प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे मॉरीशस, हुआ भव्य स्वागत

पोर्ट लुइस/नई दिल्ली, 11 मार्च: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह पोर्ट लुइस पहुंचे। श्री मोदी का सर शिवसागर रामगुलाम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम, उनकी पत्नी वीना रामगुलाम और सरकार के कई शीर्ष अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाया। इसके बाद मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने श्री मोदी का माला पहनाकर स्वागत किया। श्री मोदी का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे पर मौजूद अन्य लोगों में उप प्रधानमंत्री पॉल बेरेंजर, विदेश मंत्री रितेश रामफुल, विपक्षी नेता जो लेसजोंगर्ड, नेशनल असेंबली की स्पीकर शिरीन ऑमेरुड्डी-सिफ़्रा और मुख्य न्यायाधीश रेहाना मुंगली-गुलबुल शामिल थे। रेहाना मुंगली मॉरीशस सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी को हवाई अड्डे पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद उनका औपचारिक रूप से मॉरीशस सरकार के वरिष्ठ सदस्यों से परिचय कराया गया। श्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अपने मॉरीशस समकक्ष द्वारा स्वागत के विशेष भाव के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा ‘मॉरीशस में उतरा। मैं अपने मित्र प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम का हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के विशेष भाव के लिए आभारी हूँ। ‘यह यात्रा एक मूल्यवान मित्र के साथ जुड़ने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशने का एक शानदार अवसर है।’ श्री मोदी ने पोस्ट में कहा ‘आज मैं राष्ट्रपति धरम गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम से मिलूंगा और शाम को एक सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित करूंगा।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक्स पर पोस्ट किया: ‘नमस्ते मॉरीशस’ ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मॉरीशस में गर्मजोशी और उत्साहपूर्ण स्वागत किया गया! ‘एक विशेष भाव के रूप में प्रधानमंत्री डा रामगुलाम ने हवाई अड्डे पर गर्मजोशी से स्वागत किया।’ प्रधानमंत्री श्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पर हैं। इस दौरान वे मुख्य अतिथि के रूप में मॉरीशस राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लेंगे और प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ बातचीत भी करेंगे। वे भारतीय सहायता से शुरू की गई कई विकास परियोजनाओं का औपचारिक रूप से उद्घाटन भी करेंगे और वहां भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे। 2015 में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पिछली यात्रा के बाद यह श्री मोदी की मॉरीशस की दूसरी आधिकारिक यात्रा है। श्री मोदी 1998 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य के रूप में मॉरीशस आए थे। श्री मोदी मॉरीशस में 33 घंटे बिताएंगे। वह हवाईअड्डे से द ओबेरॉय इन पॉइंट-ऑक्स-पिमेंट्स होटल के लिए रवाना हुएl

ट्रंप ने इजरायली बंधकों की रिहाई को लेकर हमास को दी ‘आखिरी चेतावनी’

वाशिंगटन, 06 मार्च : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराजली बंधकों की रिहाई को लेकर आज हमास को ‘आखिरी चेतावनी’ दी है। श्री ट्रंप ने सोशल प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर एक पोस्ट में लिखा, “मैं इजराजल को वह सब कुछ भेज रहा हूं जो उसे काम पूरा करने के लिए चाहिए, अगर मेरी बात नहीं मानेंगे तो हमास का एक भी सदस्य सुरक्षित नहीं रहेगा।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने पोस्ट में लिखा, “शालोम हमास का इसका अर्थ है नमस्ते और अलविदा – आप दोनों में से किसी एक को चुन सकते हैं। सभी बंधकों को अभी रिहा करें, बाद में नहीं, और जिन लोगों की आपने हत्या की है, उनके शवों को तुरंत लौटा दें, अन्यथा आपके लिए सब खत्म हो जाएगा। केवल बीमार और विकृत मानसिकता के लोग ही शवों को रखते हैं, और आप ऐसा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मैं इजरायल को वह सब कुछ भेज रहा हूँ जो उसे काम पूरा करने के लिए चाहिए, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो हमास का एक भी सदस्य सुरक्षित नहीं रहेगा। मैं अभी आपके पूर्व बंधकों से मिला हूँ, जिनकी ज़िंदगी आपने बर्बाद कर दी है। यह आपको आखिरी चेतावनी है।” उन्होंने नागरिकों को भी धमकाते हुए कहा, “साथ ही, गाजा के लोगों के लिए कहा कि उनके लिए एक सुंदर भविष्य उनका इंतजार कर रहा है, लेकिन तब नहीं जब आप बंधकों को रखेंगे, अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप ख़त्म हो जाएंगे। समझदारी से फैसला लें। बंधकों को अभी रिहा करें, नहीं तो बाद में आपको बहुत कुछ भुगतना पड़ेगा।” श्री ट्रंप की ओर से यह पोस्ट व्हाइट हाउस में इजरायली बंधकों के एक समूह से मुलाकात के बाद आया है, जिन्हें हाल ही में युद्धविराम के तहत रिहा किया गया था।

ऑस्ट्रेलिया यूक्रेन में शांति सेना भेजने के लिए तैयार : प्रधानमंत्री अल्बानीज

कैनबरा, 04 मार्च : ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बहुराष्ट्रीय शांति सेना के हिस्से के रूप में यूक्रेन में सैनिक भेजन के प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया जब यूरोपीय देश किसी भी शांति समझौते को लागू करने के लिए ‘इच्छुक लोगों का गठबंधन’ बनाने पर विचार कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने जोर देकर कहा कि अभी कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है, न ही ऑस्ट्रेलिया से सैनिकों की मदद के लिए कहा गया। उन्होंने कहा, “हमसे कुछ भी नहीं मांगा गया है। प्रस्तावों पर चर्चा की जा रही है। अगर कोई अनुरोध किया जाता है, तो हम उस पर विचार करेंगे।” सिडनी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री अल्बानीज ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया यूक्रेन की मदद के लिए तैयार है। हमने 1.5 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है, जिसमें 1.3 बिलियन डॉलर सीधे सैन्य सहायता के लिए हैं।’ ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा, “इस समय संभावित शांति स्थापना मिशन के बारे में चर्चा चल रही है, मेरी सरकार के दृष्टिकोण से, हम आगे बढ़ने वाले किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने ऐतिहासिक रूप से शांति स्थापना के कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’ अल्बानीज ने कहा, “हम यूक्रेन में शांति देखना चाहते हैं, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन और उनके साम्राज्यवादी डिजाइनों को पुरस्कृत या प्रोत्साहित न किया जाए।” यूरोपीय नेता यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौते को लागू करने और कीव की मदद करने के लिए ‘इच्छुक लोगों के गठबंधन’ बनाने और यूक्रेन में सेना भेजने पर विचार कर रहे हैं। रूस कह चुका है कि वह जमीन पर यूरोपीय सैनिकों की मौजूदगी का विरोध करेगा। पिछले सप्ताह वाशिंगटन में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच टकराव के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और यूक्रेन के बीच दरार बढ़ने के बाद यह यूरोपीय नेता इस संबंध में गंभीरता से सोच रहे हैं। इस बीच कई अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप ने अब यूक्रेन को सभी सहायता तब तक रोक दीy है, जब तक कि रूस के साथ युद्ध को समाप्त करने के लिए ज़ेलेंस्की की प्रतिबद्धता निर्धारित नहीं हो जाती। सिडनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका द्वारा सैन्य सहायता रोकने के बारे में पूछे जाने पर जब एंथनी अल्बानीस से सवाल पूछा गया तो उन्होंने यूक्रेन के प्रति ऑस्ट्रेलिया के समर्थन को दोहराया। उन्होंने अमेरिका को ऑस्ट्रेलिया का एक महत्वपूर्ण सहयोगी बताया।

यूक्रेन के लिए मिसाइलें खरीदने के लिए 1.6 अरब पाउंड के नए सौदे की घोषणा

लंदन, 03 मार्च: ब्रिटिश प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार को घोषणा की कि ब्रिटेन यूक्रेन को 5,000 से अधिक वायु रक्षा मिसाइलों की खरीद के लिए ब्रिटिश निर्यात वित्त के 1.6 अरब पाउंड (2 अरब अमेरिकी डॉलर) का उपयोग करने की अनुमति देगा। लंदन में पश्चिमी नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में स्टार्मर ने कहा, “महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा और यूक्रेन को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा।” उन्होंने कहा, लक्ष्य “यूक्रेन को सबसे मजबूत स्थिति में लाना” है ताकि देश मजबूत स्थिति से बातचीत कर सके। एक दर्जन से अधिक यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों और कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो सहित पश्चिमी नेता यूक्रेन के लिए शांति योजना को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक रक्षा शिखर सम्मेलन के लिए रविवार को लंदन में एकत्र हुए। स्टार्मर ने कहा कि शिखर सम्मेलन में नेता यूक्रेन में शांति की गारंटी के लिए चार-चरणीय योजना पर सहमत हुए है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने ज़ेलेंस्की से की मुलाकात

लंदन, 02 मार्च: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की है। यूक्रेन के वित्त मंत्री रेरही मार्चेंको ने बताया है कि डाउनिंग स्ट्रीट में शनिवार को हुई बैठक के दौरान श्री स्टारमर ने कहा कि यूक्रेन का ‘पूरे ब्रिटेन’ समर्थन करता है। इस दौरान उन्होंने स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन के ‘दृढ़ संकल्प’ पर जोर दिया। श्री मार्चेंको ने बताया कि ब्रिटेन ने यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं का समर्थन करने के लिए 2.26 अरब पाउंड के ऋण पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा श्री ज़ेलेंस्की और श्री स्टार्मर ने ब्रिटिश चांसलर ऑफ़ द एक्सचेकर रेचल रीव्स के साथ मिलकर शनिवार शाम को उनसे (श्रीमार्चेंको) वीडियो कॉन्फ्रेंसिक के जरिये बात की। इस दौरान श्री ज़ेलेंस्की ने श्री स्टार्मर के साथ ‘एक सार्थक और गर्मजोशी भरी बैठक’ की सराहना की और रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही ब्रिटेन द्वारा यूक्रेन को दिखाए गए समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। ऋण समझौते की पुष्टि करते हुए श्री ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह ऋण यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा… धन यूक्रेन में हथियारों के उत्पादन की ओर निर्देशित किया जाएगा।” गौरतलब है कि श्री ज़ेलेंस्की की यात्रा ब्रिटेन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन से पहले हुई है। यूरोपीय नेता रविवार को लंदन में यूक्रेन के लिए शांति योजना पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होंगे। श्री स्टार्मर ने कहा है कि उनका मानना है कि इस तरह के समझौते में अमेरिका को शामिल करना होगा। श्री जेलेंस्की ने शनिवार को लंदन में अपने विमान के उतरने से कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर कहा कि यूक्रेन अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है, लेकिन सुरक्षा गारंटी के बिना युद्ध विराम यूक्रेन के लिए खतरनाक है। उल्लेखनीय है कि श्री ज़ेलेंस्की की ब्रिटेन यात्रा शुक्रवार शाम को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनकी बैठक के बाद हुई, जहाँ दोनों नेताओं के बीच नोंक-झोंक हुयी थी। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के हस्तक्षेप से शुरू हुई, जिन्होंने कहा था कि श्री ज़ेलेंस्की को ट्रम्प के प्रयासों के लिए आभारी होना चाहिए, ताकि उनके देश को रूस के साथ तीन साल के संघर्ष से बाहर निकाला जा सके। सार्वजनिक झड़प के बाद श्री ज़ेलेंस्की को व्हाइट हाउस से जल्दी जाने के लिए कहा गया, जिससे दोनों पक्षों के बीच नियोजित खनिज सौदे पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक मदरसे में विस्फोट में पांच लोगों की मौत और 20 व्यक्ति घायल

पेशावर, 28 फरवरी: रमजान के पवित्र महीने से पहले उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान शक्तिशाली विस्फोट होने से पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। मुख्य सचिव शहाब अली शाह ने बताया कि ‘दारुल उलूम हक्कानिया’ नामक मदरसे में यह विस्फोट हुआ है, जिसमें जमीयत उलेमा इस्लाम (सामी समूह) के प्रमुख और नौशेरा जिले के अकोरा खट्टक स्थित मदरसा-ए-हक्कानिया की देखरेख करने वाले हमीदुल हक हक्कानी की मौत हो गई है। हमीदुल हक के पिता मौलाना समी उल हक की मौत हो जाने के बाद उन्हें जेयूआई (सामी ग्रुप) का प्रमुख बनाया गया था। उनका जन्म 1968 में हुआ था। खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) जुल्फिकार हमीद ने बताया कि पुलिस को संदेह है कि इस हमले को आत्मघाती बम हमलावर के जरिए अंजाम दिया गय और हमीदुल हक ही निशाने पर थे। उन्होंने बताया, ‘‘हमने हमीदुल हक को छह सुरक्षा गार्ड मुहैया कराए हुए थे। ’’ नौशेरा जिले के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ) अब्दुर रशीद ने बताया कि मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान यह विस्फोट हुआ। दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा सुन्नी इस्लाम के हनाफी देवबंदी स्कूल का प्रचार करता है। मौलाना अब्दुल हक ने भारत के दारुल उलूम देवबंद मदरसा की तर्ज पर ही उक्त मदरसे की स्थापना की थी। दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे की पद्धति, शिक्षण की विषय-वस्तु तथा इसके पूर्व छात्रों के भविष्य के व्यवसायों के कारण इसे ‘‘जिहाद का विश्वविद्यालय’’ कहा जाता है। तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तर मंसूर सहित आतंकी संगठन के कई प्रमुख सदस्यों ने इस मदरसे में पढ़ाई की है। बचाव दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर शवों को बाहर निकाला और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। नौशेरा और पेशावर दोनों अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गयी है। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और राज्यपाल फैसल करीम कुंदी ने इस आत्मघाती हमले की निंदा की है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेताओं ने लोगों से घायलों के लिए रक्तदान करने की अपील की है।

हमास को समझने में की भूल : 7 अक्टूबर हमले पर इजरायली सेना की पहली रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

यरूशलम, 28 फरवरी: इजरायल की सेना ने हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के दौरान अपनी गलतियों का पहला आधिकारिक विवरण प्रकाशित किया। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ‘इजरायली नागरिकों की रक्षा करने के अपने मिशन में नाकाम रहा। फिलिस्तीनी ग्रुप ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर बड़ा हमला किया था। हमास के सदस्यों ने करीब 12,00 लोगों को मार दिया और 251 लोगों को बंधक बना लिया। इसके बाद इजरायल ने हमास के नियंत्रण वाली गाजा पट्टी पर हमले शुरू कर दिए। इजरायल के हमले में 48 हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इजरायल के हमलों से गाजा की लगभग दो-तिहाई इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। मीडिया की खबरों के मुताबिक 19 पेजों के सेना की रिपोर्ट में सेना के निष्कर्ष बताते हैं कैसे उसने हमास के इरादों को गलत समझा और उसकी क्षमताओं को कम करके आंका। इसमें कहा गया कि सेना ने गाजा को दूसरे नंबर का सुरक्षा खतरा माना जबकि प्राथमिकता ईरान और हिजबुल्लाह को दी। गाजा को लेकर सेना की नीति ‘विरोधाभासी थी। रिपोर्य के मुताबिक यह मान लिया गया था हमास ‘न तो बड़े पैमाने पर युद्ध में दिलचस्पी रखता है और न ही इसकी तैयारी कर रहा है। यह धारणा हमास की धोखेबाज रणनीति से और मजबूत हुई।’ 2018 के बाद से मिली जानकारियां बता रही थीं कि हमास वास्तव में एक महत्वाकांक्षी योजना विकसित कर रहा था। हालंकि ऐसे इनपुट की व्याख्या, ‘अवास्तविक या अव्यवहारिक’ के रूप में की गई, जो ‘कार्रवाई योग्य खतरे के बजाय हमास की दीर्घकालिक आकांक्षाओं’ को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि युद्ध से पहले के महीनों में, सैन्य खुफिया निदेशालय ने एक नया आकलन किया कि हमास की योजना केवल एक विचार नहीं, बल्कि ‘ऑपरेशनल प्लानिंग के लिए एक ठोस रूपरेखा’ थी। हालांकि, इस आकलन को सैन्य खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के ध्यान में नहीं लाया गया। रिपोर्ट में हमास के इरादों और उससे पैदा हुए खतरे से निपटने के तरीकों के बारे में सेना के भीतर एक व्यापक स्तर पर आत्मसंतुष्टि की भावना की पहचान की गई।

मालदीव की संसद ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की संख्या घटाने से जुड़ा संशोधन पारित किया

माले, 26 फरवरी: मालदीव की संसद ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या सात से घटाकर पांच किए जाने के प्रावधान वाले संशोधन को बुधवार को पारित कर दिया। इस घटनाक्रम के कुछ ही घंटों के भीतर तीन शीर्ष न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद मुख्य विपक्षी दल ने सत्तारूढ़ पार्टी पर बहुमत का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। स्थानीय मीडिया की खबर के मुताबिक, न्यायाधीशों के निलंबन का आदेश उस संवैधानिक संशोधन को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई से कुछ समय पहले जारी किया गया, जिसके तहत दल-बदलू सांसदों को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है। खबर के अनुसार, फैसले को लेकर संसद में हंगामा हुआ, जहां मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) पर बहुमत का दुरुपयोग करने और न्यायाधीशों की संख्या घटाने संबंधी विधेयक को लेकर महाधिवक्ता फातिमा फिल्जा की ओर उठाई गई चिंताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। समाचार पोर्टल ‘सन डॉट एमवी’ की खबर के मुताबिक, बुधवार सुबह एमडीपी के तीन सांसदों को सदन से बाहर निकाले जाने के बाद विधेयक पर मतदान हुआ और सदस्यों ने इसे नौ के मुकाबले 68 वोटों से पारित कर दिया।

पाकिस्तान में वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला

इस्लामाबाद, 25 फरवरी: पाकिस्तान के वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए संशोधनों को तुरंत रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की सोमवार को बुलाई गई सलाहकार सभा में स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रतिबंधों को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया। डान समाचार पत्र की खबर के अनुसार, बैठक में सर्वसम्मत से पारित प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है। बैठक में मौजूद पत्रकारों और वकीलों ने पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025 की निंदा करते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। इसे संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन माना। यह अनुच्छेद भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025, संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित मीडिया कर्मियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार को याद दिलाया गया है कि इस संधि पर पाकिस्तान ने भी हस्ताक्षर किए हैं। यह संशोधन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। बैठक में डिजिटल क्षेत्रों में बढ़ती सेंसरशिप पर चिंता व्यक्त की गई। एससीबीए की ओर से बैठक में इसके अध्यक्ष मियां मोहम्मद रऊफ अत्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद इशाक नोटजई, बलूचिस्तान के उपाध्यक्ष मोहम्मद औरंगजेब खान, कार्यवाहक सचिव चौधरी तनवीर अख्तर, वित्त सचिव मुनीर अहमद मलिक, आयशा मलिक, हमूद उर रहमान अवान, बलूचिस्तान बार काउंसिल के सदस्य खलील पानेजई और हाफिज अहसान खोखर ने हिस्सा लिया। मीडिया की ओर से बैठक में मुनीजा जहांगीर, अरशद अंसारी, अफजल बट, जाहिद हसन, हामिद मीर, मजहर अब्बास, आरिफा नूर और अन्य शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि सिंध हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कर इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी गई है।

डॉ. जयशंकर से मिले बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद, बिम्सटेक सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

मस्कट, 17 फ़रवरी: ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के मंच से इतर रविवार को भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद से मुलाकात हुई। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर विस्तृत चर्चा हुई। विदेश मंत्री ने एक्स पर पोस्ट साझा कर बताया है कि, उनकी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। उन्होंने लिखा कि मोहम्मद तौहीद हुसैन से बातचीत द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ बिम्सटेक पर केंद्रित थी। बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) में सात देश बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमा, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश, इस साल 2-4 अप्रैल को बैंकॉक में आयोजित होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की अगली अध्यक्षता करेगा। हुसैन ने द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को रोकने के प्रयासों के तहत यह मुलाकात की। बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के बाद उच्च स्तर पर हुई यह पहली मुलाकात है। पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था और वे भारत आ गईं। बांग्लादेश में चल रही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान हिंदुओं सहित व्यापक स्तर पर अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए। तब से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। ओमान में आयोजित आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के मंच से इतर विदेश मंत्री जयशंकर ने बांग्लादेश के अतिरिक्त मॉरीशस, मालदीव, नेपाल, भूटान और श्रीलंका के अपने समकक्षों के साथ बैठकें कीं। जयशंकर ने मॉरीशस के अपने समकक्ष धनंजय रितेश रामफल से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच दोस्ती को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्री जयशंकर ने मालदीव के अपने समकक्ष अब्दुल्ला खलील के साथ भी बैठक की। डॉ. जयशंकर ने एक्स पर इसकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि भारत-मालदीव सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत हुई। हमारे सहयोग के कई पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। जयशंकर ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष विजेता हेराथ से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने श्रीलंका की आर्थिक सुधार और प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. जयशंकर ने नेपाल की समकक्ष आरजू राणा देउबा से भी मुलाकात की जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की और संबंधों को मजबूत करने की आशा व्यक्त की। जयशंकर ने अपने भूटान समकक्ष डीएन धुंगयेल के साथ बैठक कर द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की। डॉ. जयशंकर ने एक्स पर लिखा- मस्कट में एफएम भूटान डी.एन. धुंगयेल के साथ बात करके खुशी हुई। हमारी चर्चा हमारे द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित थी।