नई दिल्ली, 11 दिसंबर: लोकसभा ने रेलवे के संचालन को ज्यादा सरल और सुविधाजनक बनाने तथा स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को ज्यादा शक्ति देने के वास्ते दो पुराने कानूनों को जोड़कर बनाया गया ‘रेल संशोधन विधेयक -2024’ बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सदस्यों ने कई अच्छे सुझाव दिए हैं। विधेयक की आवश्यकता संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि विधेयक को सरल बनाने की जरूरत थी और इसमें 1905 तथा 1989 के संशोधन को मिलाकर कानून को सरल बनाया गया है। रेलवे का बहुत विकेंद्रीकरण हुआ है और उसका देश को बड़ा लाभ हुआ है क्योंकि अधिकारियों को लोगों की जरूरत के अनुसार काम करने का अधिकार मिला है।
उन्होंने कहा कि पिछले दस साल के दौरान रेलवे में स्वच्छता के स्तर पर बहुत बदलाव आया है। इन दौरान करीब तीन लाख दस हजार नये टॉयलेट बनाए गये हैं और स्वदेशी तकनीकी से वंदेभारत रेल शुरु की गई और इसकी वजह से इसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। छोटी दूरी दो से ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर नमो भारत रेल चल रही हैं। रेल लाइनों का बड़े स्तर पर विद्युतिकरण हुआ है। इसका फर्क यह है कि 60 साल में 21 हजार लाइनों का विद्युतिकरण हुआ था, लेकिन इन दस साल में 44 हजार किलोमीटर का विद्युतिकरण हुआ है।
रेल मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में खूब निवेश हुआ है, लेकिन रेलवे में कम हुआ है और इधर रिकार्ड कायम हुए हैं। मोदी सरकार ने 31 हजार नये ट्रैक बनाए हैं और एक साल में पांच हजार से अधिक रेलवे के नये ट्रैक बने हैं। रेलवे को लेकर निजीकरण की किसी भी तरह की गलत अवधारणा नहीं बनाने की उन्होंने विपक्षी दलों से आग्रह किया और कहा कि इस तरह की अवधारणा नहीं बनाई जानी चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि देश ने रेलवे के क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की की है। सरकार ने सदस्यों की मांग को ध्यान में रखते हुए रेल के जनरल कोच बढाए गये हैं और हर रेल पर ज्यादा जनरल कोच लगाए जा रहे हैं। अमृत भारत में 20 में से 10 स्लीपर और दस अन्य कोच हैं। यह ट्रेन वंदे भारत की तर्ज पर बनाई गई है। अब हर महीने अमृत भारत की ट्रेन हर महीने या दो महीने में बढाई जाएगी और इसमें एक हजार किलोमीटर की यात्रा के लिए महज 400 रुपए में सफर करने की सुविधा है। प्रयागराज में महाकुंभ होने वाला है और इसके लिए 13 हजार रेलों की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि 9000 रेलवे के बिना पहरेदार वाले लेवल क्रोसिंग को खत्म कर दिया गया है और वहां अंडर पास बनाए गये हैं। रेल में नई तकनीकी का इस्तेमाल कर रेलवे सुरक्षा में सुधार कर आटोमैटिक कंट्रोल को रेलवे में बढाया जा रहा है। रेलवे में सुरक्षा के सभी उपकरणों में सुरक्षा मानकों के साथ लगाया जा रहा है। यात्रियों की सुरक्षा का मामला है इसलिए इन सुरक्षा उपकरणों को उच्च स्तरीय सुरक्षा मानकों के साथ लगाया गया है। उनका कहना था कि रेल सुरक्षा को लेकर विकसित देशों ने जो काम 20 साल में किया है भारत ने वह काम पांच साल में करके दिखाया है। कवच सिगनल को लोको पायलेट की कैबिन में ले आता है और दस किलोमीटर दूर के सिगनल को कैबिन पर ही दिखाई देते हैं और कोहरे की स्थिति में इसका बहुत उपयोग है। यह कवच रेड लाइट आते ही खुद ही ब्रेक लगा देता है और लोको पायलेट ने इस पर खुशी जताई है और कहा है कि यह कवच रेलवे का नहीं बल्कि उनके परिवार का सुरक्षा कवच है। इसकी वजह से रेल दुर्घटना का आंकडा घटा है। मोदी सरकार से पहले साल में 345 रेल दुर्घटनाएं होती थी वह घटकर अब 95 तक आ गई है।
रेलवे में रक्तियों को लेकर उन्होंने कहा कि पहले जहां चार लाख 11 हजार लोगों को नौकरी मिली थी मोदी सरकार ने पांच लाख से अधिक लोगों को नौकरी दी है और परीक्षा को बहुत पारदर्शी से कराया गया है। भर्ती के लिए सालना कैलेंडर बनाया गया है और उसके हिसाब से नौकरी दी जा रही है।
पूर्वोत्तर को लेकर उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में मोदी सरकार ने रेलवे का अदभुत विकास हुआ है। नागालैंड में साल के बाद उल्लेखनीय कार्य हुआ है। वहां कोई राज्य नहीं है जहां रेल नहीं पहुंची। पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा जम्मू कश्मीर में रेल का ढांचा तैयार किया जा रहा है।