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स्वदेशी मेला 2024: भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ स्वदेशी मेला आरम्भ
द्वारका के सीसीआरटी ग्राउंड में स्वदेशी मेला कल से शुरू, 23 अक्टूबर तक होगा मेला का आयोजन
द्वारका में 16 से 23 अक्टूबर तक होगा स्वदेशी मेला का आयोजन
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स्वदेशी मेला 2024: भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ स्वदेशी मेला आरम्भ

स्वदेशी मेला भारतीय कारीगरों और संस्कृति का महोत्सव

नई दिल्ली: स्वदेशी जागरण मंच और भारत सरकार के सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र, संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्वदेशी मेला आज, 16 अक्टूबर 2024 से द्वारका के सेक्टर-7 स्थित सीसीआरटी ग्राउंड में आरंभ हो गया है। यह मेला 23 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें देशभर के कारीगर अपनी कला और उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे।

मेले का उद्घाटन आज शाम 6 बजे भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इससे पूर्व मेले का शुभारंभ हवन और मंत्रोच्चारण के माध्यम से हिंदू धार्मिक विधियों के साथ किया गया।

आज के इस मेले में सायं कालीन समय विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का मंच से आयोजन किया गया,मेला ग्राउंड में विभिन्न राज्यों से आने वाली आने वाली स्टालों में कपड़े की स्टाल एवं साथ-साथ खाने पीने की वस्तुओं का विक्रय रहा इस अवसर पर भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण करने के उपरांत दीप प्रज्वल करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप मे दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन बलराम पाणी,. सी सी आर टी के निदेशक डॉ विनोद इंदु कर, व सतीश चावला, जितेंद्र गुप्ता, डॉ मंजीत,गोविंद अग्रवाल , रुद्रपाल सिंह, बृजेश आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रजूलित किया , सभी अतिथियों का स्वागत मेला कमेंटी के रविंद्र सोलंकी ,बृजभूषण आर्य रामनिवास , यगेश सैनी, प्रमोद सिंह, ब्रजेश नोटियाल,रविंद्र अग्रवाल आदि ने किया

 

मेले के मीडिया प्रभारी नीलेंदु पाठक ने बताया कि यह मेला पिछले 10 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है, और इस वर्ष मेले में शिल्पकारों और कुटीर उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन देने पर जोर दिया गया है। इस मेले का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा देना है।

इस आठ दिवसीय मेले में देश के विभिन्न प्रांतों से आए शिल्पकार अपने हाथों से निर्मित वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, जूट से बनी सामग्री, गोबर से निर्मित दीपक, और अन्य स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बार, आयोजन समिति ने यह सुनिश्चित किया है कि मेले में प्रदर्शित सभी वस्तुएं स्वदेशी और पारंपरिक तकनीकों से निर्मित होंगी, जिससे न केवल भारतीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि स्वदेशी संस्कृति का भी प्रचार-प्रसार होगा।

इसके अतिरिक्त, मेले में विशेष संस्कृति कार्यक्रम और स्कूल विद्यार्थियों की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं, जिससे युवाओं में भारतीय संस्कृति और हस्तकला के प्रति जागरूकता फैलेगी। इस वर्ष मेले में नवीनतम तकनीकी प्रयोग से स्टार्टअप और स्वरोजगार योजनाओं पर भी चर्चा होगी, जिसमें कार्यशालाओं के माध्यम से संवाद स्थापित किया जाएगा।

मेले में स्वदेशी भारतीय व्यंजन, हस्तनिर्मित परिधान, और शिल्पकारों द्वारा तैयार की गई अनूठी वस्तुओं के स्टॉल प्रमुख आकर्षण होंगे। नीलेंदु पाठक के अनुसार, इस वर्ष मेले के आयोजन को लेकर आम जनता और शिल्पकारों के बीच जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

इस मेले में आए कारीगर न केवल अपने उत्पादों का विपणन करेंगे, बल्कि वे स्वदेशी तकनीक और कारीगरी के महत्व को भी प्रदर्शित करेंगे, जिससे भारतीय संस्कृति और विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा। मेले का उद्देश्य छोटे और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सके और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सकारात्मक योगदान हो।

स्वदेशी मेला का आयोजन न केवल कारीगरों के लिए आर्थिक अवसरों का सृजन करेगा, बल्कि देशवासियों को भी भारतीय कला, संस्कृति और स्वदेशी वस्तुओं की ओर आकर्षित करेगा। इस प्रकार के आयोजन भारतीय समाज के आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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