पीपीपी परियोजनाओं की ओर निजी क्षेत्र का आकर्षण बढ़ रहा है: निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली, 03 अक्टूबर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि पिछले पांच वर्षों से सरकार विकास परियोजनाओं के लिए पूंजीगत व्यय में लगातार बढोतरी कर रही है और अब निजी-सरकारी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का आकर्षण भी दिख रहा है। श्रीमती सीतारमण यहां चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (केईसी) का उद्घाटन भाषण देने के बाद एक सवाल का जवाब दे रही थीं। वित्त मंत्रालय के सहयोग से इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनामिक ग्रोथ (आईईजी) द्वारा आयोजित ‘गहन वैश्विक अनिश्चिताओं के दौर में समृद्धि’ विषय पर तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देश विदेश के अर्थशास्त्री, विशेषज्ञ, नीति निर्माता और वैश्विक संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस समय पुरानी विश्व व्यवस्था के पैर की जमीन इतनी तेजी से खिसक रही है कि आगे क्या होगा, इसका सही अुमान लगाना कठिन है। पर उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपने बूते खड़ी है इसलिए इस दौर में भी इसका प्रदर्शन मजबूत है। उन्होंने सम्मेलन से ऐसे सुझाओं ओर सिफारिशों की उम्मीद की जिसमें ऐसी बहु ध्रुवीय व्यवस्था को मजबूत किया जा सके जो गलाकाट होड़ की जगह सहयोग को बढ़ाने वाली हो तथा भारत जैसा विकासशील देश नई विश्व व्यवस्था के आयाम तय करने में अपनी भूमिका भी निभा सकें। उन्होंने अपने संबोधन के बाद एक सवाल के जबाब में कहा कि भारत सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) का कितना प्रतिशत पूंजी निवेश पर खर्च करने का लक्ष्य रखता, इसके लिए वह कोई अंक प्रस्तुत करना ठीक नहीं मातनी पर पिछले पांच साल से सरकारी पूंजीगत निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकारी पूंजीगत निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि अब दिख रहा है कि निजी क्षेत्र भी पूंजी निवेश बढ़ाने में रूचि ले रहा है। पीपीपी परियोजनाओं के प्रति उसका आकर्षण दिखायी दे रहा है। श्रीमती सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार राज्यों को भी अपने-अपने क्षेत्र में अपनी जरूरत के हिसाब से विकास की परियोजाओं के विकास के लिए पूंजीगत व्यय के लिए मदद कर रही है। प्रयास है कि देश के हर क्षेत्र में निवेश बढे़। अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा, “…भू-राजनीतिक संघर्ष तेज़ हो रहे हैं। प्रतिबंध, प्रशुल्क और अलगाव की रणनीतियाँ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बदल रही हैं। इनसे जहां भारत की कुछ कमजोरियां उजागर हुई हैं वहीं देश की मजबूती भी उजागर हुई है। यह दिखा है कि झटकों को झेलने की हमारी क्षमता मज़बूत है।” उन्होंने कहा कि इन अनिश्चितताओं के बीच हमें चुनाव यह तय करना है कि हमारी यह मजबूती और जुझारूपन हमें विकसित हो रही नई बहुध्रुवीय व्यवस्था में हमारे नेतृत्व का आधार बनेगा या यह केवल अनिश्चितताओं के समक्ष सुरक्षा कवच की भूमिका में रहेगा। इसलिए निष्कर्षतः, इतिहास हमें सिखाता है कि संकट अक्सर नवीनीकरण से पहले आते हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “इस समय हम जो विखराव देख रहे हैं, वह सहयोग के अधिक स्थायी और अप्रत्याशित रूपों को जन्म दे सकता है। चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि समावेशी सिद्धांत के आधार पर सहयोग की नई व्यवस्थाओं को ढाला जा सके। विकासशील देशों के लिए, यह केवल एक रोमांटिक आकांक्षा नहीं बल्कि आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने कहा, “हम अभूतपूर्व परिवर्तनों और अनिश्चितताओं के इस दौर में हाथ-पर हाथ धर कर बैठने का जोखिम नहीं उठा सकते। ऐसी दुनिया में घटना कहीं भी हो, फैसले कहीं भी हों वे हमारी नियति निर्धारित करते हैं, इस लिए हमें उनमें सक्रिय भागीदार बनना होगा, जहाँ संभव हो परिणामों को आकार देना होगा और जहाँ आवश्यक हो, अपनी स्वायत्तता की हिफाजत करनी होगी।”

सिंगापुर के पीएम से मिले पीयूष गोयल, एआई से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने पर हुई बातचीत

नई दिल्ली, 03 अक्टूबर : केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ने के लिए एआई से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने पर बातचीत की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस बैठक में हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने, साथ ही भविष्य में विकास की गति को बढ़ाने पर चर्चा की गई है। वोंग ने जवाब देते हुए कहा कि इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने से लेकर एआई जैसी उभरती तकनीक तक हमारी आर्थिक साझेदारी को गहरा करने पर अच्छी चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री गोयल ने सिंगापुर एयरलाइंस इंजीनियरिंग कंपनी (एसआईएईसी) के सीईओ चिन याउ सेंग से भी मुलाकात की और विमानन रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) क्षेत्र में भारत-सिंगापुर सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की। केंद्रीय मंत्री ने एक अलग पोस्ट में सोशल मीडिया पर बताया कि इस बैठक में भारत के बढ़ते एयरोस्पेस इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और वैश्विक संपर्क बढ़ाने के लिए इनोवेशन, स्किल डेवलपमेंट और इन्वेस्टमेंट में साझेदारी के नए रास्ते तलाशे गए। केंद्रीय मंत्री ने कैपिटलैंड इन्वेस्टमेंट के ग्रुप सीईओ ली ची कून और वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक मनोहर खियातानी से भी मुलाकात की। चर्चा भारत में सतत शहरी विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार (विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और डेटा सेंटरों के क्षेत्र में) को आगे बढ़ाने पर केंद्रित थी। उन्होंने पोस्ट किया, “रणनीतिक सहयोग के माध्यम से भारत की विकास गाथा को आगे बढ़ाने के नए अवसरों की भी खोज की गई।” पिछले महीने, वोंग ने नई दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी और हाल ही में आयोजित तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के परिणामों और सीमा पार डेटा प्रवाह और पूंजी बाजारों में सहयोग करने में दोनों देशों की रुचि पर चर्चा की थी। प्रधानमंत्री वोंग ने एक्स पर पोस्ट किया था, “भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ फिर से जुड़कर खुशी हुई। हमने हाल ही में आयोजित तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के परिणामों और सीमा पार डेटा प्रवाह और पूंजी बाजारों पर सहयोग करने में हमारी रुचि पर चर्चा की।” उन्होंने आगे कहा, “सिंगापुर और भारत के लिए अपने वित्तीय और डिजिटल संबंधों को और मजबूत करने की अपार संभावनाएं हैं।”

भारत अपनी मजबूत आर्थिक बुनियाद से अनिश्चितता में भी जुझारू बना रहाः सीतारमण

पुणे, 25 सितंबर : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत अपने मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी पहलुओं के दम पर जुझारूपन दिखाने में सफल रहा है। सीतारमण ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 91वें स्थापना दिवस समारोह में कहा कि पिछले एक वर्ष में वैश्विक माहौल में अनिश्चितता बढ़ी है और उसका असर विभिन्न देशों पर महसूस किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इन सबके बीच भारत की मजबूती अलग नजर आती है। मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियाद, युवा जनसंख्या और घरेलू मांग पर अधिक निर्भरता भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य ताकत है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भी यह मजबूती बनी रही और इस अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा, ‘‘यह महज संयोग नहीं है। यह सक्रिय राजकोषीय एवं मौद्रिक नीतियों, साहसिक संरचनात्मक सुधारों, बड़े पैमाने पर भौतिक एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण, बेहतर शासन और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि का परिणाम है।’’ इस मौके पर वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अधिक ऋण देने पर जोर दिया। उन्होंने बैंकों से शिक्षा ऋण को भी प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा कि शिक्षा ऋण का कोई भी आवेदन अस्वीकार नहीं होना चाहिए। नागराजू ने बैंकों से कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में ऋण प्रवाह बढ़ाने का आग्रह किया। हालांकि इसके साथ उन्होंने कर्ज की गुणवत्ता को लेकर सतर्क रहने के लिए भी कहा।

ट्रूऑल्ट बायोएनर्जी का 839 करोड़ का आईपीओ लॉन्च, 29 सितंबर तक कर सकते हैं आवेदन

नई दिल्ली, 25 सितंबर: एथेनॉल जैसे बायोफ्यूल का उत्पादन करने वाली कंपनी ट्रूऑल्ट बायोएनर्जी का 839.28 करोड़ रुपये का आईपीओ आज सब्सक्रिप्शन के लिए लॉन्च कर दिया गया। इस आईपीओ में 29 सितंबर तक बोली लगाई जा सकती है। आईपीओ के तहत 750 करोड़ रुपये के 1.51 करोड़ नए शेयर जारी हो रहे हैं। इसके साथ ही 89.88 करोड़ रुपये के 18 लाख शेयरों को ऑफर फॉर सेल विंडो के जरिये भी बेचा जा रहा है। इश्यू की क्लोजिंग के बाद 30 सितंबर को शेयरों का अलॉटमेंट किया जाएगा। कंपनी के शेयर 3 अक्टूबर को बीएसई और एनएसई पर लिस्ट होंगे। आईपीओ में बोली लगाने के लिए 472 रुपये से लेकर 496 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया गया है। ट्रूऑल्ट बायोएनर्जी के इस आईपीओ में रिटेल इनवेस्टर्स कम से कम 30 शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं, जिसके लिए उन्हें 14,880 रुपये का निवेश करना होगा। आईपीओ खुलने से एक दिन पहले बुधवार को ट्रूऑल्ट बायोएनर्जी ने एंकर इनवेस्टर्स से 252 करोड़ रुपये जुटाए। इन एंकर इनवेस्टर्स में टाटा म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, बंधन म्यूचुअल फंड, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी, सोसाइटी जनरल और सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट मॉरीशिस के नाम शामिल हैं। इस आईपीओ में क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए 50 प्रतिशत हिस्सा रिजर्व किया गया है। इसके अलावा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए 35 प्रतिशत हिस्सा और नॉन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (एनआईआई) के लिए 15 प्रतिशत हिस्सा रिजर्व है। इस इश्यू के लिए डीएएम कैपिटल एडवाइजर्स और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स को बुक रनिंग लीड मैनेजर बनाया गया है। बिगशेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को रजिस्ट्रार बनया गया है। कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें, तो प्रॉस्पेक्टस में किए गए दावे के मुताबिक की वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी की आय 2023-24 की आय 1,280.19 करोड़ रुपये की तुलना में 54 प्रतिशत बढ़ कर 1,968.53 करोड़ रुपये हो गई। इसी तरह कंपनी का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024-25 में 361 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 146.64 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 31.81 करोड़ रुपये था। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 में ईबीआईटीडीए (अर्निंग बिफोर इंट्रेस्ट, टैक्सेज, डिप्रेशिएशंस एंड एमॉर्टाइजेशन) 309.14 करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 188.09 करोड़ रुपये था। कंपनी पर कुल कर्ज की बात करें तो इसमें कमी आई है। वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर में कंपनी पर 1,684.68 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 2024-25 में घट कर 1,549.68 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया।

भारत में आईफोन 17 की बिक्री शुरू: एपल स्टोर के बाहर उमड़ी खरीदारों की भीड़

मुंबई/नई दिल्ली, 19 सितंबर: बहुप्रतीक्षित आईफोन 17 शृंखला की बिक्री आज, 19 सितंबर 2025 से भारत में शुरू हो गई है। वैश्विक तकनीकी दिग्गज कंपनी एपल के इस नए फोन को लेकर ग्राहकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। दिल्ली और मुंबई के प्रमुख एपल स्टोरों के बाहर तड़के से ही लंबी कतारें लग गईं, जहां प्रशंसक अपने पसंदीदा डिवाइस को सबसे पहले खरीदने के लिए घंटों से प्रतीक्षा कर रहे थे। महानगरों में आईफोन का क्रेज मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) स्थित एपल स्टोर पर सैकड़ों लोग फोन खरीदने के लिए कतार में खड़े नजर आए। कई खरीदारों ने बताया कि वे सुबह-सुबह से ही अपनी जगह सुनिश्चित करने के लिए पहुंच गए थे, जबकि कुछ ने पहले ही ऑनलाइन बुकिंग कर रखी थी। अहमदाबाद से आए एक ग्राहक रमेश ने बताया, “मैं हर वर्ष नए आईफोन के लिए आता हूँ। आज सुबह 4 बजे से ही पंक्ति में खड़ा हूँ।” एक अन्य ग्राहक ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन समीक्षाओं में आईफोन 17 की खूब सराहना देखी है और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें फोन मिल जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। साकेत के सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल में स्थित एपल स्टोर पर ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ी। कई लोग मध्यरात्रि से ही कतार में लग गए थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्टोर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था को और भी चाक-चौबंद किया गया था। आईफोन 17 शृंखला की मुख्य विशेषताएँ 9 सितंबर को लॉन्च हुई आईफोन 17 शृंखला में चार मॉडल शामिल हैं: आईफोन 17, आईफोन 17 प्रो, आईफोन 17 प्रो मैक्स और आईफोन 17 एयर। इनमें से प्रो और प्रो मैक्स मॉडल विशेष रूप से चर्चा में हैं। दोनों फोन ए19 प्रो चिप पर आधारित हैं, जो 3एनएम तकनीक से निर्मित है। इस चिप में 6-कोर सीपीयू, 6-कोर जीपीयू और 16-कोर न्यूरल इंजन है। प्रो मॉडल में 6.3 इंच और प्रो मैक्स में 6.9 इंच का सुपर रेटिना एक्सडीआर ओएलईडी डिस्प्ले है, जिसकी अधिकतम चमक 3000 निट्स तक जाती है। आईफोन 17 प्रो मैक्स को अब तक का सबसे शक्तिशाली बैटरी बैकअप वाला आईफोन माना जा रहा है। दोनों प्रो मॉडल 40 वॉट की तीव्र चार्जिंग को समर्थन देते हैं, जिससे यह मात्र 20 मिनट में 50% तक चार्ज हो जाते हैं। कैमरे की बात करें तो, इसमें तीन 48 मेगापिक्सल के सेंसर दिए गए हैं, जबकि प्रो मैक्स में 8x ऑप्टिकल और 40x डिजिटल ज़ूम की सुविधा है। इसका फ्रंट कैमरा 18 मेगापिक्सल का है, जो दोहरी रिकॉर्डिंग और पोर्ट्रेट मोड का समर्थन करता है। मानक आईफोन 17 में ए19 चिप और 6.3 इंच का डिस्प्ले है, जो 120 हर्ट्ज़ रिफ्रेश दर को समर्थन देता है। इसमें दोहरे 48 मेगापिक्सल के पिछले कैमरे और 18 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है। यह फोन आईपी68 जल और धूल प्रतिरोधी है और इसकी भंडारण क्षमता 256 जीबी से शुरू होती है। आईफोन 17 एयर को अब तक का सबसे पतला आईफोन बताया जा रहा है, जिसकी मोटाई मात्र 5.6 मिलीमीटर है। इसमें 6.5 इंच का 120 हर्ट्ज़ डिस्प्ले, ए19 प्रो चिप और एक नया सी1एक्स मोडेम है। फोन में 48 मेगापिक्सल का पिछला और 18 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है। इसकी बैटरी 27 घंटे तक वीडियो प्लेबैक देती है और 30 मिनट में 50% चार्ज हो जाती है। आईफोन 17 शृंखला की कीमत आईफोन 17 मानक: 82,900 रुपये से शुरू आईफोन 17 प्रो: 1,34,900 रुपये से शुरू आईफोन 17 प्रो मैक्स: 1,49,900 रुपये से शुरू आईफोन 17 एयर: 1,19,900 रुपये से शुरू नए और उन्नत विशेषताओं के साथ, आईफोन 17 शृंखला ने भारतीय बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ग्राहकों का उत्साह इसकी लोकप्रियता को और भी बढ़ा रहा है।

दुनिया में पहले नंबर पर पहुंचने की क्षमता रखता है भारतीय वाहन उद्योग : गडकरी

नई दिल्ली, 11 सितंबर : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि भारतीय वाहन उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है और इसमें दुनिया में पहले नंबर पर पहुंचने की क्षमता है। श्री गडकरी ने यहां घरेलू वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के वार्षिक अधिवेशन में कहा कि कुछ साल पहले भारतीय वाहन उद्योग दुनिया में सातवें स्थान पर था, आज हम जापान को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच गये हैं। उन्होंने कहा, “मेरा विश्वास है आप सब लोगों की क्षमता पर। आप सब लोग यदि मिलकर काम करेंगे तो हम वाहन सेक्टर में दुनिया में नंबर एक पर जा सकते हैं। पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का प्रधानमंत्री का जो सपना है उसमें इस उद्योग की भूमिका सबसे अहम है।” एक संवाद सत्र में उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण में 40 प्रतिशत वाहनों के कारण होता है। सरकार अब प्रदूषण कम करने के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा बीएस सात मानक लाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने उद्योग से कहा कि सरकार कुछ अलग नहीं करेगी, यह भी यूरोपीय मानक के अनुरूप ही होगा। पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के बारे में श्री गडकरी ने कहा कि ई20 (20 प्रतिशत मिश्रण) से आगे कोई कदम उठाते समय वाहन उद्योग से भी चर्चा की जायेगी। उन्होंने सोशल मीडिया पर ई20 के खिलाफ पिछले दिनों चलाये गये अभियान को “पेड” बताते हुये कहा कि कहने को तो यह अभियान इथेनॉल के खिलाफ था लेकिन राजनीतिक रूप से यह उन्हें निशाना बनाने के लिए था। उन्होंने कहा कि इथेनॉल पेट्रोलियम आयात का विकल्प है, इससे प्रदूषण कम होता है और किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला है। उन्होंने वाहन उद्योग से वाहन परीक्षण केंद्र स्थापित करने और स्क्रैपिंग को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि वह पुराने वाहन को स्क्रैप करके नये वाहन खरीदने वालों के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में छूट पर भी सरकार के अंदर पैरवी कर रहे हैं। देश में हर साल 60 लाख टन स्क्रैप स्टील का आयात किया जाता है जबकि नयी स्क्रैप नीति लाने के बाद अब 3.76 लाख टन स्क्रैप स्टील की घरेलू आपूर्ति हो रही है।

जीएसटी दरों में व्यापक सुधारों को मंजूरी, दैनिक इस्तेमाल के सामान पर दरें घटीं

-तंबाकू उत्पादों और सिगरेट को छोड़कर जीएसटी दरें 22 सितंबर से होंगी प्रभावी प्रधानमंत्री ने कहा- जीएसटी में व्यापक सुधार नागरिकों के जीवन में hai लाएंगे सुधार नई दिल्‍ली, 04 सितंबर : जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति से माल एवं सेवा करy जीएसटी में व्यापक सुधारों को मंजूरी दे दी है। इन सुधारों के तहत साबुन, साइकिल, टीवी और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पॉलिसी जैसे आम उपयोग के उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम की गई हैं। छेना, पनीर, रोटी और पराठा पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा। इसके अलावा जीवन रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी शून्य होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी में पांच फीसदी और 18 फीसदी की दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दी गई है। उन्‍होंने बताया कि गुटखा, तंबाकू और तंबाकू उत्पादों तथा सिगरेट को छोड़कर सभी उत्पादोंy पर नई दरें 22 सितंबर यानी नवरात्रि के पहले दिन से लागू होंगी। सीतारमण ने बताया कि जीएसटी में व्यापक सुधारों के तहत बाल में लगाने वाले तेल, साबुन, साइकिल आम और मध्यम वर्ग की वस्तुओं परy जीएसटी की दर 12 फीसदी या 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। उन्‍होंने बताया कि जीएसटी परिषद ने लोगों को राहत देते हुए रोजमर्रा के उपयोग वाले सामानों पर जीएसटी दरों में कटौती की है।y उन्‍होंने कहा कि व्यक्तिगत जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी से छूट मिलेगी। वित्‍त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा छोटी कारों और 350 सीसी तक के दोपहिया वाहनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। तिपहिया वाहन पर भी अब 18 फीसदी कर लगेगा। उन्होंने कहा कि तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर जीएसटी 40 फीसदी की विशेष दर से लगेगा। सीतारमण ने कहा, ‘‘यह केवल जीएसटी में सुधार नहीं है, बल्कि संरचनात्मक सुधारों और लोगों की जीवन को सुगम बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।’’ वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने कहा, जहां तक जूतों का सवाल है, पहले दो दरें थीं। 1000 रुपये से कम कीमत वाले जूतों पर 12 फीसदी और 1000 रुपये से ज्‍यादा कीमत वाले जूतों पर 18 फीसदी कर लगता था। लेकिन, अब 2500 रुपये से कम कीमत वाले जूतों पर 5 फीसदी और 2500 रुपये से ज्‍यादा कीमत वाले जूतों पर 18 फीसदी टैक्‍स लगेगा। उन्‍होंने बताया कि छोटी कारों पर 18 फीसदी कर लगेगा और बाकी सभी कारों पर 40 फीसदी टैक्‍स लगेगा। श्रीवास्‍तव ने मीडिया को बताया कि पेट्रोल इंजन 1200 सीसी और डीजल इंजन 1500 सीसी का होता है और इसके साथ ही लंबाई की भी सीमा हो सकती है। नियमों के मुताबिक छोटी कारों पर 18 फीसदी कर लगेगा। उन्‍होंने कहा कि हम इसके लिए अलग से कोई नई परिभाषा नहीं बना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा मंज़ूर किए गए व्यापक सुधार नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएंगे। इससे कारोबार करना आसान करेंगे, विशेष रूप से छोटे व्यापारियों और उद्यमों के लिए आसानी होगी। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पोस्ट पर जारी बयान में कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने और प्रक्रियागत सुधारों के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका उद्देश्य आम आदमी के जीवन को आसान बनाना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।

जीएसटी दर सुधार पर परिषद की बैठक शुरू; तेदेपा का समर्थन, विपक्षी दलों ने राजस्व संरक्षण की मांग की

नई दिल्ली, 03 सितंबर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर विचार-विमर्श बुधवार को शुरू किया गया। प्रस्तावित सुधारों में मौजूदा 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के कर स्लैब को हटाकर केवल पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो कर दरें रखना प्रमुख है। इसके अलावा कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर से कर लिया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार 12 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली 99 प्रतिशत वस्तुएं जैसे मक्खन, फलों के रस और सूखे मेवे पांच प्रतिशत कर दर में आ जाएंगी। इसके अलावा घी, मेवे, पीने का पानी (20 लीटर), नमकीन, कुछ जूते और परिधान, दवाइयां और चिकित्सकीय उपकरण जैसी ज्यादातर आम इस्तेमाल की वस्तुओं को 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत कर स्लैब में लाने की संभावना है। पेंसिल, साइकिल, छाते से लेकर हेयर पिन जैसी आम उपयोग की वस्तुओं को भी पांच प्रतिशत के स्लैब में लाया जा सकता है। कुछ श्रेणी के टीवी, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतों में कमी होने की भी संभावना है, क्योंकि इन पर मौजूदा 28 प्रतिशत की तुलना में 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा सकता है। वाहनों पर इस समय 28 प्रतिशत की उच्चतम दर और क्षतिपूर्ति उपकर लागू है, लेकिन अब उन पर अलग-अलग दरें लागू हो सकती हैं। शुरुआती स्तर की कारों पर 18 प्रतिशत की दर लागू होगी जबकि एसयूवी व लक्जरी कारों पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। इसके अलावा 40 प्रतिशत की विशेष दर अवगुणों से संबंधित वस्तुओं, जैसे तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर भी लागू होगी। इस श्रेणी के लिए इस दर के ऊपर एक अतिरिक्त कर भी लगाया जा सकता है। पश्चिम बंगाल जैसे विपक्षी राज्यों ने मांग की है कि 40 प्रतिशत की दर के ऊपर लगाया गया कोई भी कर राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए, ताकि उनके राजस्व घाटे की भरपाई की जा सके। विपक्षी दलों के शासन वाले आठ राज्यों में हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। वहीं आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि उनका राज्य केंद्र के जीएसटी दर प्रस्तावों का समर्थन कर रहा है। तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की सहयोगी है। केशव ने परिषद की बैठक से पहले पत्रकारों से कहा, ‘‘एक गठबंधन सहयोगी के तौर पर हम जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के केंद्र के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। यह आम आदमी के हित में है।’’

भारत-जापान का रिश्ता ‘मेड फॉर ईच अदर’ वाला : प्रधानमंत्री मोदी

अहमदाबाद/नई दिल्ली, 26 अगस्त: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात में मारुति सुजुकी ई-विटारा इलेक्ट्रिक एसयूवी और हाइब्रिड बैटरी यूनिट का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने भारत और जापान के मजबूत संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते ‘मेड फॉर ईच अदर’ वाले हैं। भारत-जापान के बीच ‘पीपल टू पीपल’ कनेक्ट बढ़ा है। स्किल और ह्यूमन रिसोर्स से जुड़ी एक-दूसरे की जरूरतों को भी हम पूरा कर पा रहे हैं। आने वाले वर्षों में सभी प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर प्रगति की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि आज के प्रयास 2047 तक एक विकसित भारत की नींव मजबूत करेंगे। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त करते हुए समापन किया कि जापान इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक विश्वसनीय भागीदार बना रहेगा। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि वह अगले हफ्ते जापान जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जापान के बीच संबंध सिर्फ कूटनीतिक संबंधों से कहीं आगे तक फैले हैं, यह संस्कृति और आपसी विश्वास पर आधारित है। दोनों देश एक-दूसरे के विकास में अपनी प्रगति देखते हैं। मारुति सुजुकी के साथ शुरू हुआ सफर अब बुलेट ट्रेन की गति तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भारत-जापान साझेदारी की औद्योगिक क्षमता को साकार करने की प्रमुख पहल गुजरात में शुरू हुई थी। अतीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 साल पहले जब वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन शुरू हुआ था, तब जापान एक प्रमुख साझेदार था। उद्योग से जुड़े नियम और कानून जापानी भाषा में छपवाए गए, ताकि उन्हें समझना आसान हो। उन्होंने गोल्फ के प्रति जापानियों के लगाव की सराहना की और बताया कि उनके हितों को ध्यान में रखते हुए 7-8 नए गोल्फ कोर्स विकसित किए गए हैं। पीएम मोदी ने आगे बताया कि भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय अब जापानी भाषा की शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के निरंतर प्रयास भारत और जापान के लोगों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत कर रहे हैं। दोनों देश अब कौशल विकास और मानव संसाधन के क्षेत्र में एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं।” उन्होंने मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों से ऐसी पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेने और युवा आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का आग्रह किया। ओसामु सुजुकी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार को उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का गौरव प्राप्त हुआ था। उन्हें मारुति सुजुकी इंडिया के लिए ओसामु सुजुकी के विजन के व्यापक विस्तार को देखकर प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने बताया कि सुजुकी जापान भारत में निर्माण कर रही है और यहां उत्पादित वाहनों का निर्यात जापान को किया जा रहा है। यह न सिर्फ भारत-जापान संबंधों की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक कंपनियों के भारत में बढ़ते विश्वास को भी दर्शाता है। मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां प्रभावी रूप से ‘मेक इन इंडिया’ की ब्रांड एंबेसडर बन गई हैं। यह उल्लेख करते हुए कि मारुति सुजुकी लगातार 4 वर्षों से भारत की सबसे बड़ी कार निर्यातक रही है, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि आज से इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात भी उसी पैमाने पर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के दर्जनों देशों में चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर गर्व से ‘मेड इन इंडिया’ का लेबल लगा होगा। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा, “भारत के पास डेमोक्रेसी की मजबूती और डेमोग्राफी का लाभ है। भारत में कुशल कार्यबल का एक विशाल भंडार भी है, जो प्रत्येक भागीदार के लिए जीत की स्थिति पैदा करता है।” भारत की सफलता की कहानी के बीज 12-13 साल पहले बोए गए थे। यह याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2012 में उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान हंसलपुर में मारुति सुजुकी को जमीन आवंटित की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उस समय भी, आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का विजन था। उन्होंने कहा कि वे शुरुआती प्रयास अब देश के वर्तमान संकल्पों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सभी मिलकर आगे बढ़ाएं और वोकल फॉर लोकल बनें। उन्होंने कहा कि स्वदेशी चीजें ही जीवन मंत्र बननी चाहिए। गर्व से स्वदेशी चीजों की तरफ चल पड़ो। उन्होंने कहा, “मेरी स्वदेशी की व्याख्या बहुत साधारण है। पैसा किसका लगता है, उससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है। चाहे वह डॉलर हो, पाउंड हो या करेंसी काली हो या गोरी, इससे लेना-देना नहीं है, लेकिन जो प्रोडक्शन है, उसमें पसीना मेरे देशवासियों का होगा। जो प्रोडक्शन होगा, उसमें महक मेरे देश की मिट्टी की होगी। इस भाव के साथ मेरे साथ चलें और 2047 में ऐसा हिंदुस्तान बनाएं कि आने वाली पीढ़ियां आपके त्याग का गर्व करेंगी। आपके योगदान का गर्व करेंगी।” प्रधानमंत्री ने सबसे आखिरी में कहा, “आत्मनिर्भर भारत के मंत्र और स्वदेशी के मार्ग के लिए आज देशवासियों को न्योता देता हूं कि आइए, सभी चल पड़ें और 2047 तक विकसित भारत बनाकर रहेंगे। दुनिया की भलाई में भारत का योगदान बढ़ाते रहेंगे।”

भारत में चीनी मिलों का राजस्व वित्त वर्ष 2026 में 8 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 16 जुलाई : सामान्य से बेहतर मानसून के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में बेहतर उपज की उम्मीदों के साथ, इस वर्ष चीनी उत्पादन में 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में इंटीग्रेटेड चीनी मिलों का राजस्व 6-8 प्रतिशत तक बढ़ेगा, जिसे बिक्री की मात्रा में वृद्धि, मजबूत घरेलू चीनी कीमतों और अधिक डिस्टिलरी उत्पादन के साथ-साथ मदद मिलेगी। इसके बावजूद, अगर इथेनॉल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो वित्त वर्ष 2026 में चीनी मिलों के परिचालन लाभ मार्जिन में मामूली वृद्धि होगी। चीनी क्षेत्र के राजस्व में अपेक्षित सुधार, स्थिर लाभप्रदता और आरामदायक ऋण कवरेज मानकों के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) सहित सरकार के नीतिगत समर्थन की वजह से आईसीआरए का इस क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण ‘स्थिर’ बना हुआ है। अपेक्षित घरेलू चीनी उत्पादन और कीमतों पर टिप्पणी करते हुए, आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, गिरीशकुमार कदम ने कहा, “आईसीआरए का अनुमान है कि सामान्य से बेहतर मानसून और प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ने के रकबे और उपज में अपेक्षित सुधार के बीच, चीनी के लिए सकल चीनी उत्पादन वर्ष 2025 के 29.6 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2026 में 34.0 मिलियन टन (एमटी) हो जाएगा।” 4 मिलियन मीट्रिक टन इथेनॉल उत्पादन की ओर अनुमानित डायवर्जन के बाद, शुद्ध चीनी उत्पादन 2025 के 26.2 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2026 में 30.0 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 2026 में इथेनॉल की ओर डायवर्जन में अपेक्षित वृद्धि के बावजूद, क्लोजिंग शुगर स्टॉक कंफर्टेबल रहने की संभावना है। इसके अलावा, घरेलू चीनी की कीमतें, जो वर्तमान में 39-41 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं, अगले सीजन की शुरुआत तक स्थिर रहने की उम्मीद है, जिससे मिलों की लाभप्रदता को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 30 सितंबर, 2025 तक क्लोजिंग शुगर स्टॉक लगभग 52 लाख मीट्रिक टन होगा, जो 30 सितंबर, 2024 तक 80 लाख मीट्रिक टन के चीनी स्टॉक से कम है। यह दो महीने की खपत के बराबर होगा। अनुमान के अनुसार अगर घरेलू खपत और निर्यात कोटा वित्त वर्ष 2025 के समान ही रहता है तो 30 सितंबर, 2026 तक अंतिम स्टॉक बढ़कर 63 लाख मीट्रिक टन (लगभग 2.5 महीने की खपत) हो जाने की उम्मीद है। कदम ने कहा, “हाल के महीनों में भारत सरकार द्वारा निर्धारित 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग टारगेट हासिल करने के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग का रुझान उत्साहजनक बना हुआ है। इसके अलावा, सरकार ब्लेंडिंग टारगेट को 20 प्रतिशत से आगे बढ़ाने के विकल्प पर विचार कर रही है, जिससे डिस्टिलरी को मदद मिलेगी।”