द्वारका, नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: द्वारका में आयोजित स्वदेशी मेला 2025 इस वर्ष देश की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनकर उभरा। मेले में देश के लगभग 15 राज्यों — झारखंड, कोलकाता, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, असम, मिजोरम, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों — के प्रतिभागियों ने अपने-अपने स्टॉल लगाकर विविधता में एकता का सुंदर संदेश दिया।
मेले में मिट्टी के स्वनिर्मित दिए, कुर्ता-पजामा, साड़ियां, जैकेट, देसी भोजनालय, पौधों की नर्सरी, ज्वेलरी और राजस्थानी व साउथ इंडियन व्यंजन जैसी अनेक चीज़ें आकर्षण का केंद्र बनीं।
सातों दिन चले इस आयोजन में मीडिया जगत के उन पत्रकारों को भी मंच से सम्मानित किया गया जिन्होंने प्रतिदिन मेले की खबरों को आमजन तक पहुँचाया। साथ ही स्कूली बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुसार प्रमाण पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति रही उत्तराखंड के प्रवासी भारतीयों द्वारा मां नंदा देवी यात्रा की सांस्कृतिक झांकी, प्रस्तुति गढ़ वाली, कुमाँ ऊ एवं जान सारी भाषा अकादमी दिल्ली सरकार ने ब्रजेश नोटियाल द्वारा किया जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
सबसे प्रेरक क्षण तब आया जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने गणवेश में वाद्य यंत्रों पर प्रदर्शन कर हिंदू एकता और स्वदेशी भावना का सशक्त संदेश दिया।
विभिन्न प्रदेशों से आए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने मंच से अपनी कला का भव्य प्रदर्शन किया। संस्कृत नृत्य, लोकगीत और पारंपरिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथियों, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का सम्मान किया गया, जिन्होंने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि —
स्वदेशी मेला न केवल देश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में जनआंदोलन का रूप ले चुका है।”
यह मेला देश की विविधता, एकता और स्वदेशी गौरव का सजीव उदाहरण बन गया।