’’ उन्होंने कहा कि उद्योग को नई चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर विचार करना होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था की दशकीय प्राथमिकताओं पर आयोजित सत्र में सीतारमण ने कहा कि सरकार इस बात को लेकर पूरी तरह सचेत है कि आने वाली पीढ़ियों पर कर्ज का ऐसा बोझ न हो, जिसका प्रबंधन करना मुश्किल हो। उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दशक में प्राथमिकता वित्त का प्रबंधन और परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए उधार लेना तथा बेहतर प्रबंधन होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि इस तरह के कर्ज से अगली पीढ़ी चिंतित हो जाए।’’
गौतम अडानी, सहयोगियों पर रिश्वतखोरी के आरोप में अडानी पर अमेरिका में मुकदमा, शेयरों में गिरावट
नई दिल्ली, 21 नवंबर: अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी और उनके कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से ‘झूठे और भ्रामक’ तथ्यों के आधार पर धन जुटाने की अरबों डॉलर की योजना में उनकी कथित भूमिका को लेकर अमेरिका की एक अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किए गए हैं। अमेरिका के संघीय अभियोजन कार्यालय के न्यूयार्क के पूर्वी जिले के संबंधित अभियोजक द्वारा ब्रुकलिन की एक संघीय अदालत में कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी की के पांच बिंदुओं को लेकर आपराधिक धाराओं में अभियोग-पत्र पढ़े गए। इस बीच, गुरुवार को शुरुआती कारोबार में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में बीएसई पर 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई। अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर बीएसई पर 20 प्रतिशत गिरकर गुरुवार को पूर्वाह्न मे 2256.20 रुपये प्रति शेयर तक आ गया था। ब्रुकलिन की अदालत में दाखिल आरोपत्र के अनुसार 2020 और 2024 के बीच, प्रतिवादियों ने भारत में सरकार के साथ आकर्षक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध प्राप्त करने के लिए सरकारी अधिकारियों को 25 करोड़ डालर से अधिक की रिश्वत देने को तैयार हुई थी। कंपनी को इससे लगभग 20 साल की अवधि में कर के बाद दो अरब डालर से अधिक के लाभ होने का अनुमान था। अडानी समूह के खिलाफ दाखिल आरोपों में कहा गया है कि इस भारतीय कंपनी ने रिश्वत की अपनी योजना के प्रति अमेरिकी निवेशकों को अंधेरे में रख कर, बैंकों और निवेशकों से झूठ बोल कर अरबों डॉलर जुटाए जो अमेरिका के कानूनों का उल्लंघन है। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी कार्यालय की ओर से जारी मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘कई मौकों पर, गौतम एस. अडानी ने रिश्वत योजना को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक भारतीय सरकारी अधिकारी से मुलाकात की और प्रतिवादियों ने इसके निष्पादन के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक-दूसरे के साथ व्यक्तिगत बैठकें कीं। प्रतिवादियों ने रिश्वत योजना को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों पर अक्सर चर्चा की, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग एप्लिकेशन के माध्यम से भी शामिल था।’ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अटॉर्नी, ब्रियोन पीस ने कहा, ‘जैसा कि आरोप लगाया गया है, प्रतिवादियों ने अरबों डॉलर के अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की एक विस्तृत योजना बनाई और गौतम एस. अडानी, सागर आर. अडानी और विनीत एस. जैन ने रिश्वतखोरी की योजना के बारे में झूठ बोला क्योंकि वे अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे थे।’ अभियोग पत्र पढ़े जाने के बाद उन्होंने कहा, ‘ये अपराध कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों द्वारा अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से बड़े पैमाने पर राज्य ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध प्राप्त करने और वित्तपोषित करने के लिए किए गए थे। अमेरिका का आपराधिक जांच प्रभाग, चाहे दुनिया में कहीं भी हो, भ्रष्ट, भ्रामक और अवरोधक आचरण पर आक्रामक रूप से मुकदमा चलाना जारी रखेगा।’ अभियाग में गौतम अडानी, सागर अडानी और अडानी समूह के अन्य अधिकारियों पर “झूठे और भ्रामक” बयानों के आधार पर धन प्राप्त करने के लिए अरबों डॉलर की योजना में उनकी भूमिका के लिए ‘प्रतिभूतियों और इलेक्ट्रानिक संदेश के माध्यम से धोखाधड़ी करने की साजिश’ और ‘महत्वपूर्ण प्रतिभूति धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया गया है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने व्यावसायिक समूह के मामलों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच की अपनी मांग दोहराई है।