नई दिल्ली, 20 जुलाई : कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में 3 अगस्त को बंद का एलान किया है। कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने इस संबंध में एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों और कार्यकर्ताओं से शामिल होने की अपील की गई है। पत्र में जिक्र किया गया है कि पूर्वी रीजनल ब्यूरो अपनी पार्टी कमेटियों, फौजी इकाइयों और जन संगठनों से अपील करता है कि वे हमारी पार्टी के महासचिव अमर शहीद कॉमरेड बसवराज और कॉमरेड विवेक की शहादत को याद करें, उनके क्रांतिकारी जीवन और कम्युनिस्ट आदर्शों से प्रेरणा लें और क्रांति के रास्ते पर जोश के साथ आगे बढ़ें। इसमें आगे कहा गया, “पूर्वी रीजनल ब्यूरो 20 जुलाई से 3 अगस्त 2025 तक स्मृति सभा का आयोजन कर रहा है। उसे सफल करने के लिए गांव-गांव, इलाके-इलाके में व्यापक रूप में ग्रुप मीटिंग, आम सभा व रैली का आयोजन कर स्मृति सभा को सफल करें। साथ ही 3 अगस्त 2025 को बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में एक दिवसीय बंद को सफल करें। यह बंद केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा माओवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और आदिवासी-ग्रामीण जनता पर किए जा रहे दमन के खिलाफ है।” पत्र में कॉमरेड बसवराज का भी जिक्र किया गया। इसमें कहा गया, “21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गुंडेकोट पहाड़ में पुलिस के साथ 60 घंटे के संघर्ष के बाद हमारी पार्टी के महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड बसवराज (नवाला केशव राव) अपने दल के साथ शहीद हो गए। 21 मई 2025 को भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के लिए काला दिन था।” बता दें कि 21 मई को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 27 नक्सली मारे गए थे। मारे गए नक्सलियों में 1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू भी शामिल था, जो 70 साल का था और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक गांव का रहने वाला था।
मानसून सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक शुरू, जेपी नड्डा कर रहे अध्यक्षता
नई दिल्ली, 20 जुलाई : संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले आज (20 जुलाई) सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक सुबह 11:00 बजे संसद भवन एनेक्सी के मुख्य समिति कक्ष में शुरू हुई। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में सरकार सभी राजनीतिक दलों से संसद के दोनों सदनों के सुचारु संचालन चलाने को लेकर बात कर रही है। इस सत्र में केंद्र सरकार 8 विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भाग ले रहे हैं, जहां सरकार का प्रतिनिधित्व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके कनिष्ठ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कर रहे हैं। कांग्रेस के गौरव गोगोई और जयराम रमेश, राकांपा-शरद पवार की सुप्रिया सुले, द्रमुक के टी.आर. बालू और आरपीआई (ए) नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी बैठक में शामिल हो रहे हैं। संसद का यह मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 21 बैठकें होंगी। गौरतलब है कि 12 अगस्त से 18 अगस्त के बीच कोई बैठक निर्धारित नहीं की गई है। बैठक के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गगोई ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने पहलगाम में हुई चूक और ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री मोदी से बयान की मांग की है। गगोई ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर संसद में बयान देना प्रधानमंत्री मोदी का दायित्व है। सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद आप सांसद संजय सिंह कहते हैं, मैं सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे जेपी नड्डा से अनुमति लेकर किसी अन्य महत्वपूर्ण बैठक में जा रहा हूं। मैंने अपनी पार्टी की ओर से जो मुद्दा उठाया है, वह यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने ट्रेड डील के नाम पर सीजफायर करवाया, सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। दिल्ली में झुग्गियां तोड़ी गईं और मैंने यह मुद्दा उठाया है और सरकार को इसे रोकना चाहिए। बिहार में एसआईआर की यह कवायद बंद होनी चाहिए… अगर सरकार जवाब नहीं देती है, तो हम सदन के अंदर और बाहर सवाल उठाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा चुनावों के लिए है और आप अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। इससे पहले मीडिया को संबोधित करते हुए मंत्री रिजिजू ने कहा था कि सरकार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों और लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, संसद शुरू होने वाली है। संसद में जो भी मुद्दा आएगा, हम उसे सुनेंगे। कल खरगे जी और राहुल जी के साथ मेरी बहुत अच्छी बैठक हुई। मैं अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ नियमित बैठकें करता रहता हूं। एक संसदीय मंत्री होने के नाते, सभी के साथ समन्वय बनाए रखना मेरी जिम्मेदारी है। आठ नये विधेयक पेश करेगी केंद्र सरकार केंद्र सरकार सोमवार (21 जुलाई 2025) से शुरू हो रहे मानसून सत्र में कुल आठ नये विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है जिनमें भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेषों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित एक विधेयक भी शामिल है। मानसून सत्र के लिए प्रस्तावित विधेयकों में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक शामिल है।
बिहार में राजद-कांग्रेस शासन के दौरान विकास कोसों दूर हुआ करता था : प्रधानमंत्री मोदी
मोतिहारी/नई दिल्ली, 18 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में 7,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने के बाद विपक्षी दलों राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासनकाल में विकास कोसों दूर हुआ करता था। परियोजनाओं के उद्घाटन के बाद मोतिहारी में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राजद-कांग्रेस ने कभी बिहार के गरीब लोगों की भलाई के बारे में नहीं सोचा, उल्टे उनके शासनकाल में गरीब लोग गरीब ही रहे। मोदी ने कहा कि पूर्वी भारत के समग्र विकास के लिए ‘विकसित बिहार’ जरूरी है और मोतिहारी को मुंबई की तरह विकसित बनाना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि चंपारण ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के आंदोलन को नई दिशा दी थी। उन्होंने कहा कि देश में कुल 1.5 करोड़ ‘लखपति दीदियों’ में से 20 लाख बिहार में हैं। उन्होंने कहा कि देश में युवाओं को नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजद युवाओं को रोजगार देने के बारे में सोच भी नहीं सकती और उसने नौकरी देने से पहले गरीबों की जमीन हड़प ली थी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने पूर्वी चंपारण जिले में 7,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। ये परियोजनाएं रेल, मत्स्य पालन और अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कई केंद्रीय मंत्री और अन्य लोग उपस्थित थे। चौधरी ने कहा कि जिला मुख्यालय मोतिहारी का प्रधानमंत्री का यह दौरा 2014 के बाद से उनका 53वां बिहार दौरा है।
मोदी ने बिहार में किया 5381 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास
मोतिहारी/नई दिल्ली, 18 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को बिहार में 5381 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। श्री मोदी ने मोतिहारी में आयोजित समारोह में रेल, सड़क, ग्रामीण विकास, मत्स्य पालन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों से जुड़ी 7200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने संचार और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाली कई रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया जिनमें समस्तीपुर-बछवाड़ा रेल लाइन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग शामिल है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया, जिनमें पाटलिपुत्र में वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और भटनी-छपरा ग्रामीण रेल लाइन (114 किमी) पर स्वचालित सिग्नलिंग तथा 232 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले भटनी-छपरा ग्रामीण खंड में कर्षण प्रणाली का उन्नयन करना शामिल भी है। कर्षण प्रणाली के बुनियादी ढांचे को मज़बूत और ऊर्जा दक्षता को अनुकूलित करके ट्रेनों की गति बढ़ाई जाएगी। उन्होंने लगभग 4,080 करोड़ रुपये की लागत वाली दरभंगा-नरकटियागंज रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना का भी शिलान्यास किया। इससे अधिक यात्री और मालगाड़ियों का संचालन संभव होगा और उत्तर बिहार तथा देश के बाकी हिस्सों के बीच संपर्क मज़बूत होगा। प्रधानमंत्री ने चार अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को आभासी माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वंदे भारत जैसी रफ्तार और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इन अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में पटना-नई दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस, मालदा टाऊन-गोमतीनगर, लखनऊ अमृत भारत एक्सप्रेस, दरभंगा-गोमतीनगर, लखनऊ अमृत भारत एक्सप्रेस और मोतिहारी के बापूधाम से चलकर दिल्ली के आनंद विहार जाने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस शामिल है। तेज रफ्तार वाली यह ट्रेन आधुनिक सुविधाएं लैस होगी। यह ट्रेन करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। पटना से दिल्ली के बीच का लगभग 1000 किलोमीटर का सफर मात्र 10 घंटे में पूरा करेगी। इस ट्रेन में सिर्फ जनरल और स्लीपर कोच है। इसमें एसी कोच नहीं होंगे। इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को सुविधाएं वंदे भारत ट्रेन जैसी मिलेगी। पटना से दिल्ली के बीच चलने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस करीब 12 जंक्शनों पर ठहरेगी जिनमें आरा, बक्सर, दीन दयाल उपाध्याय नगर (डीडीयू), मिर्जापुर, प्रयागराज, कानपुर सेंट्रल, इटावा जंक्शन शामिल हैं। इस ट्रेन में यात्रियों को हर सीट पर चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा रहेगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा साफ-सुथरे और हाईटेक शौचालय की व्यवस्था की गयी है। यात्रियों को अहम जानकारी देने के लिए कोच में डिजिटल बोर्ड और बेहतर रोशनी की व्यवस्था भी है। पाटलिपुत्र कोचिंग कॉम्प्लेक्स में 283 करोड़ रुपये की लागत से वंदे भारत के रखरखाव केंद्र बनेगा।यहां वंदे भारत ट्रेनों के रोजाना रखरखाव के लिए अलग-अलग प्रकार की पांच लाइनें बनायी जाएंगी। इसके निर्माण का टेंडर हो चुका है। श्री मोदी ने 53 करोड़ रुपये की लागत से तैयार समस्तीपुर-बछवारा के बीच स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, उन्होंने भटनी से छपरा (114 के एम पार्ट ऑटोमेटिक सिगनलिंग गोरखपुर कैंट्ट-छपरा ग्रामीण रे ल सेक्शन के बीच) के बीच 153 करोड़ रुपये की लागत वाली ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरुआत की।
मोदी सरकार को घेरने की रणनीति में जुटी कांग्रेस, लेकिन शशि थरुर की गैरमौजदगी बनी चर्चा का विषय
नई दिल्ली, 16 जुलाई : 21 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। विपक्ष के तेवर को देखकर लग रहा हैं कि मानसून सत्र धमाकेदार और हंगामेदार होगा। कांग्रेस ने अभी से रणनीति बना ली है। इस लेकर कांग्रेस की मंगलवार को एक अहम बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी बैठक में शामिल हुए, मगर शशि थरूर बैठक से नदारद रहे। दरअसल संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस ने पहलगाम से लेकर बिहार वोटर लिस्ट पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस ने फैसला किया कि 21 जुलाई से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान वे पहलगाम हमले के आतंकियों के बारे में अब तक पता नहीं चलने, ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान और कुछ अन्य मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में पार्टी के उपनेता प्रमोद तिवारी और महासचिव जयराम रमेश, लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश और सचेतक मणिकम टैगोर आदि नेताओं ने भाग लिया। मगर बैठक में शशि थरूर गायब रहे। अब सवाल है कि जब कांग्रेस की कोर टीम मोदी सरकार के खिलाफ रणनीति बना रही थी, तब शशि थरूर कहां गायब थे? इसका जवाब है कि थरूर देश से बाहर हैं। इसलिए आज 15 जुलाई की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। पार्टी को इसकी जानकारी दे दी गई है। बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता तिवारी ने कहा कि देश यह पूछ रहा है कि पहलगाम में 26 महिलाओं के मांग का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकी कहां हैं और अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि यह भी मुद्दा है कि अमेरिका के दबाव में ऑपरेशन सिंदूर को रोका गया।
मानसून सत्र के दौरान आठ नए विधेयक पेश करने की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली, 16 जुलाई : केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में आठ नए विधेयक को पेश करने की तैयरी में है। इसमें भू-अवशेषों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित विधेयक भी शामिल है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान दोनों सदनों की कुल 21 बैठकें होंगी। सदन की बैठकें हंगामेदार होने के आसार हैं। विपक्ष बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से युद्धविराम की घोषणा सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। सरकार द्वारा मानसून सत्र के दौरान आयकर विधेयक, 2025 भी पेश किए जाने की उम्मीद है। यह विधेयक फरवरी में लोकसभा में पेश किया गया था और इसे निचले सदन की एक प्रवर समिति को भेजा गया था। समिति ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट स्वीकार कर ली और सोमवार को इसे लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। वहीं, सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने और राज्य की अनुदान मांगों को सदन में रखने की तैयारी में है। ये हैं नए विधेयक -राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक -भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक -खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक -राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक -मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक -जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक -भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक – कराधान कानून (संशोधन) विधेयक
प्रधानमंत्री मोतिहारी में 18 जुलाई को करेंगे जनसभा, बिहार को देंगे करीब 7,200 करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात
-चंपारण की सभी 21 सीटों पर राजग गठबंधन की नजर पटना, 16 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 जुलाई यानी शुक्रवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी में एक जनसभा को सम्बोधित करेंगे। बिहार सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनसभा के दौरान पीएम मोदी सड़क, रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रामीण कल्याण सहित प्रमुख क्षेत्रों में करीब 7,196 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का अनावरण और शिलान्यास करेंगे। विकास परियोजनाओं में से 5,398 करोड़ रुपये रेलवे परियोजनाओं के लिए जाएगा, जबकि 1,173 करोड़ रुपये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 63 करोड़ रुपये की परियोजनाओं में योगदान देगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत 40,000 लाभार्थियों के खातों में सीधे 162 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। इसी योजना के तहत लगभग 12,000 लाभार्थियों को गृह प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा, ग्रामीण आजीविका को मज़बूत करने के उद्देश्य से 61,500 स्वयं सहायता समूहों को 400 करोड़ रुपये जारी किए जाने हैं। अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के साथ, बिहार में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब विपक्षी दलों की सक्रियता बढ़ रही है, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कई दौरे भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी का पिछला बिहार दौरा 20 जून को हुआ था, जब उन्होंने सीवान जिले के जसोली में एक जनसभा को संबोधित किया था। इससे पहले उन्होंने 29 मई को पटना में एक रोड शो और 30 मई को शाहाबाद में एक रैली की थी। चंपारण 21 सीटों पर दांव पूर्वी चंपारण स्थित मोतिहारी की लड़ाई भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, दोनों ज़िलों के मतदाताओं पर असर पड़ने की उम्मीद है, जहां कुल मिलाकर 21 विधानसभा सीटें हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में, राजग ने इन 21 में से 17 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाया था। पूर्वी चंपारण (12 सीटें) वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण में राजग ने 9 सीटें (8 भाजपा, 1 जदयू) जीती थीं, जबकि राजद ने महागठबंधन के लिए तीन सीटें हासिल की थीं। राजग की नज़र कल्याणपुर, सुगौली और नरकटिया सीटों पर फिर से कब्ज़ा करने पर है, जो उसने पहले खो दी थीं। पश्चिमी चंपारण (9 सीटें) राजग ने यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में 8 सीटों पर कब्जा जमाया था। (7 भाजपा, 1 जदयू), जबकि भाकपा (माले) ने पिछली बार एक सीट जीती थी। भाजपा अपने इस गढ़ चंपारण में अपनी मज़बूत पकड़ बनाना चाहती है। प्रधानमंत्री के दौरे का उद्देश्य इस आधार को और मज़बूत करना और विपक्ष के किसी भी तर्क का जवाब देना है। नीतीश फ़ैक्टर: 2015 और 2020बिहार की राजनीति को बहुत करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र ने बातचीत में कहा कि बिहार में राजनीतिक समीकरण ऐतिहासिक रूप से अनिश्चित रहे हैं, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गठबंधनों के संदर्भ में। यह यात्रा पुनर्गठित राजग के लाभों को भी उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में नीतीश राजग के साथ नहीं थे। पूर्वी चंपारण में, राजग गठबंधन ने 12 में से केवल पांच सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने सात सीटें जीतीं। भाजपा का वोट शेयर 23.5 प्रतिशत था। अगर बात 2020 के विधानसभा चुनाव की करें तो नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे। पूर्वी चंपारण में गठबंधन की सीटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। पूरे राज्य में, भाजपा का वोट शेयर 25.8 प्रतिशत और जदयू का 20.1 प्रतिशत हो गया। राजग की रणनीति सीटों में अधिकतम वृद्धि हासिल करने की है, जिसका लक्ष्य इस साल पूर्वी चंपारण की सभी 12 सीटों पर क्लीन स्वीप करना है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री का 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से बिहार की यह 53वीं यात्रा होगी।
ड्रोन और मानवरहित हवाई प्रणालियों में आत्मनिर्भरता भारत के लिए रणनीतिक रूप से अनिवार्य: सीडीएस चौहान
नई दिल्ली, 16 जुलाई: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि हाल के वैश्विक संघर्षों में यह बात सामने आई है कि कैसे ड्रोन ‘‘युद्ध की रणनीति को अपने आकार और मूल्य के अनुपात में असमान रूप बदल सकते हैं’’। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ड्रोन और काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (सी-यूएएस) (मानवरहित हवाई रोधी प्रणाली) में आत्मनिर्भरता भारत के लिए ‘‘रणनीतिक रूप से अनिवार्य’’ है। यहां ‘मानेकशॉ सेंटर’ में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखाया है कि क्यों स्वदेशी रूप से विकसित मानव रहित हवाई प्रणालियां (यूएएस) और सी-यूएएस ‘‘हमारे क्षेत्र और हमारी जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं’’। ‘यूएवी और सी-यूएएस के क्षेत्र में विदेशी ओईएम से वर्तमान में आयात किए जा रहे महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण’ विषय पर थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज’ के सहयोग से एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय (एचक्यू-आईडीएस) की मेजबानी में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि यह आयोजन हाल में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रहा है जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भी शामिल है। इस संघर्ष ने यूएवी और सी-यूएएस के सामरिक महत्व और परिचालन प्रभावशीलता को रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र में अपने मुख्य संबोधन में सीडीएस ने कहा कि ड्रोन वास्तविकता का प्रमाण हैं और हाल के संघर्षों में उनके व्यापक उपयोग ने दिखाया है कि कैसे ड्रोन युद्ध की रणनीति को अपने आकार और मूल्य के अनुपात में असमान रूप बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ड्रोन का असमान उपयोग बड़े प्लेटफॉर्म को संवेदनशील बना रहा है और सेनाओं को हवाई रणनीतिक सिद्धांत, सी-यूएएस के विकास और इसके अनुकूल युद्ध कौशलों के वैचारिक पहलुओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है।’’ सीडीएस ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान ने 10 मई को हथियार रहित ड्रोन का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उनमें से कोई भी वास्तव में भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका।’’ जनरल चौहान ने कहा, ‘‘उनमें से अधिकतर को मार गिराया गया जबकि कुछ को जस की तस अवस्था में बरामद किया गया।’’ सीडीएस ने जोर देकर कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने ‘‘हमें दिखाया है कि हमारे भूभाग और हमारी जरूरतों के लिए स्वदेशी रूप से विकसित यूएएस, सी-यूएएस क्यों महत्वपूर्ण हैं’’। आत्मनिर्भरता के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए जनरल चौहान ने कहा, ‘‘हम उन आयातित विशिष्ट तकनीकों पर निर्भर नहीं रह सकते जो हमारे आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी तकनीकों पर निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है, उत्पादन बढ़ाने की हमारी क्षमता को सीमित करती है और इसके कारण महत्वपूर्ण पुर्जों की कमी होती है।’’ इस कार्यक्रम में सैन्य अधिकारी, रक्षा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और निजी उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वदेशीकरण के लिए एक ‘‘रणनीतिक रोडमैप’’ विकसित करना है, जिसका व्यापक उद्देश्य महत्वपूर्ण यूएवी और सी-यूएएस घटकों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना है। कार्यशाला के लिए अपने संदेश में सीडीएस ने लिखा, ‘‘सुरक्षा बलों की आमने-सामने की लड़ाई के विपरीत इस तरह के परोक्ष युद्ध में तेजी के बीच यूएवी एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरे हैं। भारत जैसे राष्ट्र के लिए यूएवी और सी-यूएएस प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता न केवल एक रणनीतिक अनिवार्यता है, बल्कि यह भारत को अपनी नियति तय करने, अपने हितों की रक्षा करने और भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाने के बारे में भी है।’’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में मची हलचल
मोदी और RSS प्रमुख दोनो छोडेगे अपना पद? नई दिल्ली, 16 जुलाई (संवाददाता परमहंस): आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि नेताओं को 75 वर्ष की आयु के बाद पद छोड़ देना चाहिए। इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो इस साल सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी और भागवत दोनों 75 वर्ष की आयु में पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दोनों का जन्म वर्ष 1950 है, और वे दोनों सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी 17 सितंबर को और भागवत 11 सितंबर को इस आयु में पहुंचेंगे। विपक्ष की प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता जयराम रेशम ने ट्वीट किया, “बेचारा पुरस्कार विजेता प्रधानमंत्री! क्या घर वापसी है – विदेश से लौटने पर आरएसएस प्रमुख ने उन्हें याद दिलाया कि वह 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री भी आरएसएस प्रमुख को याद दिला सकते हैं कि वह भी 11 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!” शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “यह एक स्पष्ट संदेश है और यह स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति के लिए है जो सितंबर में अपना 75वां जन्मदिन मनाएगा। आरएसएस और भाजपा के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयानों से स्पष्ट है।” भाजपा की प्रतिक्रिया भाजपा नेताओं ने इस बयान को महत्वहीन बताते हुए कहा कि यह एक सामान्य बयान था और इसका किसी विशेष व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। राजनीतिक मायने इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, और इसे भाजपा और आरएसएस के बीच के रिश्तों में एक नए मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह बयान कितना प्रभाव डालता है संविधान क्या कहता है? भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी पद के लिए आयु सीमा के बारे में कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है। हालांकि, कुछ पदों के लिए आयु सीमा निर्धारित की गई है, जैसे कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 62 वर्ष। मोहन भागवत के बयान का महत्व मोहन भागवत के बयान को एक नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने नेताओं को समय पर पद छोड़ने की सलाह दी है। यह बयान राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए एक विचार करने योग्य विषय हो सकता है।संविधान और आयु सीमा। भारतीय संविधान में आयु सीमा के बारे में कुछ प्रावधान हैं: लोकसभा सदस्यता: लोकसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। राज्यसभा सदस्यता: राज्यसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोहन भागवत के बयान का राजनीतिक दलों और नेताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है
जिंदगी की जंग हार गई ओडिशा की छात्रा
भुवनेश्वर, 15 जुलाई : ओडिशा के बालासोर में यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय न मिलने पर आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने सोमवार रात को एम्स में दम तोड़ दिया। वह करीब 60 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझती रही। शिक्षक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से आहत छात्रा ने शनिवार को यह कदम उठाया था और वह 95 प्रतिशत तक झुलस गई थी। छात्रा को पहले बालासोर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर बेहतर उपचार के लिए भुवनेश्वर स्थित एम्स भेज दिया गया। छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि मामले में सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। इसके लिए मैंने खुद अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने ‘एक्स पर लिखा कि फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मौत हो गई। इससे मैं बेहद दुखी हूं। सरकार द्वारा सभी जिम्मेदारियों को निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। मुख्यमंत्री ने छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि सोमवार रात को एम्स में पोस्टमार्टम के बाद छात्रा का शव बालासोर जिले के उसके पैतृक गांव पलासिया भेज दिया गया। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इस मामले में पहले ही पुलिस ने मुख्य आरोपी कॉलेज के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और प्राचार्य दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा ने समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने किया बलप्रयोग छात्रा की मौत की सूचना मिलते ही बीजद और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता सोमवार देर रात एम्स परिसर के अंदर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंच गए। शव को ले जा रहे वाहन को वहां से निकालने के लिए पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा। एसटीआई टीम गठित ओडिशा पुलिस ने मामले की जांच में तेजी लाने के लिए एक त्वरित सुनवाई पहल (एसटीआई) टीम का गठन किया है। पुलिस उपमहानिरीक्षक (पूर्वी रेंज) सत्यजीत नाइक ने कहा कि एसटीआई टीम में जांचकर्ता, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अभियोजक शामिल हैं। ये मेडिकल रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य जुटाने के साथ ही फोरेंसिक विश्लेषण पर काम कर रहे हैं। ये मामले हुए दर्ज प्राचार्य और विभाग प्रमुख के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाना, आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न और पीछा करने के साथ ही महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है। सांसद ने प्राचार्य को ठहराया दोषी बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। यह घटना जिस भयावह रूप में सामने आई है, उसके लिए प्राचार्य की गंभीर लापरवाही सीधे तौर पर जिम्मेदार है। सांसद ने दावा किया कि प्राचार्य ने छात्रा से कहा था कि यौन उत्पीड़न का उसका आरोप झूठा है। प्राचार्य की इस टिप्पणी के बाद ही छात्रा ने यह कदम उठाया। बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया : पिता छात्रा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया है और मैं इसे जारी रखूंगा। मुझे पैसे या अनुग्रह राशि की जरूरत नहीं है। मुझे अपनी बेटी वापस चाहिए। क्या सरकार मुझे मेरी बच्ची वापस दे सकती है? प्रशासन की मदद करती थी छात्रा एक ग्रामीण ने कहा कि छात्रा प्राकृतिक आपदाओं, खासकर बाढ़ के दौरान सक्रिय रहती थी। बालासोर जिले के बाढ़ग्रस्त ब्लॉक बस्ता के एक ग्रामीण ने कहा कि वह बाढ़ के दौरान महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में प्रशासन की मदद करती थी। इस मौत के जिम्मेदारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।