पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक मदरसे में विस्फोट में पांच लोगों की मौत और 20 व्यक्ति घायल

पेशावर, 28 फरवरी: रमजान के पवित्र महीने से पहले उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान शक्तिशाली विस्फोट होने से पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। मुख्य सचिव शहाब अली शाह ने बताया कि ‘दारुल उलूम हक्कानिया’ नामक मदरसे में यह विस्फोट हुआ है, जिसमें जमीयत उलेमा इस्लाम (सामी समूह) के प्रमुख और नौशेरा जिले के अकोरा खट्टक स्थित मदरसा-ए-हक्कानिया की देखरेख करने वाले हमीदुल हक हक्कानी की मौत हो गई है। हमीदुल हक के पिता मौलाना समी उल हक की मौत हो जाने के बाद उन्हें जेयूआई (सामी ग्रुप) का प्रमुख बनाया गया था। उनका जन्म 1968 में हुआ था। खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) जुल्फिकार हमीद ने बताया कि पुलिस को संदेह है कि इस हमले को आत्मघाती बम हमलावर के जरिए अंजाम दिया गय और हमीदुल हक ही निशाने पर थे। उन्होंने बताया, ‘‘हमने हमीदुल हक को छह सुरक्षा गार्ड मुहैया कराए हुए थे। ’’ नौशेरा जिले के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ) अब्दुर रशीद ने बताया कि मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान यह विस्फोट हुआ। दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा सुन्नी इस्लाम के हनाफी देवबंदी स्कूल का प्रचार करता है। मौलाना अब्दुल हक ने भारत के दारुल उलूम देवबंद मदरसा की तर्ज पर ही उक्त मदरसे की स्थापना की थी। दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे की पद्धति, शिक्षण की विषय-वस्तु तथा इसके पूर्व छात्रों के भविष्य के व्यवसायों के कारण इसे ‘‘जिहाद का विश्वविद्यालय’’ कहा जाता है। तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तर मंसूर सहित आतंकी संगठन के कई प्रमुख सदस्यों ने इस मदरसे में पढ़ाई की है। बचाव दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर शवों को बाहर निकाला और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। नौशेरा और पेशावर दोनों अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गयी है। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और राज्यपाल फैसल करीम कुंदी ने इस आत्मघाती हमले की निंदा की है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेताओं ने लोगों से घायलों के लिए रक्तदान करने की अपील की है।

हमास को समझने में की भूल : 7 अक्टूबर हमले पर इजरायली सेना की पहली रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

यरूशलम, 28 फरवरी: इजरायल की सेना ने हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के दौरान अपनी गलतियों का पहला आधिकारिक विवरण प्रकाशित किया। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ‘इजरायली नागरिकों की रक्षा करने के अपने मिशन में नाकाम रहा। फिलिस्तीनी ग्रुप ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर बड़ा हमला किया था। हमास के सदस्यों ने करीब 12,00 लोगों को मार दिया और 251 लोगों को बंधक बना लिया। इसके बाद इजरायल ने हमास के नियंत्रण वाली गाजा पट्टी पर हमले शुरू कर दिए। इजरायल के हमले में 48 हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इजरायल के हमलों से गाजा की लगभग दो-तिहाई इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। मीडिया की खबरों के मुताबिक 19 पेजों के सेना की रिपोर्ट में सेना के निष्कर्ष बताते हैं कैसे उसने हमास के इरादों को गलत समझा और उसकी क्षमताओं को कम करके आंका। इसमें कहा गया कि सेना ने गाजा को दूसरे नंबर का सुरक्षा खतरा माना जबकि प्राथमिकता ईरान और हिजबुल्लाह को दी। गाजा को लेकर सेना की नीति ‘विरोधाभासी थी। रिपोर्य के मुताबिक यह मान लिया गया था हमास ‘न तो बड़े पैमाने पर युद्ध में दिलचस्पी रखता है और न ही इसकी तैयारी कर रहा है। यह धारणा हमास की धोखेबाज रणनीति से और मजबूत हुई।’ 2018 के बाद से मिली जानकारियां बता रही थीं कि हमास वास्तव में एक महत्वाकांक्षी योजना विकसित कर रहा था। हालंकि ऐसे इनपुट की व्याख्या, ‘अवास्तविक या अव्यवहारिक’ के रूप में की गई, जो ‘कार्रवाई योग्य खतरे के बजाय हमास की दीर्घकालिक आकांक्षाओं’ को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि युद्ध से पहले के महीनों में, सैन्य खुफिया निदेशालय ने एक नया आकलन किया कि हमास की योजना केवल एक विचार नहीं, बल्कि ‘ऑपरेशनल प्लानिंग के लिए एक ठोस रूपरेखा’ थी। हालांकि, इस आकलन को सैन्य खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के ध्यान में नहीं लाया गया। रिपोर्ट में हमास के इरादों और उससे पैदा हुए खतरे से निपटने के तरीकों के बारे में सेना के भीतर एक व्यापक स्तर पर आत्मसंतुष्टि की भावना की पहचान की गई।

मालदीव की संसद ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की संख्या घटाने से जुड़ा संशोधन पारित किया

माले, 26 फरवरी: मालदीव की संसद ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या सात से घटाकर पांच किए जाने के प्रावधान वाले संशोधन को बुधवार को पारित कर दिया। इस घटनाक्रम के कुछ ही घंटों के भीतर तीन शीर्ष न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद मुख्य विपक्षी दल ने सत्तारूढ़ पार्टी पर बहुमत का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। स्थानीय मीडिया की खबर के मुताबिक, न्यायाधीशों के निलंबन का आदेश उस संवैधानिक संशोधन को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई से कुछ समय पहले जारी किया गया, जिसके तहत दल-बदलू सांसदों को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है। खबर के अनुसार, फैसले को लेकर संसद में हंगामा हुआ, जहां मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) पर बहुमत का दुरुपयोग करने और न्यायाधीशों की संख्या घटाने संबंधी विधेयक को लेकर महाधिवक्ता फातिमा फिल्जा की ओर उठाई गई चिंताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। समाचार पोर्टल ‘सन डॉट एमवी’ की खबर के मुताबिक, बुधवार सुबह एमडीपी के तीन सांसदों को सदन से बाहर निकाले जाने के बाद विधेयक पर मतदान हुआ और सदस्यों ने इसे नौ के मुकाबले 68 वोटों से पारित कर दिया।

पाकिस्तान में वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला

इस्लामाबाद, 25 फरवरी: पाकिस्तान के वकीलों और पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए संशोधनों को तुरंत रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की सोमवार को बुलाई गई सलाहकार सभा में स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रतिबंधों को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया। डान समाचार पत्र की खबर के अनुसार, बैठक में सर्वसम्मत से पारित प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है। बैठक में मौजूद पत्रकारों और वकीलों ने पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025 की निंदा करते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। इसे संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन माना। यह अनुच्छेद भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि पेका (संशोधन) अधिनियम, 2025, संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित मीडिया कर्मियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार को याद दिलाया गया है कि इस संधि पर पाकिस्तान ने भी हस्ताक्षर किए हैं। यह संशोधन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। बैठक में डिजिटल क्षेत्रों में बढ़ती सेंसरशिप पर चिंता व्यक्त की गई। एससीबीए की ओर से बैठक में इसके अध्यक्ष मियां मोहम्मद रऊफ अत्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद इशाक नोटजई, बलूचिस्तान के उपाध्यक्ष मोहम्मद औरंगजेब खान, कार्यवाहक सचिव चौधरी तनवीर अख्तर, वित्त सचिव मुनीर अहमद मलिक, आयशा मलिक, हमूद उर रहमान अवान, बलूचिस्तान बार काउंसिल के सदस्य खलील पानेजई और हाफिज अहसान खोखर ने हिस्सा लिया। मीडिया की ओर से बैठक में मुनीजा जहांगीर, अरशद अंसारी, अफजल बट, जाहिद हसन, हामिद मीर, मजहर अब्बास, आरिफा नूर और अन्य शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि सिंध हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कर इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका) में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी गई है।

डॉ. जयशंकर से मिले बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद, बिम्सटेक सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

मस्कट, 17 फ़रवरी: ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के मंच से इतर रविवार को भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद से मुलाकात हुई। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर विस्तृत चर्चा हुई। विदेश मंत्री ने एक्स पर पोस्ट साझा कर बताया है कि, उनकी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। उन्होंने लिखा कि मोहम्मद तौहीद हुसैन से बातचीत द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ बिम्सटेक पर केंद्रित थी। बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) में सात देश बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमा, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश, इस साल 2-4 अप्रैल को बैंकॉक में आयोजित होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की अगली अध्यक्षता करेगा। हुसैन ने द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को रोकने के प्रयासों के तहत यह मुलाकात की। बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के बाद उच्च स्तर पर हुई यह पहली मुलाकात है। पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था और वे भारत आ गईं। बांग्लादेश में चल रही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान हिंदुओं सहित व्यापक स्तर पर अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए। तब से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। ओमान में आयोजित आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के मंच से इतर विदेश मंत्री जयशंकर ने बांग्लादेश के अतिरिक्त मॉरीशस, मालदीव, नेपाल, भूटान और श्रीलंका के अपने समकक्षों के साथ बैठकें कीं। जयशंकर ने मॉरीशस के अपने समकक्ष धनंजय रितेश रामफल से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच दोस्ती को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्री जयशंकर ने मालदीव के अपने समकक्ष अब्दुल्ला खलील के साथ भी बैठक की। डॉ. जयशंकर ने एक्स पर इसकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि भारत-मालदीव सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत हुई। हमारे सहयोग के कई पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। जयशंकर ने अपने श्रीलंकाई समकक्ष विजेता हेराथ से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने श्रीलंका की आर्थिक सुधार और प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. जयशंकर ने नेपाल की समकक्ष आरजू राणा देउबा से भी मुलाकात की जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की और संबंधों को मजबूत करने की आशा व्यक्त की। जयशंकर ने अपने भूटान समकक्ष डीएन धुंगयेल के साथ बैठक कर द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की। डॉ. जयशंकर ने एक्स पर लिखा- मस्कट में एफएम भूटान डी.एन. धुंगयेल के साथ बात करके खुशी हुई। हमारी चर्चा हमारे द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित थी।

पेरिस में पीएम मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति की मुलाकात, परमाणु ऊर्जा पर की चर्चा

पेरिस/नई दिल्ली, 12 फरवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पेरिस में मुलाकात की। दोनों नेताओं ने भारत में अमेरिकी परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश को लेकर चर्चा की। पेरिस के बाद पीएम मोदी वाशिंगटन के लिए रवाना होंगे। बैठक में वेंस की भारतीय मूल की पत्नी उषा वेंस और उनके तीन बच्चों में से दो भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने उपराष्ट्रपति के बेटे विवेक को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उनके परिवार को उपहार भी दिए। यह मुलाकात पेरिस में एआई शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर इस बैठक के बारे में पोस्ट करते हुए इसे शानदार बताया और बताया कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की। उपराष्ट्रपति वेंस ने भी एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठकर कॉफी पी और दोनों देशों के हितों से जुड़े विषयों पर चर्चा की। खासतौर पर यह बातचीत इस बारे में थी कि अमेरिका किस तरह स्वच्छ और विश्वसनीय परमाणु ऊर्जा तकनीक के जरिए भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में मदद कर सकता है। भारत ने हाल ही में अपने वार्षिक बजट में 2047 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन को 100 गीगावाट तक बढ़ाने की योजना का ऐलान किया है। इसके लिए सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। यह कानून लंबे समय से विदेशी निवेशकों के लिए एक बाधा बना हुआ है, क्योंकि यह परमाणु दुर्घटनाओं की स्थिति में कंपनियों की जवाबदेही तय करता है। फ्रांस दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी वाशिंगटन डी.सी. के लिए रवाना होंगे, जहां वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे। यह बैठक राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी की पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी। पीएम मोदी पहले विदेशी नेताओं में से एक हैं, जिनका ट्रंप ने अपने नए कार्यकाल के शुरुआती दिनों में स्वागत किया है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं और इस वार्ता में व्यापार और ऊर्जा को लेकर मुख्य रूप से चर्चा होने की उम्मीद है। बैठक के बाद दोनों देशों की सरकारें एक संयुक्त बयान जारी करेंगी, जिसमें चर्चा किए गए मुद्दों का विवरण होगा।

ट्रंप की नीतियों, एलन मस्क के खिलाफ अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शन

वाशिंगटन, 06 फरवरी: ट्रंप प्रशासन की शुरुआती कार्रवाइयों के खिलाफ बुधवार को अमेरिका के कई शहरों में लोग सड़कों पर एकत्र हुए और विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप प्रशासन की ओर से प्रवासियों के खिलाफ निर्वासन की कार्रवाई से लेकर ट्रांसजेंडर अधिकारों को वापस लेने और गाजा पट्टी से फलस्तीनियों को जबरन स्थानांतरित करने के प्रस्ताव की निंदा की। फिलाडेल्फिया, कैलिफोर्निया, मिनेसोटा, मिशिगन, टेक्सास, विस्कॉन्सिन, इंडियाना और कई अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निंदा करते हुए पोस्टर लहराए। ओहायो के कोलंबस में स्टेटहाउस के बाहर विरोध-प्रदर्शन में शामिल मार्गरेट विल्मेथ ने कहा, ‘‘मैं पिछले दो सप्ताह में लोकतंत्र में हुए बदलावों से चकित हूं, लेकिन यह बहुत पहले शुरू हो गया था।’’ विल्मेथ ने कहा कि वह सिर्फ प्रतिरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। विरोध-प्रदर्शन सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘बिल्डदरेजिस्टेंस’ और हैशटैग ‘50501’ के तहत चलाए गए एक ऑनलाइन आंदोलन का परिणाम था। हैशटैग ‘50501’ के तहत एक दिन में 50 राज्यों में 50 विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया गया था। सोशल मीडिया पर कई वेबसाइट और अकाउंट पर ‘फासीवाद को अस्वीकार करें’ और ‘हमारे लोकतंत्र की रक्षा करें’ जैसे संदेशों के साथ कार्रवाई का आह्वान किया गया। जमा देने वाली ठंड में भी मिशिगन की राजधानी लांसिंग के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। एन आर्बर क्षेत्र की कैटी मिग्लिएट्टी ने कहा कि वित्त विभाग के डेटा तक मस्क की पहुंच विशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने एक चित्र थाम रखा था, जिसमें मस्क को ट्रंप को कठपुतली की तरह नचाते हुए दिखाया गया है। मिग्लिएट्टी ने कहा, ‘‘अगर हम इसे नहीं रोकते हैं और संसद से कुछ करने के लिए नहीं कहते हैं, तो यह लोकतंत्र पर हमला है।’’ कई शहरों में प्रदर्शन के दौरान मस्क और सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) की आलोचना की गई। मिसौरी की राजधानी जेफरसन में सीढ़ियों पर लगाए गए एक पोस्टर में लिखा था, ‘‘डीओजीई वैध नहीं है।’’ इसमें सवाल किया गया था कि एलन मस्क के पास हमारी सामाजिक सुरक्षा की जानकारी क्यों है। संसद सदस्यों ने भी चिंता व्यक्त की है कि अमेरिकी सरकार की भुगतान प्रणाली के साथ डीओजीई की भागीदारी से सुरक्षा जोखिम हो सकता है या सामाजिक सुरक्षा और मेडिकेयर जैसे कार्यक्रमों के भुगतान में चूक हो सकती है। अलबामा में ‘एलजीबीटीक्यू-प्लस’ लोगों को निशाना बनाने वाली कार्रवाइयों का विरोध करने के लिए सैकड़ों लोग स्टेटहाउस के बाहर एकत्र हुए। मंगलवार को अलबामा के गवर्नर के इवे ने घोषणा की थी कि वह उस कानून पर हस्ताक्षर करेंगे, जो केवल दो लिंग (पुरुष और महिला) को मान्यता देता है। इवे की यह घोषणा संघीय सरकार द्वारा लिंग को केवल पुरुष या महिला के रूप में परिभाषित करने से जुड़े ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश के समरूप है।

अमेरिकी टैरिफ लागू होते ही चीन की जवाबी कार्रवाई, ‘व्यापार युद्ध’ शुरू

बीजिंग, 04 फरवरी: चीन ने मंगलवार को कुछ अमेरिकी आयातों पर टैरिफ लगाया। बीजिंग के इस कदम के साथ ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो गया। इससे पहले अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर अतिरिक्त 10% टैरिफ मंगलवार को 00:01 ईटी (05:01 जीएमटी) से शुरू हुआ। चीन के वित्त मंत्रालय ने पलटवार करते हुए ऐलान किया कि वह अमेरिकी कोयले, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) पर 15%, कच्चे तेल, कृषि उपकरण और कुछ ऑटोमोबाइल पर 10% टैरिफ लगाएगा। इसके अलावा, चीन के वाणिज्य मंत्रालय और उसके सीमा शुल्क प्रशासन ने कहा कि देश ‘राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा’ के लिए टंगस्टन, टेल्यूरियम, रूथेनियम, मोलिब्डेनम और रूथेनियम से संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लगा रहा है। चीन ने गूगल की जांच की भी घोषणा की। राज्य बाजार विनियमन प्रशासन के एक संक्षिप्त बयान के अनुसार, चीन अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनी के खिलाफ कथित अविश्वास उल्लंघन (एंटी ट्रस्ट वायलेशन) की जांच करेगा। इससे पहले ट्रंप ने सोमवार (3 जनवरी) को मैक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले को अंतिम समय पर स्थगित कर दिया। हालांकि अमेरिका की तरफ से चीन के लिए ऐसी कोई राहत नहीं दी गई। मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने सोमवार को घोषणा की कि वह और ट्रंप 30 दिनों के लिए टैरिफ रोकने के एक समझौते पर पहुंच गए हैं। मैक्सिको ने सीमा पर 10,000 नेशनल गार्ड सदस्यों को भेजने पर सहमति व्यक्त की है। बाद में उसी दिन, कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने ट्रंप के साथ अंतिम समय में बात की थी। कनाडा ने टैरिफ पर 30 दिनों के रोक के बदले में अपनी सीमा को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। बता दें मेक्सिको और कनाडा ने अमेरिकी टैरिफ के बदले में जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। बता दें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (1 फरवरी) को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें मेक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाया गया। कनाडा से आने वाले सामानों पर भी 25% टैरिफ लगाया गया, लेकिन कनाडा के ऊर्जा संसाधनों पर 10% टैरिफ ही लगाने की घोषणा की गई। इस ऑर्डर में चीन से आयात पर भी 10% टैरिफ की बात कही गई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह कदम अवैध इमिग्रेशन और ड्रग्स तस्करी के बारे में उनकी चिंताओं को लेकर उठाया गया है। रिपब्लिकन नेता ने इन दो मुख्य मुद्दों को अपने चुनावी अभियान का आधार बनाया था।

नहर के आसपास चीन का प्रभाव कम करे पनामा, अन्यथा अमेरिका करेगा कार्रवाई: रुबियो

पनामा सिटी, 03 फरवरी: अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो से रविवार को कहा कि मध्य अमेरिकी सहयोगी को पनामा नहर क्षेत्र पर चीन के प्रभाव को तुरंत कम करना चाहिए, अन्यथा अमेरिकी प्रशासन कार्रवाई कर सकता है। यह अमेरिका के विदेश मंत्री के रूप में रुबियो की पहली विदेश यात्रा है। उनका यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर के संचालन का नियंत्रण अमेरिका को वापस देने की मांग सहित पड़ोसी देशों और सहयोगियों पर दबाव बढ़ा दिया है। मुलिनो ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि रुबियो ने ‘‘नहर पर पुनः कब्जा करने या बल प्रयोग करने की कोई वास्तविक धमकी नहीं दी।’’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मांग की है कि नहर का नियंत्रण वापस अमेरिका को सौंप दिया जाना चाहिए। रुबियो ने ट्रंप की ओर से मुलिनो से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रारंभिक रूप से यह निर्धारित किया है कि नहर क्षेत्र में चीन की उपस्थिति उस संधि का उल्लंघन करती है जिसके तहत अमेरिका ने 1999 में जलमार्ग को पनामा को सौंपा था। उस संधि में अमेरिकी निर्मित नहर में स्थायी तटस्थता की बात कही गई है। रुबियो की रविवार को बाद में नहर का दौरा करने की योजना है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मंत्री रुबियो ने स्पष्ट किया कि यह यथास्थिति अस्वीकार्य है और तत्काल परिवर्तन न किए जाने की स्थिति में अमेरिका को संधि के तहत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।’’ इस बीच, मुलिनो ने रुबियो के साथ अपनी बातचीत को ‘‘सम्मानजनक’’ और ‘‘सकारात्मक’’ बताते हुए कहा कि उन्हें ‘‘ऐसा नहीं लगता कि संधि को कोई वास्तविक खतरा है।’’ उन्होंने स्वीकार किया कि नहर के छोर पर स्थित बंदरगाहों में चीन की भूमिका ने वाशिंगटन के लिए चिंताएं पैदा कर दी हैं लेकिन उन्हें नियंत्रित करने वाले संघ की लेखा परीक्षा की जा रही है और नहर प्राधिकरण रूबियो को अधिक विस्तृत स्पष्टीकरण देगा।

व्हाइट हाउस में तीखी बहस के बाद ट्रम्प, ज़ेलेंस्की ने रद्द की खनिज समझौते पर हस्ताक्षर की योजना

वाशिंगटन, 01 मार्च : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को व्हाइट हाउस में नोकझोंक होने के कारण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर की योजना को रद्द कर दिया गया। गौरतलब है कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक से पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उनसे (श्री जेलेंस्की) से श्री ट्रम्प के प्रति आभार व्यक्त करने को कहने पर नोंकझोक शुरू हो गयी थी। श्री ट्रम्प ने कहा, “श्री ज़ेलेंस्की लाखों लोगों के जीवन के साथ खेल रहे हैं और आप जो कर रहे हैं, वह इस देश के लिए बहुत अपमानजनक है!” श्री ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट में कहा, “मुझे लगता है कि यदि अमेरिका शामिल होता है, तो राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वार्ता में हमारी भागीदारी अमेरिका को बड़ा लाभ देगी। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने (श्री जेलेंस्की) राष्ट्रपति कार्यालय में अमेरिका का अपमान किया।” उन्होंने कहा कि वह (श्री जेलेंस्की) शांति के लिए तैयार होने पर ही बातचीत के लिए अमेरिका वापस आ सकते हैं। वहीं श्री ज़ेलेंस्की ने ‘एक्स’ पर लिखा, “धन्यवाद अमेरिका.. आपके समर्थन के लिए धन्यवाद, इस यात्रा के लिए धन्यवाद! धन्यवाद (राष्ट्रपति ट्रम्प), कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को भी! यूक्रेन को न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं।”