नई दिल्ली, 17 सितंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिवस पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राजधानी की सड़कों पर सांकेतिक ‘गौ–मार्च’ निकाला और गायों की सुरक्षा–आश्रय व्यवस्था को लेकर सरकारों को घेरा। प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आवास तक पैदल पहुँचे और रास्ते में दिखने वाली गायों को संदेश–पट्टा पहनाकर मांग रखी कि “गौ माता प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई देती हैं, पूछती हैं-हमें घर कब मिलेगा?”

प्रदर्शन का संदेश

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब सत्ता पक्ष जन्मदिन का उत्सव मना रहा है, तब दिल्ली की हजारों गायें कूड़े में भोजन खोजने को मजबूर हैं, जिससे प्लास्टिक–पॉलीथिन निगलकर उनकी जान पर बन आती है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र, नगर निगम और राजधानी में जिम्मेदार तंत्र होते हुए भी आवारा गौ–सुरक्षा, आश्रय और चारे की स्थायी व्यवस्था नहीं बन सकी, जबकि यह दायित्व प्रशासनिक प्राथमिकताओं में होना चाहिए।

गौशालाओं पर निवेश’ की मांग

आप नेताओं ने आग्रह किया कि उत्सवी खर्च का एक हिस्सा गौशालाओं, पशु–चिकित्सा शिविरों और कचरा–प्रबंधन सुधार पर विनियोजित किया जाए, ताकि सड़कों पर भटकती गायों को सुरक्षा और आहार मिल सके। प्रदर्शन के दौरान शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन सौंपा गया और कहा गया कि टकराव की जगह समाधान–केंद्रित पहल आवश्यक है।

चार इंजन’ सरकार पर निशाना

एमसीडी में आप के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि केंद्र, प्रदेश, निगम और एजेंसियों के समन्वय के बावजूद आवारा गायों का मुद्दा लंबित है। उन्होंने सेवा पखवाड़े के दौरान विशेष अभियान चलाकर गौ–उद्धार, टीकाकरण, टैगिंग और पुनर्वास के लक्ष्य तय करने तथा समयबद्ध समीक्षा की मांग रखी।

प्रशासन से अपेक्षाएँ

प्रदर्शनकारियों ने अपील की है कि लैंडफिल और बाजार क्षेत्रों के पास गौ–रेस्क्यू की त्वरित इकाइयाँ तैनात की जाएँ। गौशालाओं की क्षमता, चारा–आपूर्ति और पशु–चिकित्सा सेवाओं के लिए पृथक बजट सुनिश्चित हो और कचरा पृथक्करण, प्लास्टिक–निरोध और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाकर गायों के कूड़ा खाने की प्रवृत्ति रोकी जाए।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस बल की तैनाती रही और मार्च शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। प्रदर्शनकारियों ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक संदेश पहुँचेगा और गौ–कल्याण के लिए ठोस, समयबद्ध कदम उठाए जाएँगे।

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