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भाजपा ने 22,000 वोटरों के नाम हटाने के लिए बड़ी तादाद में आवेदन जमा कराए : आप

नई दिल्ली, 11 दिसंबर: आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को भाजपा पर आगामी विधानसभा चुनावों में हार के डर से सात निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भारी मात्रा में आवेदन जमा करने का आरोप लगाया।

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के साथ यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिसोदिया ने दावा किया, “जब भाजपा अरविंद केजरीवाल को रोकने और उन्हें चुनाव में हराने में असमर्थ रही, तो अन्य तरीकों से जीतने की कोशिश कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के सदस्यों और समर्थकों ने मतदाता सूची से 22, 000 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए बड़े पैमाने पर आवेदन प्रस्तुत किए।

इन आवेदनों पर विचार कर रहा है निर्वाचन आयोग

सिसोदिया ने कहा, “यह एक चिंताजनक मुद्दा है, जो यह उजागर करता है कि किस प्रकार 22, 000 मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं – जो कि भाजपा द्वारा रची गई एक संभावित साजिश है। यह तथ्य और भी खतरनाक है कि निर्वाचन आयोग इन आवेदनों पर विचार कर रहा है। भाजपा को शायद लगा होगा कि वे इस निर्वाचन क्षेत्र में हार जाएंगे और उनके पास वहां पर्याप्त समर्थक नहीं हैं, यही वजह है कि वे मतदाताओं का नाम हटवाने की रणनीति में लगे हुए हैं।”

इस आरोप पर भाजपा की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। सात निर्वाचन क्षेत्रों के नाम सूचीबद्ध करते हुए और प्राप्त “फर्जी” आवेदनों का विवरण प्रदान करते हुए, चड्ढा ने कहा, “हमने पाया कि पार्टी से जुड़े लोगों ने मतदाताओं के नाम हटवाने के लिए अधिकतम आवेदन प्रस्तुत किए हैं।”

चुनाव से ठीक पहले इन नामों को हटाना क्यों जरूरी है?

उन्होंने कहा, “इससे यह सवाल उठता है कि चुनाव से ठीक दो महीने पहले इन नामों को हटाना क्यों जरूरी है? इतनी बड़ी संख्या में नामों को हटाने के पीछे कौन है? नियम यह है कि एक व्यक्ति एक दिन में नाम हटाने के लिए 10 से अधिक आवेदन नहीं दे सकता।” चड्ढा ने यह भी बताया कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में ‘आप’ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मिलेगा और एक ज्ञापन सौंपेगा।

भाजपा, आप पर उसके कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश और म्यांमा से आए अवैध प्रवासियों को मतदाता के रूप में शामिल करने का आरोप लगा रही है, जिससे राजनीतिक बहस तेज हो गई है। अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अवैध अप्रवासियों का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। आप लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश में है, जबकि भाजपा 25 साल बाद राजधानी में सत्ता हासिल करना चाहती है।

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