नई दिल्ली, 07 फरवरी : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान को उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन की एक जांच और उन्हें समन दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की बुधवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूति रजनीश भटनागर की पीठ ने याचिका वापस लिए जाने पर इसे खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के खिलाफ धन शोधन की जांच दिल्ली वक्फ बोर्ड में भर्ती में कथित अनियमितताओं से जुड़ी है।
ऐसा आरोप है कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद पर काम करते हुए नियमों और सरकारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 32 लोगों की अवैध रूप से भर्ती की थी।
ईडी ने दिल्ली विधानसभा में ओखला निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले खान के परिसरों पर छापे मारे थे। उसने दावा किया है कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध भर्ती के जरिये बड़ी मात्रा में धन अर्जित करके उसका इस्तेमाल अपने सहयोगियों के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने में किया।
ईडी ने इस मामले में खान को 30 जनवरी को उसके समक्ष पेश होने के लिए समन जारी किया था जिसके बाद खान ने पिछले सप्ताह अदालत का रुख किया था।
याचिका में खान ने समन जारी करने और सबूत मांगने के लिए प्राधिकारियों की शक्तियों से जुड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को ”पढ़ने” का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
उन्होंने वर्तमान ईसीआईआर में किसी भी जांच को इस आधार पर रद्द करने के निर्देश दिए जाने की अपील की कि अपराध की कोई भी आय मूल अनुसूची/विधेय अपराध यानी सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दिल्ली द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में शामिल नहीं है।
उन्होंने मौजूदा एनफोर्समेंट केस इनफोर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) में किसी भी जांच को इस आधार पर रद्द करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि अपराध की कोई भी आय मूल अनुसूची/विधेय अपराध यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दिल्ली द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी में शामिल नहीं है।
याचिका में एसीबी की प्राथमिकी को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया गया कि कानून एक ही कथित अपराध के संबंध में दूसरी प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगाता है।