नई दिल्ली, 23 दिसंबर : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 37वें इंटेलिजेंस ब्यूरो शताब्दी बंदोबस्ती व्याख्यान में कहा है कि झूठी खबरों से अलगाववाद को भड़काना, सांप्रदायिक दंगे, सोशल मीडिया के जरिए नारको ट्रेड, साइबर्स स्पाई और क्रिप्टो करेंसी के मामले, एक अलग प्रकार का चैलेंज बनकर आज हमारे सामने खड़े हैं। इन चुनौतियों के लिए भी हमें अपनी एजेंसियों को परंपरागत तरीकों से बाहर निकाल कर नए तरीके से तैयार करना पड़ेगा। इसके लिए हमें ‘आउट आफ दा’ बॉक्स जाकर इनसे लड़ने के रास्ते ढूंढने पड़ेंगे, क्योंकि जब चुनौतियां बदलती हैं तो हमें उपाय भी बदलने पड़ेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने सोमवार को कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 5 साल में देश में कई प्रकार के खतरों से निर्णायक लड़ाई लड़कर वर्चस्व स्थापित किया है। 5 साल पहले तक हमारे देश के सामने दशकों से चले आ रहे तीन नासूर-पूर्वोत्तर, वामपंथी उग्रवाद और कश्मीर देश की शांति, कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और भविष्य को चैलेंज दे रहे थे। सरकार की सख्त नीतियों और कठोर निर्णयों के कारण हमारी आने वाली पीढ़ी को इन तीनों खतरों की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमने इन खतरों पर लगभग निर्णायक विजय प्राप्त कर ली है। श्री शाह ने कहा कि इन तीनों क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं में 70% और मृत्यु में लगभग 86% की कमी दर्ज हुई है।

अमित शाह ने कहा कि सूचना ब्यूरो की कार्यपद्धति, सतर्कता, सक्रियता, निर्णायक भूमिका निभाना और यश लेने के समय किसी और को आगे करने की त्याग और समर्पण की एक परंपरा ने आज देश को सुरक्षित रखा हुआ है। पिछले 10 साल में आसूचना ब्यूरो की तत्परता, तीक्षणा और परिणाम लाने की क्षमता में काफी सुधार हुआ है। आसूचना ब्यूरो ने अपनी निष्ठा, साहस, त्याग और समर्पण की परंपरा को न केवल बरकरार रखा है बल्कि इसे आगे भी बढ़ाया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा, आधुनिक चुनौतियों के सामने कठिन परिस्थितियों में विगत 5 साल में आसूचना ब्यूरो ने देश को सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा कि किसी भी इंटेलिजेंस एजेंसी का इकोसिस्टम देश की सुरक्षा के आधार के साथ-साथ देश के भविष्य और विकास की मूल ज़रूरत भी होता है। कोई भी देश एक सशक्त इंटेलिजेंस इकोसिस्टम के बिना आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि इसके बिना देश की संप्रभुता और आर्थिक विकास संभव नहीं है।

शाह ने कहा, वर्तमान स्थिति में इंटेलिजेंस इकोसिस्टम के प्रभाव को चार डायमेंशन में विभाजित किया जा सकता है। समाज, संप्रभुता, सुरक्षा और सजगता। इन सबके बीच में सीमलेस कम्युनिकेशन के बिना आज हम पूरे देश को सुरक्षित नहीं रख सकते। एक सुरक्षित समाज ही आर्थिक और सामाजिक विकास की नींव रखने में सक्षम होता है। इंटेलिजेंस इकोसिस्टम द्वारा समय पर खतरों की पहचान कर उन्हें समाप्त करना ही समाज में विश्वास और स्थिरता बनाए रखता है। अगर हमें नक्सलवाद, आतंकवाद, संगठित अपराध, विभाजनकारी ताकतों, सांप्रदायिकता, नारकोटिक्स और असामाजिक तत्वों को पूरी तरह नियंत्रण में रखना है तो हमारे लिए समाज की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।

अमित शाह ने कहा, आज के ज़माने में संप्रभुता के दायरे सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। अगर हम इनोवेशन, तकनीक, अर्थव्यवस्था, संसाधनों, शोध और अनुसंधान की प्रक्रिया को संप्रभुता की व्याख्या में शामिल नहीं करते हैं, तो हम देश को सुरक्षित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इन सभी क्षेत्रों की सुरक्षा में अगर थोड़ी सी भी चूक होती है तो हमारी संप्रभुता आहत होगी। इसलिए इसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। सुरक्षा, अब सीमा और नागरिकों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि सुरक्षा की व्याख्या में हमें आज कुछ नए बिंदु भी जोड़ने पड़ेंगे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और साइबर स्पेस जैसे क्षेत्रों में हो रहे तेज़ परिवर्तनों के प्रति सजगता बढ़ानी पड़ेगी।

आज सिर्फ भौतिक नुकसान करने वाले देशविरोधी तत्वों से सजग रहने से ही हमारा काम पूरा नहीं होता और हमें आज के परिदृश्य में सजगता के मायने बदलने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इंफॉर्मेशन और डाटा, विकास के बहुत बड़े टूल हैं, इन्हे सुरक्षित रखने के लिए हमारी परंपरागत पद्धतियों के साथ-साथ Mode, Method और Mechanism आदि में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ेगा। आने वाले दिनों में इसके लिए आसूचना ब्यूरो को तैयार और टेक्नोलॉजी से लैस करने की रिस्पॉन्सिबिलिटी युवा अफसरों पर होगी।

जब हम आगे बढ़ते हैं तो स्पर्धा बढ़ती है, खतरे बढ़ते हैं और रोकने वाली ताकतें भी खड़ी होती है। इन खतरों का मुकाबला करने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर मुख्यालय से लेकर पुलिस थाने और कॉन्स्टेबल तक एक भाव के साथ मजबूती के साथ खड़ा करना युवा अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विज़न के अनुरूप 2047 तक एक पूर्ण विकसित भारत के निर्माण के लिए इन सभी संभावित खतरों को विजुलाइज करना पड़ेगा और देश को इनसे सुरक्षित करने का पूरा रोड मैप भी तैयार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास और देश में शांति व स्थिरता तभी संभव है जब हम नई विस्तृत व्याख्या के अनुसार अपने काम को एक नया आकार दें, नई तैयारी करें और सजग हो जाएं।

अमित शाह ने कहा कि देश में विभाजनकारी ताकतें आज भी सक्रिय हैं। disinformation, misinformation, mal-information और fake news में इतनी ताकत है कि ये नई तकनीक के साथ हमारे समाज का ताना-बाना छिन्न-भिन्न करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस समाज में सामाजिक एकता ही न हो, वो देश किसी भी मायने में प्रगति नहीं कर सकता। इन सब चुनौतियों का जवाब देने और पूरी पुलिस फोर्स को जवाब देने के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी आज देश के सूचना वीरों की है।

अमित शाह ने कहा कि क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले, साइबर अटैक, इंफॉर्मेशन वारफेयर, साइकोलॉजिकल वारफेयर, केमिकल वारफेयर और युवाओं का रेडिकलाइजेशन और ज्यादा तीव्रता के साथ चैलेंज बनकर हमारे सामने उभरा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जिस प्रकार देश की सुरक्षा एजेंसियों ने आज तक सभी चुनौतियों का सामना किया है, उतनी ही तत्परता और सतर्कता के साथ इन खतरों से भी निपट सकेंगे। हमें आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग बढ़ाना होगा।

भारत विरोधी संगठनों और नेटवर्क का पता लगाने के लिए मित्र देशों के साथ हमारे इंटेलिजेंस कोआर्डिनेशन की रणनीति बनानी पड़ेगी और इसमें ऑफेंसिव भी होना पड़ेगा। हम सिर्फ सूचना दें, ये पर्याप्त नहीं है बल्कि हमारे लिए जरूरी सूचनाएं उनसे प्राप्त हों, ऐसा आग्रह भी हमें रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरंसी के लिए ब्लॉकचेन एनालिसिस टूल्स का उपयोग करने का समय अब आ गया है। इसके साथ ही, Hoax Calls और Fake Emails के लिए भी हमें बहुत तत्परता के साथ कदम उठाने पड़ेंगे क्योंकि इनके माध्यम से देश के दुश्मन जनता में भय और आतंक का वातावरण बनाने में सफल हो रहे हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा, आसूचना ब्यूरो को विकसित भारत की संकल्पना को साकार करना है तो कटिंग एज इंटेलिजेंस एजेंसी बनने के लिए खुद को तैयार करना होगा। इसके लिए युवा अफसरों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी सुरक्षा एजेंसी की सफलता का आधार जनशक्ति और अपने कर्मियों को प्रशिक्षण देने की क्षमता होता है। उन्होंने कहा कि हमें दुष्प्रचार के खिलाफ भी एक मजबूत इकोसिस्टम बनाना होगा। गृह मंत्री ने कहा कि दुष्प्रचार फैलाने के प्रयासों को हमें जीरो तक ले जाने के लिए हमारे पास रणनीति और टेक्नोलॉजी के साथ ही तत्परता भी होनी चाहिए।

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