बोगोटा, 08 जून : कोलंबिया के सीनेटर और 2026 के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मिगुएल उरीबे को बोगोटा में एक अभियान कार्यक्रम के दौरान गोली मार दी गई, अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। रूढ़िवादी विपक्षी डेमोक्रेटिक सेंटर पार्टी के प्रमुख सदस्य 39 वर्षीय सीनेटर को शनिवार को राजधानी के फोंटिबोन पड़ोस में एक सार्वजनिक पार्क में समर्थकों को संबोधित करते समय कथित तौर पर पीठ में गोली मार दी गई थी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब उरीबे भाषण दे रहे थे, तभी “हथियारबंद लोगों ने उनकी पीठ में गोली मार दी।” सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में वह क्षण कैद हुआ है, जब गोलीबारी की आवाज आई और उनके संबोधन में बाधा उत्पन्न हुई। अन्य चित्रों में उरीबे एक सफेद कार के बोनट पर झुके हुए दिखाई दे रहे हैं, वे स्पष्ट रूप से घायल हैं और खून से सने हुए हैं तथा लोग उन्हें सहारा देने के लिए दौड़ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि सीनेटर की गर्दन या सिर में कम से कम एक गोली लगी है। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। फिलहाल उनकी वर्तमान चिकित्सा स्थिति पर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। कोलंबिया के रक्षा मंत्री पेड्रो सांचेज ने जानकारी दी कि गोलीबारी के सिलसिले में एक 15 वर्षीय लड़के को गिरफ्तार किया गया है। सांचेज ने यह भी बताया कि यह पता लगाने के लिए जांच जारी है कि हमले में अन्य लोग भी शामिल थे या नहीं। मंत्री ने पुष्टि की कि उन्होंने उस अस्पताल का दौरा किया था जहां उरीबे का इलाज चल रहा है। कोलंबियाई राष्ट्रपति ने इस घटना की कड़ी निंदा की तथा एक बयान जारी कर हिंसक हमले को स्पष्ट रूप से खारिज किया तथा गोलीबारी की परिस्थितियों की व्यापक जांच की अपील की। उरीबे कोलंबिया में एक प्रसिद्ध राजनीतिक व्यक्ति हैं और देश की लिबरल पार्टी से संबंध रखने वाले एक प्रमुख परिवार के सदस्य हैं। उनके पिता एक व्यवसायी और यूनियन नेता थे, जबकि उनकी मां, पत्रकार डायना टर्बे को 1990 में कुख्यात ड्रग माफिया पाब्लो एस्कोबार के नियंत्रण वाले एक सशस्त्र समूह ने अगवा कर लिया था। बचाव अभियान के दौरान उनकी दुखद मौत हो गई थी। उनकी पार्टी डेमोक्रेटिक सेंटर ने हमले को गंभीर बताया, लेकिन सीनेटर की स्थिति के बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी देने से परहेज किया। वामपंथी राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक संदेश में उरीबे के परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हुए लिखा, “मैं नहीं जानता कि आपके दर्द को कैसे कम करूं। यह एक खोई हुई मां और एक मातृभूमि का दर्द है।” कोलंबिया लंबे समय से वामपंथी छापामारों, अर्धसैनिक समूहों और राज्य बलों से निकले आपराधिक गुटों के बीच संघर्ष से उत्पन्न हिंसा में फंसा हुआ है।
यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा
न्यूयॉर्क, 31 मई : अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है। स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है। अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी। मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी। ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
इजरायल ने गाजा में अस्थायी युद्धविराम प्रस्ताव किया स्वीकार
वाशिंगटन, 30 मई : अमेरिका के व्हाइट हाउस ने कहा कि इजरायल ने गाजा में 60 दिन के युद्ध विराम प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, क्योंकि इजरायली सेना युद्धग्रस्त क्षेत्र में अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखे हुए है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग में पुष्टि की कि पश्चिम एशिया में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमास को युद्ध विराम प्रस्ताव सौंपा है, जिसका इजरायल ने समर्थन किया है। श्री लेविट ने कहा, ‘हमास को भेजे जाने से पहले इजरायल ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए थे। मैं यह भी पुष्टि कर सकता हूं कि वे चर्चाएं जारी हैं, और हमें उम्मीद है कि गाजा में युद्ध विराम होगा ताकि हम सभी बंधकों को घर वापस ला सकें।’ सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार एक इजरायली अधिकारी और मामले से परिचित एक अमेरिकी सूत्र ने पुष्टि की कि प्रस्तावित समझौते में न केवल 60-दिवसीय युद्ध विराम शामिल है बल्कि 10 जीवित बंधकों और 18 मृत बंधकों के अवशेषों को रिहा करने की योजना भी शामिल है। हमास ने गुरुवार को कहा कि उसके नेतृत्व को मध्यस्थों के माध्यम से श्री विटकॉफ से गाजा में युद्ध विराम का नया प्रस्ताव मिला है और वह इसका अध्ययन कर रहा है। हमास ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘हमास नेतृत्व को मध्यस्थों से विटकॉफ का नया प्रस्ताव मिला है और वह जिम्मेदारी से इसका अध्ययन कर रहा है ताकि हमारे लोगों के हितों की पूर्ति हो, राहत मिले और गाजा पट्टी में स्थायी युद्ध विराम हो।’
यहूदी संग्रहालय के पास गोलीबारी में इजराइली दूतावास के दो कर्मचारियों की मौत
वाशिंगटन, 22 मई : वाशिंगटन में स्थित इजराइली दूतावास के दो कर्मचारियों की बुधवार शाम एक यहूदी संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम से बाहर निकलते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने यह जानकारी दी और बताया कि इस घटना के संबंध में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया जिसने ‘‘फलस्तीन को आजाद करो’’ के नारे लगाए। मेट्रोपॉलिटन पुलिस प्रमुख पामेला स्मिथ ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ‘कैपिटल यहूदी संग्रहालय’ में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद एक पुरुष और एक महिला बाहर निकल रहे थे तभी 30 वर्षीय संदिग्ध चार लोगों के समूह के पास पहुंचा और उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। स्मिथ ने बताया कि संदिग्ध की पहचान शिकागो निवासी एलियास रोड्रिग्ज (30) के रूप में हुई है। उसे गोलीबारी से पहले संग्रहालय के बाहर घूमते हुए देखा गया था, गोलीबारी के बाद वह संग्रहालय के अंदर गया जहां कार्यक्रम सुरक्षाकर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया। स्मिथ ने कहा कि जब उसे हिरासत में लिया गया तो उसने ‘‘फलस्तीन को आजाद करो’’ के नारे लगाए। स्मिथ ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसा नहीं लगता कि समुदाय के लिए कोई खतरा है। अमेरिका में इजराइल के राजदूत येचिएल लेइटर ने कहा कि मारे गए दोनों लोग शीघ्र सगाई करने वाले थे। उन्होंने कहा कि पुरुष ने इस सप्ताह एक अंगूठी खरीदी थी और अगले सप्ताह वह येरुशलम में शादी का प्रस्ताव रखने वाला था। अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी ने कहा कि वह पूर्व न्यायाधीश जीनिन पीरो के साथ घटनास्थल पर थीं। पीरो वाशिंगटन में अमेरिकी अटॉर्नी के पद पर कार्यरत हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार सुबह सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘ये हत्याएं स्पष्ट रूप से यहूदी विरोधी भावना पर आधारित हैं, ये अब समाप्त होनी चाहिए। नफरत और कट्टरपंथ के लिए अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना। बहुत दुख की बात है कि ऐसी चीजें हो सकती हैं! भगवान, आप सभी का भला करे!’’ इजराइली राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने कहा कि वे वाशिंगटन में हुई घटना से ‘स्तब्ध’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह घृणा और यहूदी-विरोधी भावना का एक घृणित कृत्य है, जिसने इजराइली दूतावास के दो युवा कर्मचारियों की जान ले ली है। मारे गए लोगों के प्रियजनों के साथ हमारी संवेदनाए हैं। राजदूत और दूतावास के सभी कर्मचारियों के प्रति मेरा पूरा समर्थन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम वाशिंगटन और पूरे अमेरिका में यहूदी समुदाय के साथ हैं। अमेरिका और इजराइल अपने लोगों और साझा मूल्यों की रक्षा में एकजुट रहेंगे। आतंक और नफरत हमें नहीं तोड़ पाएगी।’’ योनी कैलिन और केट कलिशर संग्रहालय के अंदर थे जब उन्होंने गोलियों की आवाजें सुनी और एक आदमी अंदर आया जो परेशान दिखाई दे रहा था। कैलिन ने कहा, ‘‘यह सोचकर कि उसे मदद की जरूरत है लोग उसकी मदद के लिए आए और उसे पानी लाकर दिया। लोग नहीं जानते थे कि वह संदिग्ध है। जब पुलिस आई तो उसने लाल रंग का स्कार्फ निकाला और चिल्लाया ‘फलस्तीन को आजाद करो।’’ कैलिन ने कहा,‘‘ यह कार्यक्रम मानवीय सहायता के बारे में था कि हम वास्तव में गाजा और इजराइल दोनों के लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं? हम मुसलमानों और यहूदियों और ईसाइयों को एक साथ कैसे ला सकते हैं ताकि वे मिलकर निर्दोष लोगों की मदद कर सकें। ….और यहां उसने दो लोगों की निर्मम हत्या कर दी।’’ ‘ग्रेटर वाशिंगटन के यहूदी संघ’ ने एक बयान में कहा कि वह गोलीबारी से भयभीत है और ‘हमले में दो लोगों के मारे जाने से शोकाकुल है।’’ उसने कहा, ‘‘हमारी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रियजनों के साथ हैं, और उन सभी लोगों के साथ हैं जो यहूदी विरोधी हिंसा के इस दुखद कृत्य से प्रभावित हुए हैं।’’
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने जापान और यूएई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी
अबू धाबी/तोक्यो/नई दिल्ली, 22 मई : भारत ने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ बृहस्पतिवार को अपने वैश्विक संपर्क की शुरुआत की और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आत्मरक्षा के अधिकार पर पक्ष रखने के लिए बहुदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल जापान और संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे। जापान जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय झा कर रहे हैं, जबकि शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने अबू धाबी में यूएई फेडरल नेशनल काउंसिल के सदस्य अहमद मीर खोरी से मुलाकात की और पाकिस्तान की धरती से उत्पन्न राष्ट्र प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के मजबूत संकल्प से उन्हें अवगत कराया। शिंदे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमने गर्व के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की निर्णायक सफलता को साझा किया और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले मौजूदा आतंकवादी खतरों को रेखांकित किया।’’ शिंदे के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में मनन कुमार मिश्रा (भाजपा), सस्मित पात्रा (बीजद), ई टी मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), एसएस अहलूवालिया (भाजपा), अतुल गर्ग (भाजपा), बांसुरी स्वराज (भाजपा), पूर्व राजनयिक सुजान आर चिनॉय और यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर शामिल हैं। शिंदे ने कहा, ‘‘हम वैश्विक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शांति के सम्मान के लिए दृढ़ रुख अपना रहे हैं।’’ यूएई में भारतीय दूतावास ने कहा कि यूएई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगवानी करने वाला पहला देश है और यह दोनों देशों के बीच दोस्ती के गहरे बंधन को रेखांकित करता है। झा के नेतृत्व में जापान गए प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रधान बरुआ और हेमांग जोशी, कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी, माकपा के जॉन ब्रिटास और पूर्व राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं। जापान में भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘माननीय सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल तोक्यो पहुंचा, राजदूत सिबी जॉर्ज ने उसका स्वागत किया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का जैसा अडिग रुख देखा गया, उसे सभी वार्ताओं में उजागर किया जाएगा।’’ पाकिस्तान की साजिशों और आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचने के लिए भारत 33 देशों की राजधानियों में सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। भारत ने पहलगाम हमले के बाद छह-सात मई की रात को पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान की इन करतूतों का माकूल जवाब दिया। दोनों पक्षों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
पीएम मोदी की नकल कर रहे शहबाज, पहुंचे सियालकोट एयरबेस
सियालकोट, 15 मई : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के दिमाग की बत्ती उस समय जली जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पर पहुंचे और देश की रक्षा में लगे सैनिकों से मिले। प्रधानमंत्री की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी तो पड़ोसी देश पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की नींद भी टूटी और वो बिना देरी किए सियालकोट और पस्रूर में स्थित सेना के एयरबेस पर सैनिकों से मिलने पहुंच गए। इन एयरबेस को भारत की जवाबी कार्रवाई के दौरान खूब नुकसान पहुंचा है। भारतीय सेना के पराक्रम के बाद पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल आसिम मुनीर की बोलती बंद हो गई। अगले ही दिन सुबह पाकिस्तान ने डीजीएमओ स्तर पर बातचीत शुरू कर सीजफायर का ऐलान कर दिया। शहबाज शरीफ की सियालकोट और पस्रूर एयरबेस यात्राएं यह दर्शाती हैं कि पाकिस्तान भारत के सैन्य संदेशों को हल्के में नहीं ले सकता। ये बेस हाल ही के संघर्ष के बाद जर्जर हो गया है। शरीफ की सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री के साथ की गई यात्रा केवल आंतरिक एकजुटता दिखाने का प्रयास है। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई नीति है, और इसे सिर्फ रोका गया है, खत्म नहीं किया गया। घबराए-घबराए से नजर आ रहे शहबाज जबसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की है पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ कुछ घबराए-घबराए से नजर आ रहे हैं। राष्ट्र के नाम संबोधन में भी शरीफ के चेहरे पर भारतीय फौज का डर साफ नजर आया था। इसी तर्ज पर अब वो पीएम मोदी को कॉपीकैट करते हुए पाकिस्तानी एयरबेस पर जरूर पहुंचे लेकिन चेहरे पर वही तनाव एक बार फिर नजर आया। शहबाज शरीफ जब सेना के जवानों से मिलने पहुंचे तो उनके साथ असिम मुनीर, उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और अन्य भी शामिल थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सियालकोट एयर बेस पर पीएएफ कर्मियों से भी मुलाकात की। हालांकि पीएम मोदी जब आदमपुर एयरबेस पर नजर आ रहे थे तो उनके पीछे बैकग्राउंड में राफेल विमान और एस-400 तैनात दिख रहा था। जो यह सीधा संकेत था कि पाकिस्तान जिस एस-400 सिस्टम और राफेल विमान को गिराने का दावा कर रहा है, वो पूरी तरह झूठा और बेबुनियाद है।
स्लोवाक प्रेसिडेंट ने राष्ट्रपति मुर्मू के सम्मान में ऐतिहासिक ब्रातिस्लावा कैसल में किया भोज का आयोजन
ब्रातिस्लावा/नई दिल्ली, 10 अप्रैल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को ऐतिहासिक ब्रातिस्लावा कैसल में उनके सम्मान में आयोजित भोज में भाग लिया। स्लोवाकिया के प्रेसिडेंट पीटर पेलेग्रिनी इस कार्यक्रम के आयोजक थे। राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स को बताया, “स्लोवाक कलाकारों ने दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक बंधन को दर्शाते हुए राष्ट्रीय गान सहित आकर्षक म्यूजिकल परफॉर्मेंस दीं।” राष्ट्रपति मुर्मू ने गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य के लिए स्लोवाक सरकार और स्लोवाकिया के लोगों को धन्यवाद दिया। पोस्ट में बताया गया, “उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद से लेकर भारतीय व्यंजनों तक, स्लोवाकिया में भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम हमारे लोगों के बीच मजबूत संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने दोनों देशों के बीच मैत्री के बंधन को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।” इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रेसिडेंट पीटर पेलेग्रिनी ने भारत-स्लोवाकिया संबंधों के अलग-अलग पहलुओं की समीक्षा की और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। बैठक और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान, राष्ट्रपति मुर्मू और पेलेग्रिनी ने साझे वैश्विक और क्षेत्रीय हितों के मुद्दों पर भी चर्चा की। भारतीय पक्ष की ओर से प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में राज्य मंत्री निमूबेन बंभानिया के साथ-साथ सांसद धवल पटेल, संध्या रे और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रेसिडेंट पेलेग्रिनी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और पहल की सराहना की। दोनों नेताओं की उपस्थिति में दो एमओयू का आदान-प्रदान किया गया। यह लगभग तीन दशकों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की स्लोवाकिया की पहली यात्रा है। राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू की स्लोवाकिया की दो दिवसीय यात्रा इस बात का संकेत देती है कि भारत स्लोवाक गणराज्य के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को कितना महत्व देता है। इससे रक्षा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में गहन सहयोग और नई पहलों के शुरू होने की उम्मीद है।
ट्रंप की चेतावनी, फार्मा इंडस्ट्री के लिए टैरिफ छूट जल्द समाप्त होगी
न्यूयॉर्क, 09 अप्रैल: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा कि फार्मास्यूटिकल्स को रेसिप्रोकल टैरिफ से दी गई छूट जल्द समाप्त हो जाएगी। भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात करता है। मंगलवार रात को उन्होंने कहा, “हम बहुत जल्द ही फार्मास्यूटिकल्स पर एक बड़ा टैरिफ लगाने की घोषणा करने जा रहे हैं।” ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिका की ओर से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ बुधवार से प्रभावी हो गए हैं। उन्होंने वाशिंगटन में नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के डिनर में अपने भाषण में चीन का जिक्र किया, लेकिन भारत का जिक्र नहीं किया, जो कि अपने फार्मा निर्यात का 31.5 प्रतिशत अमेरिका को भेजता है। अमेरिका की ओर से भारत पर 27 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान आखिरी बुधवार को किया गया था। ट्रंप ने कहा कि जब फार्मा कंपनियों को टैरिफ की जानकारी मिलेगी, वे चीन और अन्य देशों को छोड़ देंगी, क्योंकि उन्हें अपने ज्यादा उत्पादन अमेरिका में बेचने हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा, “टैरिफ के बाद सभी फार्मा कंपनियां पूरे देश के अगले हिस्सों में प्लांट खोलेंगी।” जब राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले सप्ताह रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, तो उन्होंने फार्मास्यूटिकल्स, कॉपर, सेमीकंडक्टर, लकड़ी, बुलियन, एनर्जी और कुछ मिनरल को टैरिफ से छूट दी, क्योंकि यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। रेसिप्रोकल टैरिफ में फार्मास्यूटिकल्स को राहत इसलिए मिली क्योंकि आयातित दवाएं, विशेष रूप से भारत से आने वाली जेनेरिक दवाएं, अमेरिकी हेल्थ सिस्टम की लागत को कम रखने में मदद करती हैं, जो दुनिया में सबसे महंगे हेल्थ सिस्टम्स में से एक है। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं, जिससे टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। हेल्थकेयर डेटा और एनालिटिक्स कंपनी आईक्यूवीआईए ने कहा कि 2022 में अमेरिका में दिए गए दस में से चार प्रिस्क्रिप्शन भारतीय कंपनियों के थे। अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद ट्रेड वार की स्थिति पैदा हो गई है। पिछले सप्ताह चीन द्वारा घोषित 34 प्रतिशत टैरिफ के जवाब में अमेरिका ने चीन से आयात पर अतिरिक्त 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया। अतिरिक्त 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से चीनी आयात पर अमेरिकी टैरिफ 104 प्रतिशत हो जाएगा। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने मंदी की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।
मुर्मु को पुर्तगाल में ‘सिटी की ऑफ ऑनर’ सम्मान से नवाजा गया
नई दिल्ली, 08 अप्रैल : पुर्तगाल की यात्रा पर गयी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिस्बन के मेयर ने लिस्बन शहर का ‘सिटी की ऑफ ऑनर’ सम्मान प्रदान किया है। राष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार श्रीमती मुर्मु को लिस्बन के सिटी हॉल में आयोजित एक समारोह में यह सम्मान प्रदान किया गया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर मेयर और लिस्बन के लोगों को इस सम्मान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि लिस्बन खुले विचारों, लोगों की गर्मजोशी और अपनी संस्कृति के साथ-साथ सहिष्णुता तथा विविधता के प्रति सम्मान के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस बात पर खुशी जतायी कि लिस्बन एक वैश्विक शहर है जो तकनीकी परिवर्तन, नवाचार, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल बदलाव के मामले में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में भारत और पुर्तगाल आगे भी सहयोग कर सकते हैं। राष्ट्रपति मुर्मु ने पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा द्वारा पलासियो दा अजुडा में उनके सम्मान में आयोजित भोज में भाग लिया। राष्ट्रपति ने अपने भोज भाषण में कहा, “हमारे लोगों के बीच सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं और इन संबंधों ने हमारी सामूहिक कल्पना पर अमिट छाप छोड़ी है। इनमें हमारा साझा अतीत शामिल है जो वास्तुकला, ऐतिहासिक स्थलों और भाषाओं के साथ-साथ हमारे व्यंजनों में भी झलकता है। यह वर्ष विशेष महत्व रखता है क्योंकि हम भारत-पुर्तगाल द्विपक्षीय संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हमारे प्राकृतिक तालमेल और विविध क्षेत्रों में सहयोग की क्षमता के साथ, हमारे ऐतिहासिक संबंध एक गतिशील और दूरदर्शी साझेदारी बनने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं।” पुर्तगाल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा, आईटी, स्टार्ट-अप, अनुसंधान, शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-पुर्तगाल सहयोग में निरंतर और प्रगतिशील वृद्धि पर प्रसन्नता हुई। राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, स्टार्ट-अप और नवाचार जैसे क्षेत्रों में अपनी ताकत का उपयोग कर एक समावेशी और सतत विकास मॉडल तैयार कर रहा है, जिससे सभी को लाभ हो। उन्होंने कहा कि भारत इन प्रयासों में पुर्तगाल को अपना भागीदार मानता है। राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देने में पुर्तगाल की भूमिका की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत-पुर्तगाल द्विपक्षीय संबंध और भी घनिष्ठ और व्यापक होंगे और यह न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभकारी होगा।
बांग्लादेश में एक और तख्तापलट की अटकलें, सेना प्रमुख को जारी करना पड़ा बयान
ढाका, 25 मार्च: बांग्लादेश में सैन्य शासन लागू होने या आपातकाल लगने की अटकलें तेज हो गई हैं। सेना, प्रशासन और छात्र संगठनों के बीच बढ़ते तनाव ने इन चिंताओं को जन्म दिया है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ कदम उठा सकती है। ढाका में बांग्लादेशी सेना की तैनाती ने तख्तापलट की अफवाहों को और हवा दी है। रिपोर्टों से पता चलता है कि बांग्लादेशी सेना की सावर स्थित 9वीं डिवीजन की टुकड़ियां इक्ट्ठी हो रही हैं और उन्होंने चरणबद्ध तरीके से राजधानी में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। देश के प्रमुख मीडिया आउटलेट, नॉर्थईस्ट न्यूज के अनुसार, सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों का कहना है कि सेना खासतौर से ढाका में नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, बढ़ती अटकलों को शांत करने की कोशिश में सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने सोमवार को अफवाहों को खारिज करते हुए धैर्य रखने की अपील की। ढाका छावनी में ‘अधिकारी अभिभाषण’ में देश भर से आए वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए जनरल वाकर ने सेना के समर्पण, पेशेवर रवैय की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गलत सूचनाओं की वजह से ध्यान नहीं भटकना चाहिए। जनरल वाकर ने बिगड़ती कानून व्यवस्था, गलत सूचना के खतरे और भड़काऊ बयानबाजी सहित प्रमुख चिंताओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा ‘देश और उसके लोग सेना की सर्वोच्च प्राथमिकता बने हुए हैं’। सेना प्रमुख ने सैनिकों से सतर्क रहने और उकसावे के आगे न झुकने की अपील की। बता दें सेना छह महीने से अधिक समय से मजिस्ट्रेसी शक्तियों का इस्तेमाल कर रही है और नागरिक प्रशासन की मदद कर रही हैं। सुरक्षा बलों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने और यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल के महीनों में राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों के बढ़ते विरोध के कारण तनाव बढ़ गया है, जिससे सैन्य हलकों में बेचैनी पैदा हो गई है। इन हालात ने कथित तौर पर सेना के भीतर कुछ गुटों को असहमति की आवाजों को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, जनरल वाकर ने किसी भी आवेगपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के कदम देश को अस्थिर करने की कोशिश करने वालों के हितों की पूर्ति कर सकते हैं। नाजुक हालात ने एक और मोड़ तब ले लिया जब शुक्रवार को जारी एक पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो में एक छात्र नेता ने सेना प्रमुख के खिलाफ विस्फोटक आरोप लगाए। एक अन्य प्रमुख छात्र कार्यकर्ता और नई नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी), हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में सेना के खिलाफ एक जन आंदोलन शुरू करने की धमकी दी। अंतरिम सरकार में स्थानीय सरकार, ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले आसिफ महमूद शोजिब भुइयां ने दावा किया कि जनरल वाकर शुरू में मुख्य सलाहकार के रूप में मोहम्मद यूनुस की नियुक्ति का समर्थन करने में अनिच्छुक थे। 11 मार्च को अब्दुल्ला और जनरल वाकर के बीच एक गुप्त बैठक की खबरें आईं, जिसके दौरान सेना प्रमुख ने कथित तौर पर शेख हसीना की अवामी लीग के राजनीति में लौटने और चुनाव लड़ने की संभावना का संकेत दिया।