नई दिल्ली, 20 जुलाई : संसद के मानसून सत्र के पहले दिन गुरुवार को राज्यसभा में मणिपुर घटनाक्रम पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने के मुद्दे पर विपक्ष विशेष कर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्य के हंगामे के कारण कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गयी और प्रश्नकाल नहीं हो सका।
सुबह में दिवगंत सदस्यों को श्रद्धांजलि दिये जाने के बाद कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी थी। इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के सदस्यों राजमणि पटेल, डॉ़ लक्ष्मीकांत बाजपेई और श्रीमती संगीता यादव को जन्मदिन की शुभकामनायें दी। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही के लिए बनाये गये नये आठ पीठासीन उपभापतियों के नाम बताये।
इसके बाद श्री धनखड़ ने कहा कि नियम 167 के तहत कुल 12 नोटिस मिले हैं जिसमें तीन नोटिस रेलवे सुरक्षा, एक नोटिस बेरोजगारी को लेकर और आठ नोटिस मणिपुर हिंसा को लेकर मिले हैं।
इसी दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार नियम 167 के तहत मणिपुर हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है। श्री धनखड़ ने कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है और इसके लिए नोटिस भी मिले हैं तो इस पर चर्चा करायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री गोयल के साथ उनकी चर्चा हुयी थी और इसी पर सदन के नेता ने अपनी बात कही है।
इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर हिंसा मामले पर नियम 267 के तहत भी नोटिस दिये गये हैं और इस पर इसी नियम के तहत चर्चा करायी जानी चाहिए। इस नियम में आज की पूरी कार्यवाही स्थगित कर चर्चा करायी जानी चाहिए।
श्री धनखड़ ने कहा कि नियम 167 के तहत तीन मुद्दों पर एक साथ चर्चा होनी है। इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने नियम 267 का हवाला देते हुये कहा कि मणिपुर हिंसा मामले पर सिर्फ और सिर्फ नियम 267 के तहत ही चर्चा होगी और इसके तहत सभी सूचीबद्ध काम को स्थगित कर सिर्फ इसी मुद्दे पर चर्चा होगी। इस दौरान प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को सदन में रहना होगा।
इसी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्य हंगामे के साथ ही नारेबाजी करने लगे तभी सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी और प्रश्नकाल नहीं हो सका।