शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर फिर ‘बेतुकी नौटकी’ की आतंकवाद का महिमा मंडन किया: भारत

संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली, 27 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण पर भारत ने जोरदार जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान को “आतंकवाद का निर्यातक” बताते हुए उनके “जीत” के दावों पर व्यंग्य कसा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने कहा, “अगर बर्बाद रनवे और जले हुए हैंगर जीत जैसे लगते हैं, जैसा कि उनके प्रधानमंत्री ने दावा किया, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है।” भारत ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सेना ने ही संघर्ष रोकने की ‘‘अपील की’’ थी और दिल्ली तथा इस्लामाबाद के बीच किसी भी मसले में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। इससे पहले शरीफ ने अपने भाषण में भारत के खिलाफ जीत का दावा किया था। इस पर भारत ने करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान के खूब मजे लिए। शहबाज शरीफ का झूठ से भरा भाषण शुक्रवार को यूएनजीए के सामान्य बहस सत्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर “अकारण आक्रमण” का आरोप लगाया। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए दावा किया कि पाकिस्तानी वायुसेना ने “उड़ान भरी और सात भारतीय जेट विमानों को मलबे में बदल दिया।” शरीफ ने कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान कश्मीरियों के साथ खड़ा है। इस दौरान शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी जिक्र किया और कहा कि ट्रंप ने मई के संघर्ष के बाद युद्धविराम में “सक्रिय भूमिका” निभाई। भारत का कड़ा जवाब: “नाटकीयता और झूठ से तथ्य छिप नहीं सकते” भारत ने शनिवार को “जवाब देने के अधिकार” (राइट टू रिप्लाई) का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान के दावों को खारिज कर दिया। भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने शरीफ के भाषण को “बेतुकी ड्रामेबाजी” करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सभा सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नाटकीयता का साक्षी बनी, जिन्होंने एक बार फिर आतंकवाद की महिमा गाई, जो उनकी विदेश नीति का केंद्र बिंदु है। लेकिन कोई भी ड्रामा या झूठ तथ्यों को छिपा नहीं सकता।” गहलोत ने मई में हुए संघर्ष के बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के दावों का खंडन करते हुए कहा कि पाकिस्तान की भारत के खिलाफ धमकियां केवल भारतीय सेना द्वारा 10 मई को कई पाकिस्तानी वायुसेना अड्डों को तबाह करने के बाद ही बंद हुईं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हाल के संघर्ष का एक अजीबो-गरीब विवरण प्रस्तुत किया। इस मामले का रिकॉर्ड स्पष्ट है। 9 मई तक, पाकिस्तान भारत पर और हमलों की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को, उसकी सेना ने हमसे सीधे युद्धविराम की गुहार लगाई। बीच में जो भी घटना हुई वह केवल ये थी कि भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी वायुसेना अड्डों को नष्ट किया। उन नुकसानों की तस्वीरें निश्चित रूप से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। यदि नष्ट हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह दिखते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया, तो पाकिस्तान इसे अपनी जीत मानने के लिए स्वतंत्र है।” भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से उड़ाए पाक के एयरबेस भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेसों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में बहावलपुर, मुरिदके और अन्य रणनीतिक स्थानों पर स्थित पाकिस्तानी वायुसेना के रनवे, हैंगर और आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। ब्रह्मोस मिसाइलों की गति और सटीकता ने पाकिस्तानी रक्षा तंत्र को चकमा दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई लड़ाकू विमान और सैन्य सुविधाएं नष्ट हो गईं। भारतीय राजदूत ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताते हुए कई उदाहरण दिए। उन्होंने उल्लेख किया कि पाकिस्तान ने दशक भर तक ओसामा बिन लादेन को शरण दी, जबकि आतंकवाद के खिलाफ “सहयोगी” होने का ढोंग रचता रहा। गहलोत ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार “द रेसिस्टेंस फ्रंट” (TRF) को पाकिस्तान संरक्षण देता है। उन्होंने कहा, “25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने इस पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकी संगठन को पहलगाम नरसंहार की जिम्मेदारी से बचाया।” उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए बताया कि भारत ने बहावलपुर और मुरिदके में आतंकी ठिकानों पर हमला कर कई आतंकियों को मार गिराया। गहलोत ने पाकिस्तानी मंत्रियों के हालिया बयानों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान दशकों से आतंकी शिविर चला रहा है। उन्होंने मांग की, “पाकिस्तान को तत्काल सभी आतंकी शिविर बंद करने चाहिए, वांछित आतंकवादियों को सौंपना चाहिए। भारत आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को ‘परमाणु ब्लैकमेल’ से डरे बिना जवाबदेह ठहराएगा।” द्विपक्षीय मुद्दों पर भारत की स्थिति गहलोत ने कश्मीर और सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान के तीसरे पक्ष को शामिल करने के प्रयासों को खारिज करते हुए कहा, “भारत और पाकिस्तान लंबे समय से सहमत हैं कि उनके बीच कोई भी लंबित मुद्दा द्विपक्षीय रूप से हल किया जाएगा। इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई गुंजाइश नहीं है।” उन्होंने शरीफ के “शांति” के आह्वान पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर वह वास्तव में ईमानदार हैं, तो पाकिस्तान को नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता पर आत्मचिंतन करना चाहिए।”

‘नस्लवाद को ना, ट्रंप को ना’, अमेरिकी राष्ट्रपति की दूसरी राजकीय यात्रा के दौरान ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शन

लंदन, 18 सितंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बुधवार को विंडसर कैसल में शाही स्वागत किया गया, लेकिन साथ ही कैसल के बाहर कई प्रदर्शनकारियों ने उनकी अभूतपूर्व दूसरी राजकीय यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई हजार लोगों ने ट्रंप की यात्रा का विरोध करने के लिए मध्य लंदन में मार्च किया। ट्रंप का अपनी इस यात्रा के दौरान ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक भव्य भोज में शामिल होने के साथ ही प्रधानमंत्री कीअर स्टॉर्मर के साथ एक बैठक करने का भी कार्यक्रम है। ‘नस्लवाद को ना, ट्रंप को ना’ लिखे बैनर से विरोध ‘स्टॉप ट्रंप यूके कोएलिशन’ द्वारा आयोजित प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों ने “नस्लवाद को ना, ट्रंप को ना” लिखे बैनर लिया हुआ था। प्रदर्शनकारी संसद की ओर जाने वाली रीजेंट स्ट्रीट की ओर बढ़े। लंदन के पुलिस बल ने 1,600 कर्मियों को तैनात किया था क्योंकि उन्हें लगभग 50 विभिन्न समूहों के सदस्यों के आने की आशंका थी, जिनमें जलवायु, नस्लवाद विरोधी और फलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता शामिल थे। चार्ल्स तृतीय ने ट्रंप-मेलानिया का सवागत किया ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया हेलीकॉप्टर से विंडसर कैसल पहुंचे, जहां चार्ल्स तृतीय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और इस दौरान सैन्य बैंड ने अमेरिका और ब्रिटेन के राष्ट्रगान बजाये। कैसल के बाहर, कई लोगों ने पूरे दिन विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि बड़ी संख्या में पुलिस बल की उपस्थिति और घटना को कवर करने वाले अंतरराष्ट्रीय समाचार दल की तुलना में उनकी संख्या कम थी। विंडसर में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया जिसमें से एक को आपातकालीन कर्मचारी पर हमला करने और धमकी देने के आरोप में तथा दूसरे को सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन और हमले के संदेह में गिरफ्तार किया गया।

ब्रिटिश किंग चार्ल्‍स ने ट्रंप कपल के लिए रखी शाही दावत, मेलानिया अपनी ड्रेस को लेकर हुईं ट्रोल

लंदन, 18 सितंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ ब्रिटेन दौरे पर हैं. किंग चार्ल्स और क्विन कमिला उनकी मेजबानी कर रहे हैं. इस मौके दौरे के दूसरे दिन बुधवार को शाही विंडसर कैसल में शाही दावत का आयोजन भी किया गया. यहां मेलानिया ब्राइट येलो ड्रेस पर पिंक बेल्ट लगाए पहुंची जिनके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है. हालांकि मेलानिया अपने फैशन सेंस के लिए जानी जाती हैं. यह ड्रेस डिजाइनर कैरोलिना हेरेरा ने बनाई थी. इस ड्रेस का चमकीला पीला रंग सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के रूप में लोगों की आंखों में चुभता नजर आया. एक तरफ जहां कुछ लोगों ने इसे ‘भयानक’ बताया, तो कुछ ने कहा कि मेलानिया ने ‘रंगों का तालमेल’ सही नहीं किया. वहीं, एक्सपर्ट्स ने बताया कि मेलानिया की ड्रेस के कलर के पीछे कुछ सीक्रेट मैसेज हो सकते हैं. सोशल मीडिया ट्रोलिंग जहां एक तरफ कई लोगों ने मेलानिया की इस ड्रेस की खुलकर आलोचना की, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें यह ड्रेस काफी पसंद आई. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि माफ कीजिए, लेकिन मुझे मेलानिया का यह पीला गाउन बिल्कुल पसंद नहीं आया. एक और व्यक्ति ने टिप्पणी की, “यह बहुत अजीब है, बस इतना ही कह सकता हूं.” कुछ अन्य लोगों ने लिखा कि हरी ड्रेस इस मौके के लिए बेहतर होती. तारीफ भी हो रही कुछ लोगों ने मेलानिया के इस बोल्ड फैशन चॉइस की तारीफ भी की. एक प्रशंसक ने लिखा कि शुरुआत में मैं भी श्योर नहीं थी, लेकिन जब मैंने इसे पूरा देखा, तो मुझे यह बहुत पसंद आया. यह लुक मॉर्डन और फ्रेश है. कानों में झुमके भी बहुत शानदार लग रहे हैं. मैं कभी चमकीले पीले रंग की बहुत बड़ी प्रशंसक नहीं रही, लेकिन मेलानिया कुछ भी पहन सकती हैं. क्या ड्रेस में छिपा था कोई ‘सीक्रेट मैसेज’? एक मशहूर फैशन स्टाइलिस्ट मारियन क्वेई ने बीबीसी को बताया कि मेलानिया की इस ड्रेस में एक छिपा हुआ संदेश हो सकता है. क्वेई के अनुसार, दो बिल्कुल अपोजिट कलर का कॉम्बिनेशन पहनना साफ-साफ बताता है कि ट्रंप अपने तरीके से ही काम करते रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि यह ड्रेस ‘ट्रंप के नजरिए को दर्शाती है.’ क्वेई ने मेलानिया की एक और ड्रेस के बारे में बात की थी, जो उन्होंने यूके पहुंचने पर पहनी थी. उस समय उन्होंने एक बहुत बड़ी बैंगनी टोपी पहनी थी, जिससे उनका चेहरा लगभग छिपा हुआ था. क्वेई ने कहा कि यह टोपी “यह दर्शाती है कि वह चाहती हैं कि सभी की निगाहें उनके पति और उनके एजेंडे पर रहें.” उन्होंने यह भी बताया कि टोपी का बैंगनी रंग, जो राष्ट्रपति की टाई से मेल खा रहा था, उनके पति के एजेंडे के प्रति उनके सपोर्ट का प्रतीक था.

नेपाल में पदभार संभालते ही प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का ऐलान, प्रदर्शन में जान गंवाने वालों को ‘शहीद’ का दिया दर्जा

काठमांडू, 14 अगस्त: नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। पदभार संभालते ही उन्होंने जेन-जी आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को ‘शहीद’ का दर्जा और उनके आश्रितों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के फैसले के विरोध में हुए आंदोलन के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। सुशीला कार्की ने शपथ ग्रहण के दो दिन बाद कार्यभार संभाला। उन्होंने रविवार सुबह लैंचौर स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर अपने कार्यकाल की शुरुआत की, जिसके बाद वे सिंह दरबार गईं। उन्होंने गृह मंत्रालय के भवन से अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन शुरू किया, क्योंकि पिछले मंगलवार को हिंसक प्रदर्शनों और आगजनी से मुख्य परिसर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया था। कार्यभार संभालते ही प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान की। मुख्य सचिव एकनारायण आर्यल ने कहा है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों को ‘शहीद’ माना जाएगा और उनके परिवारों को 10-10 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने 134 घायल प्रदर्शनकारियों और 57 घायल पुलिसकर्मियों के चिकित्सा उपचार की घोषणा की है। द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालयों को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए नुकसान का विस्तृत विवरण देने वाली रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में 72 लोगों ने जान गंवाई है, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और तीन पुलिस अधिकारी शामिल हैं। राष्ट्रपति पौडेल ने शनिवार को राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने सभी पक्षों से अगले साल 5 मार्च को होने वाले प्रतिनिधि सभा के चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सहयोग करने का आग्रह किया। उनकी यह टिप्पणी शुक्रवार आधी रात को निचले सदन के भंग होने के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों की बढ़ती आलोचना के बीच आई। इस कदम को व्यापक रूप से जेन-जी आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक के रूप में देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मौजूदा संसद भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और वास्तविक सुधार करने में असमर्थ है। कार्की की सिफारिश पर अमल करते हुए निचले सदन को भंग कर दिया गया था। राष्ट्रपति पौडेल ने इसे संविधान, संसदीय प्रणाली और नेपाल के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया था।

किम जोंग-उन सैन्य परेड में पुतिन और शी के साथ शामिल हुए, 66 वर्षों में पहली बार तीनों देश के नेता साथ

बीजिंग, 03 सितंबर : उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन, रूस के व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग बुधवार को बीजिंग में एक सैन्य परेड के दौरान एक साथ खड़े हुए। 66 साल में यह पहली बार था जब इन तीनों देशों के नेता मिले। किम का तियानमेन स्क्वायर की दर्शक दीर्घा में पुतिन और शी के साथ खड़ा होना पश्चिमी देशों के विरोध में उनकी त्रिपक्षीय एकजुटता का एक बड़ा प्रदर्शन है। एक काले सूट और सुनहरे रंग की टाई पहने, किम समारोह से पहले धीरे-धीरे तियानमेन स्क्वायर के मुख्य द्वार में चले, जहां लाल कालीन पर शी ने अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ उनका स्वागत किया, जिसमें पुतिन भी शामिल थे। शी ने किम और पुतिन का अभिवादन किया। इस दौरान तीनों नेताओं के बीच अच्छा तालमेल और वार्तालाप देखा गया। चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बीच एकजुटता प्रदर्शित करते हुए तीनों नेता मंच पर एक साथ पहुंचे और आपस में दोस्ताना बातचीत की। तीनों नेता तियानमेन चौक पर भव्य समारोह के साथ परेड शुरू होने तक बातचीत करते रहे। इस परेड के जरिए चीन ने जापान पर अपनी जीत और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ मनाई। इस दौरान वे तीनों नेता एक दूसरे के बगल में खड़े थे। यह 66 साल में पहली बार है जब इन तीन देशों के नेता एक साथ आए हैं। इससे पहले 1959 में उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल-सुंग, चीन के संस्थापक माओत्से तुंग और सोवियत संघ के पूर्व प्रधानमंत्री निकिता ख्रुश्चेव ने इसी चौक पर एक समान सैन्य परेड में भाग लिया था। यह किम, शी और पुतिन की भी पहली मुलाकात है। इन तीनों नेताओं को संयुक्त राज्य अमेरिका के विरोधी के तौर पर जाना जाता रहा है। ऐसे में उनका एक साथ आना, अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था के सामने उनकी आपसी एकजुटता का एक मजबूत संकेत होगा। परेड में दिए गए एक भाषण में, शी जिनपिंग ने कहा कि चीनी जनता के ‘पुनरुद्धार’ की सराहना की और कहा कि मानवता एक बार फिर युद्ध या शांति के बीच एक विकल्प के दौर से गुजर रही है। यह किम जोंग उन के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है। चीनी सैन्य परेड में उनका भाग लेना चीन के साथ पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंधों को बहाल करने और अपनी लंबे समय से चली आ रही अलग-थलग वाली छवि को खत्म करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। कुछ लोगों का यह भी अनुमान है कि किम अमेरिका के साथ संभावित वार्ता बहाली से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा (एनआईएस) का आकलन है कि किम शी और पुतिन के साथ अलग-अलग शिखर सम्मेलन कर सकते हैं, हालांकि त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन की संभावना कम है।

पुतिन ने मोदी को अपनी ‘लिमोजीन’ कार में दी लिफ्ट, चीन में द्विपक्षीय वार्ता स्थल तक साथ पहुंचे

तियानजिन, 01 सितंबर: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी ‘ऑरस लिमोजीन’ कार में लिफ्ट दी और दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता स्थल तक साथ पहुंचे। रूस के राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन ‘वेस्तीएफएम’ की खबर के अनुसार, ‘‘पुतिन की ‘लिमोजीन’ से होटल पहुंचने के दौरान रास्ते में दोनों नेताओं के बीच बातचीत जारी रही। होटल में दोनों नेता अपनी अपनी टीम के सदस्यों के साथ एक दूसरे से मिलने वाले थे। हालांकि, होटल पहुंचने पर वे रूसी राष्ट्रपति की लिमोजीन से नहीं उतरे और 50 मिनट तक बातचीत करते रहे।’’ बाद में, ‘क्रेमलिन’ (रूस के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दोनों नेताओं ने कार में लगभग एक घंटे तक आमने-सामने की बातचीत की। मोदी ने सोशल मीडिया पर लिमोजीन के अंदर अपनी और रूस के राष्ट्रपति की एक तस्वीर भी साझा की। मोदी ने कहा, ‘‘एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद राष्ट्रपति पुतिन और मैं द्विपक्षीय बैठक स्थल पर साथ-साथ पहुंचे। उनके साथ बातचीत हमेशा सार्थक होती है।’’ मॉस्को में जानकारों का कहना है कि मोदी और पुतिन के बीच शायद यह सबसे महत्वपूर्ण विशेष बातचीत थी, जिसमें उन्होंने संभवतः ऐसे मुद्दों पर चर्चा की जिसकी ‘‘जानकारी किसी और को नहीं हुई’’। अपनी द्विपक्षीय वार्ता के दौरान, मोदी ने पुतिन को बताया कि यूक्रेन संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करना मानवता का आह्वान है। उन्होंने कहा कि मानवता का आह्वान है कि संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए और क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के तरीके खोजे जाएं। मोदी ने यह भी कहा कि भारत रूसी नेता के स्वागत का इंतजार कर रहा है। पुतिन दिसंबर में मोदी के साथ शिखर वार्ता के लिए भारत आने वाले हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 500 पहुंची

काबुल, 01 सितंबर : अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांतों में रविवार रात आए भीषण भूकंप ने तबाही मचा दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 500 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी बयान में बताया गया कि भूकंप का केंद्र कुनर प्रांत के हिंदू कुश क्षेत्र में था, जिसने नूरगल, सूकी, वतपुर, मानोगी और चपे-दरे जैसे दूरदराज के इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया है. स्थानीय अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई गांवों तक राहत और बचाव कार्यों की पहुंच अभी तक नहीं हो पाई है. रिक्टर स्कैल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई और इसका केंद्र जमीन से केवल 8 किलोमीटर की गहराई पर था. इसके कारण भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में मलबे में दबे घरों और घायलों को बाहर निकालने की कोशिश करते लोगों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. एक तस्वीर में एक व्यक्ति मलबे के बीच रोते हुए नजर आ रहा है, जो इस दुखद घटना की गंभीरता को दर्शाता है. तमाम घर तबाह स्थानीय निवासियों का कहना है कि भूकंप के बाद कई झोपड़ियों और पक्के मकानों में दरारें आ गईं, जबकि कुछ पूरी तरह ढह गए. तालिबान प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और टूटी सड़कों के कारण टीमों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हेलिकॉप्टर और चिकित्सा सहायता मुहैया कराने की अपील की है, क्योंकि कई प्रभावित क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से पहुंचना असंभव हो गया है. तालिबान सरकार के पास सीमित संसाधन हैं और वे संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों से तत्काल मदद की उम्मीद कर रहे हैं. इस भूकंप ने अफगानिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य ढांचे को और चुनौती दी है. पिछले कुछ वर्षों में आए भूकंपों ने पहले भी इस देश को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन 2023 का 6.3 मैग्निट्यूड का भूकंप सबसे घातक माना जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि हिंदू कुश क्षेत्र का भूकृतिकीय रूप से सक्रिय होना इस तरह की आपदाओं का कारण है जहां यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं. मौजूदा स्थिति में चिकित्सा शिविरों की स्थापना और भोजन-पानी की आपूर्ति की मांग बढ़ गई है, क्योंकि कई परिवार बेघर हो गए हैं. अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस संकट पर चिंता जताई है और राहत सामग्री भेजने की तैयारी शुरू कर दी है. संयुक्त राष्ट्र के आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि वे प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने के लिए जल्द ही अपनी टीम भेजेंगे.

पीएम मोदी से मिलने के बाद जिनपिंग ने कहा, ‘ड्रैगन और हाथी अब आ जाएं साथ’

तियानजिन, 31 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 7 साल बाद एक मंच पर मिले। दोनों के बीच करीब 50 मिनट तक बातचीत हुई। द्विपक्षीय वार्ता में कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीमा समझौते और दोनों देशों के बेहतर होते रिश्ते पर बातचीत हुई। दोनों देशों के व्यावसायिक संबंधों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया। इस दौरान जिनपिंग ने कहा कि पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों के लिए यह सही है कि ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों। ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं। चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम विश्व के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। हम ग्लोबल साउथ के भी अहम सदस्य हैं। हम दोनों अपने लोगों की भलाई के लिए जरूरी सुधार लाने और मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाते हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार जताते हुए कहा, “मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत ही सार्थक चर्चा हुई थी। हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। सीमा मुद्दे पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों ने समझौता किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही है।” वहीं, पीएम मोदी ने ये भी कहा कि हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत और जापान के क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता: प्रधानमंत्री मोदी

टोक्यो/नई दिल्ली, 30 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के विभिन्न प्रांतों के गवर्नरों से मुलाकात की और इस बात पर बल दिया कि भारत और जापान के बीच संबंधों को अब राज्यों और प्रांतों के स्तर पर भी विस्तार देना आवश्यक है, ताकि दोनों देश विकास के पथ पर एक-दूसरे के साझीदार बन सकें। अपनी जापान यात्रा के दूसरे दिन, श्री मोदी ने टोक्यो में 16 प्रांतों के गवर्नरों के साथ गहन चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के राज्यों और जापान के प्रांतों के बीच सहयोग भारत-जापान संबंधों का एक महत्वपूर्ण आधार है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “आज सुबह टोक्यो में जापान के 16 प्रांतों के गवर्नरों के साथ उपयोगी बातचीत हुई। क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग भारत और जापान की दोस्ती का एक मजबूत स्तंभ है। इसीलिए, कल 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में इस दिशा में एक विशेष पहल शुरू की गई। व्यापार, नवाचार, उद्यमिता, स्टार्टअप, प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में असीमित संभावनाएँ मौजूद हैं।” गवर्नरों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान के बीच आधुनिक संबंध दोनों देशों की प्राचीन सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत से प्रेरणा लेते हुए निरंतर प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी की गति पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर जोर दिया कि अब समय है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को दिल्ली और टोक्यो तक सीमित न रखकर राज्यों और प्रांतों के बीच नए सिरे से मजबूत किया जाए। इस संदर्भ में उन्होंने 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में शुरू की गई क्षेत्रीय साझेदारी पहल का उल्लेख किया, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी, पर्यटन, कौशल विकास, सुरक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी। उन्होंने जापान के गवर्नरों और भारत के राज्य सरकारों से इस पहल का अधिकतम लाभ उठाने और विनिर्माण, तकनीक, नवाचार, गतिशीलता, अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, स्टार्टअप और लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) जैसे क्षेत्रों में साझेदारी स्थापित करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान के प्रत्येक प्रांत की अपनी अनूठी आर्थिक और तकनीकी विशेषताएँ हैं, और उसी तरह भारत के राज्यों की भी विविधतापूर्ण क्षमताएँ हैं। उन्होंने गवर्नरों को भारत की विकास यात्रा में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया और दोनों देशों द्वारा किए गए युवा व कौशल आदान-प्रदान के वादों में योगदान देने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने जापानी तकनीक को भारतीय प्रतिभा के साथ जोड़कर सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने की बात कही। गवर्नरों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-जापान के बीच व्यापार, शिक्षा, संस्कृति और जन-जन के बीच संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। गवर्नरों के साथ इस मुलाकात के बाद, प्रधानमंत्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री के साथ सेमीकंडक्टर हब के रूप में प्रसिद्ध शहर सेन्डाई के लिए रवाना हुए।

मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री के साथ बुलेट ट्रेन में की यात्रा

टोक्यो/नई दिल्ली, 30 अगस्त : जापान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम शिगेरु इशिबा के साथ बुलेट ट्रेन का भी लुत्फ उठाया। साथ ही उन्होंने बुलेट ट्रेन ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेने वाले भारतीयों से भी मुलाकात की। जापानी प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर करते हुए कहा, प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेंदाई की यात्रा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्फा-एक्स ट्रेन को भी देखा और जानकारी ली। बता दें कि भारतीय ड्राइवर जेआर ईस्ट के साथ इस समय ट्रेनिंग कर रहे हैं। जेआर ईस्ट जापान की एक रेलवे कंपनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लैटफॉर्म पर ही उनसे मुलाकात की और फोटो भी खिंचवाईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को जापान के मियागी प्रांत के सेंडाई में स्थित एक सेमीकंडक्टर संयंत्र गए। इससे पहले प्रधानमंत्री ने जापान के 16 प्रांतों के गवर्नर से मुलाकात की और भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के तहत ‘राज्य-प्रांत सहयोग’ को मजबूत किए जाने का आह्वान किया। जापान के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘तोक्यो में आज सुबह जापान के 16 प्रांतों के गवर्नर के साथ बातचीत की। राज्य-प्रांत सहयोग भारत-जापान मैत्री का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यही कारण है कि कल 15वें वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन के दौरान इस पर अलग से एक पहल की गई।’ उन्होंने कहा, ‘व्यापार, नवोन्मेष, उद्यमिता आदि क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। ‘स्टार्टअप’, प्रौद्योगिकी और एआई जैसे भविष्योन्मुखी क्षेत्र भी लाभकारी हो सकते हैं।’ विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, मोदी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों पर आधारित भारत-जापान संबंध निरंतर मजबूत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि तोक्यो और नयी दिल्ली पर परंपरागत रूप से ध्यान केंद्रित करने से आगे बढ़कर राज्य-प्रांत संबंधों को नए सिरे से बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य-प्रांत साझेदारी पहल व्यापार, प्रौद्योगिकी, पर्यटन, कौशल, सुरक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री ने जापान के विभिन्न प्रांतों के गवर्नर और भारतीय राज्य सरकारों से विनिर्माण, गतिशीलता, अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, नवोन्मेष, ‘स्टार्ट-अप’ और लघु व्यवसायों में सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया।