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मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला और हस्तशिल्प के उत्पादों से आगंतुकों को लुभा रहा है बिहार पवेलियन
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मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला और हस्तशिल्प के उत्पादों से आगंतुकों को लुभा रहा है बिहार पवेलियन

नई दिल्ली, 22 नवंबर: विकसित बिहार के नारे के साथ यहां के भारत मंडपम में बिहार पवेलियन मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला और हस्तशिल्प के उत्पादों से आगंतुकों को लुभा रहा है।

यहां आयोजित 43वें भारत-अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भारत मंडपम के हॉल संख्या दो में बिहार संग्रहालय की ओर से बिहार पवेलियन स्थापित किया गया है। चार खंडों में विभाजित इस पवेलियन के प्रवेश द्वार पर विकसित बिहार की थीम और सुंदर-सुंदर तस्वीरें आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। बिहार पवेलियन में गुरुवार को लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली। यहां स्टॉल लगाने वालों ने हालांकि पवेलियन को खुला हुआ नहीं बनाये जाने को लेकर शिकायतें भी कीं।

बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराते हुए बिहार पवेलियन में कला और नवाचार का ऐसा संगम देखने को मिल रहा है, जो दर्शकों को प्रेरित कर रहा है।

इस बार मेले में मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला और हस्तशिल्प के अन्य उत्पाद दर्शकों का दिल जीत रहे हैं। यहां पर इन कलाओं ने न केवल बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया है, बल्कि नवाचार के जरिए इन्हें आधुनिक बाजारों में भी पहचान दिलाई है।

गौरतलब है कि मधुबनी पेंटिंग मुख्य रूप से चार, मिथिला पारंपरिक पेंटिंग, रामायण-महाभारत पेंटिंग, गोदना पेंटिंग और रेखाचित्र पेंटिंग भागों में विभाजित है। इसके अलावा मधुबनी पेंटिंग में तंत्र पेंटिंग भी काफी लोकप्रिय है, जिसमें दस महाविद्याओं और अवतारों का चित्रण होता है। इन पेंटिंग्स को पूरी तरह से प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है, जो इसे विशेष और पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।

मधुबनी जिले के उज्जैन नगर उसराही की रहने वाली नज़्दा खातून ने सिक्की कला को एक नई पहचान दी है। सिक्की घास से बनाए गए उनके उत्पाद जैसे चूड़ियां, बैग, गुलदस्ते, और मंदिर पाटी पारंपरिक और पर्यावरण अनुकूल हैं। नज़्दा खातून के साथ 150-200 महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जिन्हें वह इस कला का प्रशिक्षण देती हैं। उन्हें जीविका पुरस्कार और राज्य स्तर के पुरस्कारों से नवाजा गया है तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए भी सम्मानित किया गया है।

बिहार पवेलियन में स्टॉल लगाने वाली भोजपुर (आरा) निवासी ए‌वं महिला हस्तशिल्प उत्पादक कंपनी लिमिटेड की अध्यक्ष अनीता गुप्ता ने यूनीवार्ता को बताया कि उनके गांव की महिलाएं अपने हुनर से न सिर्फ गांव बल्कि देश और विदेशों में भी नाम कमा रही हैं।

सजनी कला और अन्य उत्पादों के माध्यमों से गरीब एवं दबे-कुचले वर्ग की महिलाओं को सशक्त बनाने वाली अनीत को 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। अनीता ने यूनीवार्ता को बताया कि उन्होंने महिलाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया है, जिसमें ज्वेलरी, सजनी (सजावट की कला), पूजा आसनी, वॉल हैंगिंग, तोरण, मूसन, और सुंदर चूड़ियां बनाना सिखाया गया है।

उन्होंने बताया कि वह वैसी महिलाओं को सशक्त बनाने का काम कर रही, जो देसी शराब बनाने जैसी बुराइयों में लिप्त है। उन्होंने बताया कि बिहार और झारखंड में उनकी कंपनी 2000 जगहों पर सिलाई का प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि उन्हें इस काम में राज्य सरकार और केंद्र सरकार सहित देश और विदेश के विभिन्न संस्थानों से सहयोग भी मिलता है। उन्होंने बताया कि उनके उत्पाद भारत के अलावा दुनिया के सात अन्य देशों में निर्यात किये जा रहे हैं।

वहीं, मधुबनी कला की पुरस्कृत कलाकार ममता देवी की पेंटिंग आगंतुकों को काफी लुभा रही है। उनके द्वारा यहां प्रदर्शित रामायण की कहानी बताती हुई पेंटिंग दर्शकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। ममता ने बताया कि उनके द्वारा बनायी गयी पेंटिंग प्रकृति के अनुकूल है। उन्होंने बताया कि पेंटिंग के अलावा समाज सेवा से जुड़ी अन्य गतिविधियां (जैसे कोरोना काल के दौरान लोगों को मुफ्त में मास्क बांटना) भी चलाती हैं। उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग में मुख्य रूप से रामायण-महाभारत और शादी-विवाह से जुड़ी गतिविधियों की पेंटिंग की जाती हैं। उन्होंने बताया कि मधुबनी पेटिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ओर से भरपूर सहयोग किया जा रहा है।

वहीं, मधुबनी के जीतवारपुर निवासी एवं मधुबनी पेंटिंग के चित्रकार इंद्र प्रकाश झा ने यूनीवार्ता को बताया कि मधुबनी पेंटिंग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भास्कर कुलकड़ी और उपेंद्र मलार्थ का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि वह पहले फोटोग्राफी का काम करते थे, लेकिन 2001 से वह पूरी तरह से मधुबनी पेंटिंग से जुड़ गए। उन्होंने बताया कि उनसे पहले उनकी दादी, मां और पत्नी इस कला से जुड़ी हुई थीं। श्री झा को मधुबनी पेंटिंग में योगदान के लिए 2017 में राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 10 करोड़ रुपये की लागत से मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए एक परियोजना शुरू की है

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