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प्रोफ़ेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की मांग

-ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच पदों को रोस्टर में शामिल करके ही विज्ञापन निकाले कॉलेज

नई दिल्ली, 20 नवंबर: दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षक संगठनों का एक मात्र संगठन दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए प्रिंसिपल पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराकर ही प्रिंसीपल पदों के विज्ञापन निकाले जाएँ। उसके बाद जिन वर्गों के प्रिंसिपल पद बनते हैं उनकी नियुक्ति की जाए। बता दें कि अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक प्रोफेसर काले कमेटी को लागू नहीं किया है। संसदीय समिति ने डीयू को निर्देश दिया था कि प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण लागू करते हुए पदों को भरा जाए। लेकिन कोई भी कॉलेज संसदीय समिति के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है। यह संसदीय समिति के नियमों की सरेआम अवहेलना है। साथ ही जिन कॉलेजों ने ओबीसी कोटे के अंतर्गत सेकेंड ट्रांच के पदों को अभी तक नहीं भरा गया है उनको भी 31दिसम्बर 2024 से पूर्व रोस्टर पास कराकर पदों को विज्ञापित कर 31 मार्च 2025 तक भरा जाए।

दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर के.पी.सिंह ने बताया है कि 31 अक्टूबर 2024 तक कॉलेजों में 4700 सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति हुई है। इसके अलावा कुछ कॉलेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया है कि अभी तक जो नियुक्तियाँ हुई हैं वहाँ कॉलेजों द्वारा निकाले गए उनके विज्ञापनों में भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के निर्देशों को सही से लागू नहीं किया गया था। उनमें शॉर्टफाल, बैकलॉग और विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रोफ़ेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए करेक्ट रोस्टर नहीं बनाया गया है, जिससे एससी, एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को जिस अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए था नहीं दिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों ने सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान के नियमों की सरेआम अवहेलना की गई है।

प्रोफेसर के.पी.सिंह ने बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्गों (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) का 10 फीसदी आरक्षण फरवरी-2019 में लागू किया गया था, जिसे विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने स्वीकार करते हुए इसको रोस्टर में शामिल भी कर लिया। कॉलेजों ने ईडब्ल्यूएस रोस्टर को फरवरी 2019 से ना बनाकर उसे एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के पहले लागू करते हुए रोस्टर बनाकर नियुक्तियाँ की हैं। इतना ही नहीं उन्होंने 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर किसी-किसी कॉलेज ने 14, 15 या 20 फीसदी तक आरक्षण दे दिया है जिससे कि एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण कम कर दिया गया और ईडब्ल्यूएस आरक्षण बढ़ाकर दिया गया है। इसी तरह पीडब्ल्यूडी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। प्रोफेसर सिंह ने यह भी मांग की है कि ओबीसी कोटे के बकाया सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने के निर्देश कॉलेजों को दिए जाएँ। उन्होंने बताया है कि ओबीसी आरक्षण लागू हुए 17 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक बहुत से कॉलेजों ने ओबीसी एक्सपेंशन से सेकेंड ट्रांच की बढ़ी हुई सीटों को रोस्टर में शामिल नहीं किया है। शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए एससी /एसटी व ओबीसी कोटे का बैकलॉग पूरा किया जाए। प्रोफेसर सिंह ने बताया है कि प्रोफेसर काले कमेटी द्वारा दी गई रिकमंडेशन के अनुसार एससी–12 पद, एसटी — 06 पद बनते हैं वहीं ओबीसी कोटे के — 22 पद बनते है लेकिन अभी तक किसी कॉलेज में आरक्षित वर्गो से प्रिंसिपल नहीं है। उन्होंने तुरंत प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए विज्ञापन निकालकर नियुक्ति की जाए।

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