नई दिल्ली, 14 जुलाई (संवाददाता परमहंस) : भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित “वन नेशन, वन इलेक्शन” योजना को देशभर में एक ऐतिहासिक और सुधारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस पहल के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चुनावों पर होने वाला भारी खर्च कम होगा और प्रशासनिक मशीनरी पर पड़ने वाला दबाव भी घटेगा। एक अनुमान के अनुसार, बार-बार होने वाले चुनावों की तुलना में यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो सरकार ₹10,000 करोड़ से अधिक की बचत कर सकती है। इसके अतिरिक्त, बार-बार आचार संहिता लागू होने से नीति-निर्माण प्रक्रिया प्रभावित होती है। एक साथ चुनाव से सरकारें नीतिगत निर्णयों को अधिक सुचारू रूप से लागू कर सकेंगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा, “बार-बार चुनाव से देश की विकास प्रक्रिया बाधित होती है। यह पहल लोकतंत्र को मजबूत बनाएगी।” “वन नेशन, वन इलेक्शन: क्या यह लोकतांत्रिक विविधता को नुकसान पहुंचाएगा?” जहाँ एक ओर सरकार “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लोकतंत्र के लिए सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दलों और कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि भारत जैसे विविध और संघीय ढांचे वाले देश में एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है। हर राज्य की अपनी राजनीतिक स्थिति, समस्याएं और प्राथमिकताएं होती हैं, और एक ही समय पर चुनाव होने से क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय विमर्श हावी हो सकता है। इसके अलावा, कई दलों ने इसे संविधान की आत्मा के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि अगर किसी राज्य सरकार की अवधि खत्म होने से पहले वह गिर जाए, तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? या उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? इन सवालों का कोई स्पष्ट समाधान अभी सामने नहीं आया है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना है, न कि लोकतंत्र को मजबूत करना
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात में विकास के मुद्दों पर की चर्चा
नई दिल्ली, 14 जुलाई : मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने सोमवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिष्टाचार मुलाकात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने दोनों नेताओं की मुलाकात की तस्वीरें एक्स पर साझा करते हुए यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ राज्य के प्रमुख विकास मुद्दों और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने मिज़ोरम की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता, सड़कों और कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और शिक्षा प्रणाली के सशक्तिकरण जैसी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य में चल रही विभिन्न केंद्रीय योजनाओं की प्रगति से भी अवगत कराया और उनके सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र से सहयोग की मांग की। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि मिज़ोरम की सीमा सुरक्षा और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ सहयोग को और मज़बूत किया जाए। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें केंद्र की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने मिज़ोरम को भारत के उत्तर-पूर्व में एक रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य बताया और कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
जयशंकर ने चीन से संबंधों को ‘सामान्य’ बनाये रखने का आग्रह किया
बीजिंग/नई दिल्ली, 14 जुलाई: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ मुलाकात में कहा कि भारत-चीन संबंधों का स्थिर और सामान्य रहना दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने जटिल वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच खुले विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया। जयशंकर अपनी दो देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार सुबह सिंगापुर से बीजिंग पहुंचे। वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर में हैं। यह उनकी पहली चीन यात्रा है, जो 2020 में पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तनाव और उसके बाद दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों के बाद हो रही है। बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा, “पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सतत सुधार देखा गया है। मुझे उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान होने वाली चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को और मजबूती देंगी।” उन्होंने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा, “कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को भारत में व्यापक रूप से सराहा गया है। हमारे संबंधों का सामान्यीकरण दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान वैश्विक परिदृश्य अत्यंत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच खुलकर विचारों और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा, “मैं इस यात्रा के दौरान ऐसी सार्थक चर्चाओं की अपेक्षा करता हूं।” गौरतलब है कि तीन सप्ताह पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के किंगदाओ शहर का दौरा किया था। वर्तमान में चीन एससीओ का अध्यक्ष है और इस भूमिका में संगठन की बैठकों की मेजबानी कर रहा है।
निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर सरकार का जोर: मोदी
नई दिल्ली, 12 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विनिर्माण क्षेत्र को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा है कि सरकार निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी जोर दे रही है। श्री मोदी ने शनिवार को यहां वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से रोजगार मेले में 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद यह बात कही। इन युवाओं को सरकार के विभिन्न विभागों और संगठनों में नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण क्षेत्र को देश की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा, “आज भारत की एक बहुत बड़ी ताकत हमारा मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर है। मैन्युफेक्चरिंग में बहुत बड़ी संख्या में नई जॉब्स बन रही हैं। मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर को गति देने के लिए इस वर्ष के बजट में मिशन मैन्युफेक्चरिंग की घोषणा की गई है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सरकार निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर अच्छा खासा जोर दे रही है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है। हाल ही में सरकार ने एक नई स्कीम रोजगार प्रोत्साहन योजना को मंज़ूरी दी है।” लोकतंत्र और युवा आबादी को भारत की असीमित शक्ति बताते हुए श्री मोदी ने कहा, “आज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोजगार मेलों के माध्यम से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिल चुकी है। अब ये नौजवान…राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ।आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियाँ हैं। एक डेमोग्राफी, दूसरी डेमोक्रेसी। यानि सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र।” उन्होंने कहा कि स्टार्टअप और अनुसंधान का एक सिस्टम मिलकर युवाओं का सशक्तिकरण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “स्टार्ट अप्स, इनोवेशन और रिसर्च का जो इकोसिस्टम आज देश में बन रहा है… वो देश के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहा है।” अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को सबसे अधिक समानता वाले देश की श्रेणी में रखा गया है। “इस रिपोर्ट में कहा गया है… बीते दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को वेलफेयर स्कीम्स के दायरे में लाया गया है।आज वर्ल्ड बैंक जैसी बड़ी वैश्विक संस्थाएं भारत की प्रशंसा कर रही हैं। भारत को दुनिया के सबसे अधिक समानता वाले शीर्ष के देशों में रखा जा रहा है।” श्री मोदी ने कहा कि है इस तरह के रोजगार मेले युवा शक्ति को सशक्त बनाने तथा विकसित भारत का माध्यम बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं ।
गुजरात पुल हादसे को लेकर कांग्रेस का हमला-सरकार की लापरवाही से जा रही लोगों की जान
नई दिल्ली, 10 जुलाई : गुजरात में महिसागर नदी पर वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाली पुल के टूटने से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। बुधवार को हुए इस हादसे को लेकर कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने इसे सरकारी लापरवाही का नतीजा बताया। मेवाणी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में कई दुर्घटनाएं हुई, जिनके पीछे सरकारी अनदेखी और भ्रष्ट तंत्र की भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जिस गंभीरा पुल के गिरने से यह हादसा हुआ, उसके बारे में लंबे समय से स्थानीय लोग और कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने पुल के जर्जर होने को लेकर सरकार को दो बार पत्र लिखकर चेताया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
बिहार मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण : चुनाव आयोग ने याचिकाओं पर जताई आपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को बिहार में जारी मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मामले में सुनवाई हुई। कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई (एम) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, चुनाव आयोग ने याचिकाओं पर आपत्ति जताई और कहा कि चुनाव आयोग का सीधे मतदाताओं से रिलेशन है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग की तरफ से पक्ष रखा, जबकि कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची को संशोधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं एक ऐसे मुद्दे को उठाती हैं, जो ‘लोकतंत्र की जड़ों’ को प्रभावित करता है, जिसमें वोट देने का अधिकार शामिल है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि यह मुद्दा लोकतंत्र की जड़ों से जुड़ा है, वोट का अधिकार।” उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता न केवल चुनाव आयोग के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) की शक्ति को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय पर भी सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, चुनाव आयोग का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट से इस स्तर पर एसआईआर प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “संशोधन प्रक्रिया पूरी होने दें, फिर पूरी तस्वीर देखी जा सकती है।” इस पर बेंच ने कहा कि एक बार मतदाता सूची संशोधित होकर विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी, तो “कोई भी कोर्ट इसे नहीं छुएगा।” याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी याचिकाओं पर नहीं जाएंगे। हम मूल कानूनी सवालों पर बात करेंगे। सबसे पहले एडीआर की तरफ से वकील गोपाल शंकर नारायण ने दलील रखी। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि मतदाता गहन पुनरीक्षण में 11 दस्तावेजों को अनिवार्य किया गया है। यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। एसआईआर का फैसला न तो आरपी एक्ट में है और न ही इलेक्शन रूल में है। आयोग कहता है कि एक जनवरी 2003 के बाद मतदाता सूची में नाम लिखवाने वालों को अब दस्तावेज देने होंगे। यह भेदभावपूर्ण है। नारायण ने कहा, “1 जुलाई 2025 को 18 साल की उम्र वाले नागरिक वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। वोटर लिस्ट की समरी, यानी समीक्षा हर साल नियमित रूप से होती है। इस बार की भी हो चुकी है। लिहाजा अब इसे करने की जरूरत नहीं है।” इस पर जस्टिस धूलिया ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप ये नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वो कर नहीं सकता है। चुनाव आयोग तारीख तय कर रहा है, इसमें आपको आपत्ति क्या है? आप तर्कों के माध्यम से साबित करें कि आयोग सही नहीं कर रहा है। सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग इसको पूरे देश में लागू करना चाहता है और इसकी शुरुआत बिहार से कर रहा है।” इसके जवाब में जस्टिस धूलिया ने कहा, “चुनाव आयोग वही कर रहा है, जो संविधान में दिया गया है, तो आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए?” गोपाल शंकर नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग वह कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए। यहां कई स्तरों पर उल्लंघन हो रहा है। यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है। मैं आपको दिखाऊंगा कि उन्होंने किस तरह के सुरक्षा उपाय दिए हैं। दिशानिर्देशों में कुछ ऐसे वर्गों का उल्लेख है, जिन्हें इस रिविजन प्रक्रिया के दायरे में नहीं लाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया का कानून में कोई आधार नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या चुनाव आयोग जो सघन परीक्षण कर रहा है, वो नियमों में है या नहीं, और ये सघन परीक्षण कब किया जा सकता है? जस्टिस धूलिया ने कहा, “आप ये बताइए कि ये आयोग के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं।” वकील गोपाल नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।” जस्टिस धूलिया ने कहा, “इसका मतलब है कि आप अधिकार क्षेत्र को नहीं बल्कि सघन परीक्षण करने के तरीके को चुनौती दे रहे हैं।” चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में 11 दस्तावेजों को मांगे जाने की वजह बताई। ईसी ने कहा, “जिन 11 दस्तावेजों को मांगा गया है, उनके पीछे एक उद्देश्य है। आधार कार्ड को आधार कार्ड एक्ट के तहत लाया गया है। 60 फीसदी लोगों ने अब तक फॉर्म भर दिया है। अब तक आधे से अधिक फॉर्म को अपलोड भी कर दिया गया है। आधार कार्ड कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। ये केवल एक पहचान पत्र है। जाति प्रमाण पत्र आधार कार्ड पर निर्भर नहीं है। आधार केवल पहचान पत्र है, उससे ज्यादा कुछ नहीं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम आयोग पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। आयोग ने साफ कह दिया है कि 11 दस्तावेजों के अलावा भी दूसरे दस्तावेज शामिल हो सकते हैं। हम मामले की सुनवाई अगस्त में करते हैं?” इस पर आयोग ने कहा, “2 अगस्त को सुनवाई कर लीजिए। ड्राफ्ट के प्रकाशन पर रोक मत लगाइए, नहीं तो पूरा प्रोसेस लेट हो जाएगा।” आयोग ने आगे कहा, “हमें प्रक्रिया पूरी करने दीजिए और फिर कोई फैसला लेंगे। नवंबर में चुनाव हैं और हमें अभी क्यों रोका जाए? आप हमें बाद में भी रोक सकते हैं।” इस पर जस्टिस बागची ने कहा, “हम चुनाव आयोग के काम में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को एसआईआर करने से रोक नहीं सकते। वो संवैधानिक संस्था है। हम मामले की सुनवाई अगस्त से पहले करेंगे। हम 28 जुलाई को मामले की सुनवाई करेंगे।
भारतीय नर्स को बचाने के लिए शीर्ष कोर्ट में याचिका
नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट यमन में एक भारतीय नर्स को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में केंद्र को राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अदालत 14 जुलाई को सुनवाई करेगा। नर्स निमिषा को हत्या के आरोप में 16 जुलाई फांसी दिए जाने की संभावना है। अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के. आर. ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची ने मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। अधिवक्ता चंद्रन ने दलील दी कि शरिया कानून के तहत मृतक परिवार को दियात के माध्यम से ‘क्षमादान पर विचार किया जा सकता है। दियात का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की ओर से पीड़ित परिवार को दिया जाता है। अधिवक्ता ने दलील दी कि अगर ‘दियात का भुगतान किया जाता है, तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है। पीठ ने वकील से याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी। याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया -इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नामक एक संगठन द्वारा दायर की गई है। केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं। भाकपा सांसद हर संभव मदद का आग्रह किया नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्यसभा सदस्य पी. संदोष कुमार ने गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगवाने के लिए हर संभव कूटनीतिक और मानवीय प्रयास किए जाएं। विदेशमंत्री हस्तक्षेप करें : महबूबा श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स को बचाने के लिए गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से हस्तक्षेप करने की मांग की। तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने लोगों से निमिषा प्रिया के लिए क्षमादान की खातिर जरूरी ‘ब्लड मनी’ जुटाने के वास्ते उदारतापूर्वक दान देने की भी अपील की।
भाजपा ने बिहार बंद को बताया विपक्ष की साजिश का हिस्सा
पटना, 09 जुलाई : पटना साहिब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार बंद को नियोजित साजिश बताया है। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथों लिया है। बीजेपी सांसद ने कहा कि ये लोग या तो अदालत पर भरोसा करें या फिर सड़कों पर प्रदर्शन करें। जब सुप्रीम कोर्ट में कल (गुरुवार को) ही सुनवाई होनी है, तो आज सड़क पर उतरकर क्या किसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश की गयी है। क्या ये चाहते हैं कि वोटर लिस्ट में ऐसे लोग बने रहें, जिन्हें उसमें होना ही नहीं चाहिए, जैसे कि घुसपैठिए। रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को पटना में पत्रकार वार्ता में कहा कि सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि देश में सांसद या विधायक कौन बनेगा? इसका फैसला वोटर करते हैं। वोट वही डाल सकता है, जो भारत का नागरिक होगा और उसकी उम्र 18 साल या उससे अधिक होगी। जो सामान्य रूप से उस स्थान का निवासी हो, जहां से वह वोट डालता है। इसलिए वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हो रहा है, तो इसमें विपक्षी दलों को किस बात की परेशानी है। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई नहीं है कि कई बार रोहिंग्या या अन्य लोग गलत तरीके से वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवा लेते हैं? जब पूरी ईमानदारी से काम हो रहा है तो आपत्ति किस बात की है? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूसरी और इन सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जो कि उनका अधिकार है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जब कल सुनवाई होनी है, तो फिर विपक्ष आज सड़क पर उतरकर दबाव बनाने की राजनीति क्यों कर रहा है ? उन्होंने कहा कि आज विपक्षी दलों ने वोटर रिवीजन के मुद्दे पर बिहार बंद बुलाया है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव सहित महाघठबंधन के सभी नेता सड़कों पर घूम रहे हैं और ये उनका अधिकार है।
पश्चिम बंगाल में प्रदर्शकारियों ने ट्रेनें रोकीं, 20 लोग गिरफ्तार
कोलकाता, 09 जुलाई : पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों और उससे संबद्ध ट्रेड यूनियनों के भारत बंद के दौरान बुधवार को ट्रेनों के परिचालन को बाधित किया गया,हिंसक घटनाएं हुयीं और 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। दस ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार पर श्रमिक-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाकर भारत बंद का आह्वान किया है, जिसका राज्य में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। बंद के कारण सार्वजनिक परिवहन में भारी व्यवधान हुआ। प्रदर्शनकारियों की कई जगहों पर पुलिस के साथ झड़पें हुयीं और कई जिलों में पुलिस ने 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। वाम मोर्चा समर्थक सुबह से ही बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए, खासकर कोलकाता और दक्षिण बंगाल के जिलों में रेलवे पटरियों को अवरुद्ध कर दिया और बाजारों तथा कार्यालयों को बंद कराने का प्रयास किया। पुलिस के अनुसार राज्य में सरकारी संपत्ति को नष्ट करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने के आरोप में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कई जगहों पर हिंसक झड़पें हुयी हैं। दक्षिण कोलकाता के जादवपुर स्थित गंगुलीबागान में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के अखिल भारतीय महासचिव सृजन भट्टाचार्य पुलिस के साथ झड़प में कथित तौर पर घायल हो गए। पार्टी सूत्रों के अनुसार, श्री भट्टाचार्य को प्रदर्शन स्थल से घसीटकर ले जाया गया और हाथापाई में उनकी कमीज़ फट गयी। बाद में उन्होंने पुलिस पर उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को खुश करने के लिए बंद को विफल करने की कोशिश करने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की आलोचना की। गौरतलब है कि तृणमूल ने बंद का विरोध किया है। राज्य सरकार ने पहले एक अधिसूचना जारी करके सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति अनिवार्य कर दी थी और सभी स्कूलों को खुले रखने का आदेश दिया था। उत्तर 24 परगना जिले के बेलघरिया और बैरकपुर, नदिया जिले के कृष्णानगर और जादवपुर सहित कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइनों को अवरुद्ध किया, जिससे ट्रेनें रुक गईं और व्यस्त कार्यालय समय के दौरान काफी देरी हुई। तारकेश्वर के तालपुर जंक्शन पर भी इसी तरह की गड़बड़ी की खबर मिली, जहाँ वामपंथी कार्यकर्ताओं ने आरामबाग जाने वाली लोकल ट्रेन को रोक दिया। दक्षिण दिनाजपुर के बुनियादपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता मजीदुर रहमान को बंशीहारी थाने के प्रभारी अधिकारी ने धरना प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद तनाव बढ़ गया। बाद में श्री रहमान को हिरासत में ले लिया गया, जिसके कारण अशांति फैल गयी। वामपंथी नेताओं ने इस कृत्य को ‘सत्ता का घोर दुरुपयोग’ करार दिया और राज्यव्यापी बड़े आंदोलन की धमकी दी। भारत बंद में 25 करोड़ श्रमिक शामिल हुए हैं। ट्रेड यूनियनों ने मूल्य वृद्धि, श्रम अधिकारों का हनन और ग्रामीण रोजगार के अवसरों में गिरावट सहित लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को बंद का आह्वान किया है। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की महासचिव अमरजीत कौर ने मीडिया से कहा,“हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार हमारी 17-सूत्री मांगों को लगातार नज़रअंदाज़ कर रही है। पिछले एक दशक में एक भी वार्षिक श्रमिक सम्मेलन नहीं हुआ है।”
महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी मतों की चोरी की कोशिश हो रही है : राहुल गांधी
पटना, 09 जुलाई: बिहार में मतदाता पुनरीक्षण और ट्रेड यूनियन के हड़ताल के समर्थन में आईएनडीआई गठबंधन के आज बिहार बंद का असर रेल और सड़क यातायात पर पड़ा है। राजधानी पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक साथ सड़कों पर उतर कर विरोध मार्च में हिस्सा लिया। पटना में राहुल गांधी ने बंद समर्थकों को संबोधित किया। इस दौरान उनके हाथ में संविधान की किताब थी। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, बिहार में वोट की चोरी की कोशिश हो रही है। मैं बिहार की जनता को कह रहा हूं कि महाराष्ट्र का चुनाव चोरी किया गया था। वैसे ही बिहार का चुनाव चोरी करने की कोशिश की जा रही है। गरीबों का वोट छीनने का यह तरीका है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि आपको जो करना है करिए, मगर बाद में कानून आप पर लागू होगा। भूलिए मत आप कितने भी बड़े हों, कहीं भी बैठे हों, कानून आपको नहीं छोड़ेगा। आपका काम हिन्दुस्तान के संविधान की रक्षा करने का है। आपका काम बिहार की जनता के दिल के अंदर जो हो उसको पूरा करने का है। राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में वोट की चोरी की गई है। हमलोग इलेक्शन कमिश्नर से जाकर मिले थे। मैंने उनसे पूछा कि आपको क्या लगा? और सभी ने कहा कि चुनाव आयुक्त भाजपा जैसे बात कर रहे हैं। वो भूल रहे हैं कि वो किसी राजनीतिक पार्टी के नहीं हैं, वो हिन्दुस्तान के इलेक्शन कमिश्नर हैं और उनका काम संविधान की रक्षा करना है। इससे पहले राहुल गांधी पटना स्थित आयकर गोलंबर पर पहुंचे, जहां पहले से ही बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मौजूद थे। यहां महागठबंधन के कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा हुआ था। इसके बाद तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी जैसे महागठबंधन के दिग्गज नेता वाहन पर सवार होकर मार्च के लिए निकले।