नई दिल्ली, 22 जुलाई: उत्तर रेलवे ने अपनी जमीन खाली कराने के लिए दिल्ली की दो पुरानी मस्जिदों को नोटिस जारी किए हैं। बीते बुधवार को चस्पा किए गए नोटिसों में चेतावनी दी है कि 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटाया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो रेलवे खुद अतिक्रमण हटाएगा। उधर, मस्जिद कमेटियां इसके खिलाफ अदालत जाने की तैयारी कर रही हैं।
बंगाली मार्केट स्थित मस्जिद और आईटीओ स्थित तकिया बब्बर शाह मस्जिद के बाहर नोटिस चस्पा किए गए हैं। इनमें लिखा है कि जिन्होंने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है, वह अनधिकृत भवन, मंदिर, मस्जिद और मजार को सूचना मिलने के 15 दिन के भीतर अपनी इच्छा से हटा लें। ऐसा नहीं करने पर रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के तहत अवैध निर्माण को उनके द्वारा हटाया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले नुकसान के लिए रेलवे प्रशासन नहीं बल्कि अतिक्रमण करने वाले खुद जिम्मेदार होंगे।
मामला अदालत में लंबित : कमेटियां
मस्जिद कमेटियों का दावा है कि यह मस्जिदें काफी पुरानी हैं। बंगाली मार्केट स्थित मस्जिद 250 साल और तकिया बब्बर शाह मस्जिद 100 साल से ज्यादा पुरानी बताई गई हैं। वर्ष 1970 के गजट नोटिफिकेशन में भी तकिया बब्बर शाह की मस्जिद का नाम मौजूद है। इसके अलावा दिल्ली में वक्फ बोर्ड की 123 संपत्ति का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसमें यह दोनों मस्जिद भी शामिल हैं। ऐसे में रेलवे द्वारा नोटिस चिपकाना अवैध है। मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। इस मामले को लेकर वक्फ बोर्ड की तरफ से रेलवे के डीआरएम को पत्र लिखा गया है।
हस्ताक्षर न मुहर
दोनों मस्जिदों पर चिपकाए गए नोटिसों पर भी कमेटियां सवाल कर रही हैं। उनका कहना है कि नोटिस पर न तो किसी अधिकारी के हस्ताक्षर हैं और ना ही किसी की मुहर। यह केवल सादे पेज पर लिखा गया नोटिस है। आरोप है कि चोरी-छिपे इन्हें चिपकाया गया है।
कोई भी भवन हो सकता है : मुख्य प्रवक्ता
उत्तर रेलवे के मुख्य प्रवक्ता दीपक कुमार का कहना है कि रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को हटाया जाना है। इसके लिए उत्तर रेलवे की तरफ से नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जमीन खाली करने को कहा गया है। नोटिस में केवल मस्जिद हटाने की बात नहीं लिखी गई है। इसमें मंदिर, मस्जिद, मजार या कोई अन्य भवन भी अतिक्रमण में शामिल हो सकता है।
अप्रैल में भी हुई थी तोड़फोड़
बंगाली मार्केट स्थित मस्जिद में बीती 11 अप्रैल को भी तोड़फोड़ की गई थी। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा यहां पर बनाए गए दो कमरों और कुछ अन्य हिस्सों को तोड़ा गया था। एनडीएमसी ने दावा किया था कि मरम्मत के दौरान अवैध रूप से यह कमरे बनाए गए थे।