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अभिजात वर्ग को राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होना चाहिए : धनखड़

नई दिल्ली, 09 नवंबर :उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शोध और नवाचार को विकसित राष्ट्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए शनिवार को कहा कि भारत सबसे पुराना, सबसे बड़ा तथा सक्रिय लोकतंत्र है, इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र भी बनना चाहिए।

श्री धनखड़ ने यहां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा,“ शोध और नवाचार के क्षेत्र की ऊंचाई वैश्विक समुदाय के लिए हमारी क्षमता को परिभाषित करेगी। यह हमारी “सॉफ्ट डिप्लोमेसी” को नई धार देगी।”

उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से नवाचार और अनुसंधान के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करने का आग्रह किया और कॉर्पोरेट संस्थाओं से पर्याप्त योगदान के माध्यम से इस मिशन का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने देकर कहा, “व्यापार, उद्योग, व्यवसाय और वाणिज्य के संघों को वित्तीय योगदान के माध्यम से अनुसंधान और‌ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए।”

उप राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित राष्ट्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनुसंधान और नवाचार महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षा कोई वाणिज्य नहीं है। शिक्षा समाज की सेवा है। शिक्षा दायित्व है। सेवा करनी चाहिए। समाज को कुछ देना कर्तव्य है।‌ समाज को कुछ देने का सबसे अच्छा तरीका शिक्षा में निवेश करना है। उन्होंने कहा, ” शिक्षा में निवेश मानव संसाधन में निवेश है, वर्तमान में निवेश है, हमारे भविष्य में निवेश है। शिक्षा के माध्यम से ही हम हजारों सदियों के अपने गौरवशाली अतीत को जान पाते हैं।”

श्री धनखड़ ने कहा,” हमारे अभिजात वर्ग के लिए अभिजात वर्ग बनने का समय आ गया है। मैं उनसे अपील करता हूँ -एक योग्य अभिजात वर्ग बनने के लिए आपको राष्ट्रवाद के जोश से प्रेरित होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत, सबसे पुराना, सबसे बड़ा और क्रियाशील लोकतंत्र है, जिसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र भी होना चाहिए।

एक शक्तिशाली भारत वैश्विक सद्भाव, शांति और खुशी का आश्वासन होगा।

उप राष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का आह्वान करते हुए कहा कि इसके लिए राष्ट्रवाद के प्रति पूरी तरह से अडिग प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। राष्ट्रीय हित को पक्षपातपूर्ण या अन्य हितों से ऊपर रखा जाना चाहिए। उन्होंने आर्थिक राष्ट्रवाद की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और जोर दिया कि व्यापार के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद को प्रमुख चिंता का विषय होना चाहिए।

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