बीजिंग/नई दिल्ली, 14 जुलाई: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ मुलाकात में कहा कि भारत-चीन संबंधों का स्थिर और सामान्य रहना दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने जटिल वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच खुले विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया।

जयशंकर अपनी दो देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार सुबह सिंगापुर से बीजिंग पहुंचे। वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर में हैं। यह उनकी पहली चीन यात्रा है, जो 2020 में पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तनाव और उसके बाद दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों के बाद हो रही है।

बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा, “पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सतत सुधार देखा गया है। मुझे उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान होने वाली चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को और मजबूती देंगी।” उन्होंने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया।

जयशंकर ने कहा, “कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को भारत में व्यापक रूप से सराहा गया है। हमारे संबंधों का सामान्यीकरण दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान वैश्विक परिदृश्य अत्यंत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच खुलकर विचारों और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने यह भी कहा, “मैं इस यात्रा के दौरान ऐसी सार्थक चर्चाओं की अपेक्षा करता हूं।” गौरतलब है कि तीन सप्ताह पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के किंगदाओ शहर का दौरा किया था। वर्तमान में चीन एससीओ का अध्यक्ष है और इस भूमिका में संगठन की बैठकों की मेजबानी कर रहा है।

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