नई दिल्ली, 18 फरवरी : दिल्ली में 26 साल बाद सत्ता में वापस आई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर 8 फरवरी से ही अटकलों का दौर चल रहा है। प्रवेश वर्मा, अभय वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, रेखा गुप्ता समेत कई नामों की चर्चा चल रही है। इस बीच संभावना व्यक्त की जा रही है कि दिल्ली में भाजपा किसी दलित नेता के सिर पर ताज सजा सकती है। यदि ऐसा होता है तो रविंद्र इंद्रराज सिंह को यह मौका मिल सकता है। रविंद्र इंद्रराज सिंह ने बवाना विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। उन्होंने यहां आम आदमी पार्टी के विधायक जय भगवान उपकार को 31475 वोट के बड़े अंतर से हराया है। रविंद्र इंद्रराज अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी हैं। वह लंबे समय से दलित समुदाय के लिए काम करते रहे हैं। 50 साल के इंद्रराज पेशे से बिजनेसमैन हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं। चुनाव में उनकी ओर से दिए गए हलफनामे के मुताबिक रविंद्र के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है।
दलित और देहात दोनों सधेंगे साथ
रविंद्र इंद्रराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा एक तीर से कई निशाने साध सकती है। एक तरफ जहां देशभर में दलितों को एक संदेश दिया जा सकता है तो दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के समय से ही दलित-संविधान जैसे मुद्दों पर आक्रामक विपक्ष के हमलों को कुंद किया जा सकता है। दूसरी तरफ भाजपा दिल्ली देहात को भी खुश कर सकती है, जिसने सभी 10 सीटों पर इस बार कमल खिलाया है। बवाना के अलावा नरेला, मुंडका, रिठाना, बादली, बिजवासन, नजफगढ़, मटियाला, पालम और छतरपुर के वोटर्स ने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई है।
भाजपा का सीएम फेस था चुनावी मुद्दा
भाजपा ने 26 साल बाद दिल्ली की सत्ता पाई है। पार्टी ने तीन बार सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी को परास्त करते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि पिछले दो चुनाव में वह 3 और 8 सीटों पर ही सिमट गई थी। पिछले चुनाव में 62 सीटों पर झाड़ू चलाने वाली ‘आप’ इस बार 22 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई है। आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले भाजपा की ओर से सीएम फेस नहीं दिए जाने को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। बार-बार पूछा जाता था कि केजरीवाल के सामने भाजपा का चेहरा कौन है, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कई जगहों पर बैंड बाजे के साथ खाली घोड़े के घुमाया और पूछा था कि ‘भाजपा का दूल्हा कौन’ है।