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लक्षद्वीप में मिला सदियों पुराना युद्धपोत, जहाज पर मिले तोप और लंगर

-लंबाई करीब 50-60 मीटर, पुर्तगाली, डच या ब्रिटिश से हो सकता है संबंध

चेन्नई, 07 जनवरी: लक्षद्वीप समूह में कल्पेनी द्वीप के पास मरीन लाइफ को एक्सप्लोर कर रहे गोताखोरों को समुद्र की गहराई में एक युद्धपोत का मलबा मिला है। शोधकर्ताओं का मानना है कि तोपों से लैस यह जहाज संभवतः तीन यूरोपीय शक्तियों पुर्तगाली, डच या ब्रिटिश में से किसी का हो सकता है। माना जा रहा है कि यह 17वीं और 18वीं शताब्दी में मध्य पूर्व और श्रीलंका को जोड़ने वाले प्राचीन समुद्री मार्ग पर वर्चस्व की लड़ाई के दौरान डूब गया था। मरीन लाइफ खोजकर्ता ने कहा कि जब उन्होंने कल्पेनी के पश्चिमी हिस्से में मलबा देखा, तो नहीं पता था कि यह एक युद्धपोत है। जब एक तोप और एक लंगर मिला, तो एहसास हुआ कि यह एक महत्वपूर्ण खोज हो सकती है।

उन्होंने स्थानीय गोताखोरों के समूह का नेतृत्व किया। उनकी टीम में नसरुल्ला और सजुदीन शामिल थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को इस खोज के बारे में सूचित कर दिया है। खोजकर्ता माने ने कहा कि उन्हें यह लैगून के मुहाने पर सिर्फ़ चार या पांच मीटर की गहराई पर मिला। मलबा अरब सागर के गहरे हिस्सों में फैला हुआ मालूम होता है। जहाज, तोप और धातु के आकार को देखते हुए, यह एक यूरोपीय युद्धपोत हो सकता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस युद्धपोत के मलबे को लेकर और खोजबीन की जरुरत है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक और गोताखोरों के समूह के सलाहकार इदरीस बाबू ने कहा कि इस क्षेत्र में पहले ऐसे जहाज़ का मलबा कभी नहीं मिला है। जहाज की लंबाई करीब 50-60 मीटर है। सत्यजीत माने ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने 17वीं या 18वीं सदी में इस व्यापार मार्ग पर लोहे के जहाजों का इस्तेमाल किया था। इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए पानी के नीचे पुरातात्विक अध्ययन की जरुरत है। तब तक इस स्थल की सुरक्षा करना जरुरी है।

जानकारी के मुताबिक अंग्रेज़ लोहे के जहाजों का इस्तेमाल करते थे, पुर्तगाली लोहे और लकड़ी से बने जहाजों का इस्तेमाल करते थे। उन्होंने कहा कि मलबे पर कोरल की वृद्धि और जंग के कारण यह पता लगाना मुश्किल है कि जहाज पूरी तरह से लोहे से बना था या इसमें लकड़ी के भी घटक थे। जिस तरह से कोरल जहाज के ऊपर जमा है, उससे पता चलता है कि यह कुछ शताब्दियों से पानी में डूबा हुआ है।

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