आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में मची हलचल
मोदी और RSS प्रमुख दोनो छोडेगे अपना पद? नई दिल्ली, 16 जुलाई (संवाददाता परमहंस): आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि नेताओं को 75 वर्ष की आयु के बाद पद छोड़ देना चाहिए। इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो इस साल सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी और भागवत दोनों 75 वर्ष की आयु में पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दोनों का जन्म वर्ष 1950 है, और वे दोनों सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी 17 सितंबर को और भागवत 11 सितंबर को इस आयु में पहुंचेंगे। विपक्ष की प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता जयराम रेशम ने ट्वीट किया, “बेचारा पुरस्कार विजेता प्रधानमंत्री! क्या घर वापसी है – विदेश से लौटने पर आरएसएस प्रमुख ने उन्हें याद दिलाया कि वह 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री भी आरएसएस प्रमुख को याद दिला सकते हैं कि वह भी 11 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!” शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “यह एक स्पष्ट संदेश है और यह स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति के लिए है जो सितंबर में अपना 75वां जन्मदिन मनाएगा। आरएसएस और भाजपा के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयानों से स्पष्ट है।” भाजपा की प्रतिक्रिया भाजपा नेताओं ने इस बयान को महत्वहीन बताते हुए कहा कि यह एक सामान्य बयान था और इसका किसी विशेष व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। राजनीतिक मायने इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, और इसे भाजपा और आरएसएस के बीच के रिश्तों में एक नए मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह बयान कितना प्रभाव डालता है संविधान क्या कहता है? भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी पद के लिए आयु सीमा के बारे में कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है। हालांकि, कुछ पदों के लिए आयु सीमा निर्धारित की गई है, जैसे कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 62 वर्ष। मोहन भागवत के बयान का महत्व मोहन भागवत के बयान को एक नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने नेताओं को समय पर पद छोड़ने की सलाह दी है। यह बयान राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए एक विचार करने योग्य विषय हो सकता है।संविधान और आयु सीमा। भारतीय संविधान में आयु सीमा के बारे में कुछ प्रावधान हैं: लोकसभा सदस्यता: लोकसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। राज्यसभा सदस्यता: राज्यसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोहन भागवत के बयान का राजनीतिक दलों और नेताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है
मानहानि मुकदमा खारिज करने के लिए बांसुरी स्वराज ने दाखिल की अर्जी
नई दिल्ली, 15 जुलाई : भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने आप नेता सत्येंद्र जैन की ओर से उनके खिलाफ दायर सिविल मानहानि मुकदमे को खारिज करने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की है। बांसुरी की ओर से दाखिल अर्जी पर वरिष्ठ सिविल जज गौरव शर्मा की अदालत ने सत्येंद्र जैन को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह मामला बंसुरी स्वराज की ओर से अक्तूबर 2023 में एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कथित तौर पर आप नेता पर की गई टिप्पणियों से जुड़ा है। जैन का कहना है कि बांसुरी स्वराज ने उन्हें भ्रष्ट और धोखेबाज करार देते हुए कई झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए, जिससे उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत छवि को गहरी ठेस पहुंची। उल्लेखनीय है कि इससे पहले रोहिणी कोर्ट ने 12 नवंबर 2024 को बांसुरी स्वराज और संबंधित टीवी चैनल को नोटिस जारी किया था। जैन ने अदालत से यह भी प्रार्थना की है कि संबंधित चैनल से विवादित कंटेंट हटाने और बांसुरी स्वराज को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोका जाए। जैन ने इसके अतिरिक्त राउज एवेन्यू कोर्ट में बांसुरी स्वराज के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि की शिकायत भी दायर की थी, जिसे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था। यह आदेश वर्तमान में सेशन कोर्ट में अपील के तहत लंबित है।
डीयू के नॉर्थ कैंपस कॉलेजों में सीटों से अतिरिक्त आवंटन नहीं होंगे
-नॉर्थ कैंपस कॉलेजों में केवल भाषाओं के विषय में 50 फीसदी अतिरिक्त सीट आवंटित होगी -सांध्य कालीन कॉलेजों व जहां सीटें नहीं भरती वहां 80-100 फीसदी तक अतिरिक्त सीटों का आवंटन होगा नई दिल्ली, 15 जुलाई : दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सीटों को भरने के लिए अतिरिक्त आवंटन का फॉर्मूला इस बार नॉर्थ कैंपस पर लागू नहीं होगा। इस तरह से पहली सीट आवंटन सूची में आईपी कॉलेज को छोड़कर बाकी नॉर्थ कैंपस के कॉलेजों में अतिरिक्त सीट आवंटित नहीं होंगी। हालांकि इन कॉलेजों में केवल भाषाओं के विषय में 50 फीसदी अतिरिक्त सीट आवंटित की जाएंगी। सांध्यकालीन व जिन कॉलेजों में सीटें नहीं भरती वहां 80-100 फीसदी तक अतिरिक्त सीटों का आवंटन किया जाएगा। डीयू दाखिला डीन प्रो हनीत गांधी ने बताया, डीयू कॉलेज के प्राचार्यों के साथ बैठक के बाद यह तय किया गया है कि दक्षिणी परिसर, पश्चिमी व बाहरी दिल्ली के कॉलेजों में अलग-अलग स्तर पर अतिरिक्त सीटों का आवंटन किया जाएगा। नॉर्थ कैंपस के एसआरसीसी, हिंदू, रामजस, किरोड़ीमल, हंसराज, दौलतराम कॉलेज में अतिरिक्त सीटों का आवंटन नहीं किया जाएगा। दरअसल यहां सीटें वैसे ही भर जाती हैं। जबकि इन कॉलेजों में हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, बंगाली जैसे भाषाई कोर्सेज में 50 फीसदी अतिरिक्त आवंटित की जाएंगी। सांध्यकालीन कॉलेजों, अदिति, भगिनी निवेदिता, श्रद्धानंद समेत कॉलेजों में सामान्य, ओबीसी व ईडब्लयूएस श्रेणी के छात्रों के लिए 80 फीसदी अतिरिक्त सीटें आवंटित की जाएंगी। जबकि एससी-एसटी व पीडब्लयूडी श्रेणी में सीटों का आवंटन सौ फीसदी तक होगा। इन कॉलेजों में कई राउंड के बाद भी सीटें नहीं भर पाती हैं। वहीं राजधानी, शिवाजी, अरविंदो, देशबंधु, दयाल सिंह समेत 39 कॉलेजों में इकोनॉमिक्स, बीकॉम, अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र व इतिहास जैसे प्रोग्राम में सामान्य, ओबीसी व ईडब्लयूएस श्रेणी के लिए 20 फीसदी अतिरिक्त सीटें आवंटित होंगी। जबकि बाकी पाठ्यक्रम में सामान्य, ईडब्ल्यूएस व ओबीसी श्रेणी के लिए 30-35 फीसदी अतिरिक्त सीटों का आवंटन होगा। जबकि एससी, एसटी व पीडब्ल्यूडी श्रेणी के छात्रोंं के लिए यह आवंटन 50 फीसदी तक होगा। यहां भाषाओं के कोर्स में भी 50 प्रतिशत तक सीटें अतिरिक्त दी जाएंगी। दरअसल छात्रों के इस साल चौथे वर्ष में प्रवेश करने के कारण डीयू ने सीटों को भरने के लिए यह रणनीति अपनाने का फैसला किया है।
बिहार में तुषार गांधी के ‘अपमान’ पर भड़के तेजस्वी यादव
पटना, 15 जुलाई : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी के साथ कथित दुर्व्यवहार को लेकर निशाना साधा। तुषार गांधी राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के समर्थन में राज्य का दौरा कर रहे हैं। गांधी सोमवार को पूर्वी चंपारण जिले में थे, जहां से राष्ट्रपिता ने अपना पहला सत्याग्रह शुरू किया था। यादव ने एक वीडियो साझा किया जिसमें नीतीश कुमार सरकार के एक समर्थक द्वारा गांधी को अपशब्द कहे जा रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैं बिहार के सभी लोगों की ओर से श्री तुषार गांधी से हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं। मुझे उम्मीद है कि वह हमें माफ कर देंगे।” बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता यादव ने स्वयं को ‘महात्मा गांधी के दर्शन का अनुयायी बताया, जिनका स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, त्याग और समर्पण मुझे कृतज्ञता से भर देता है।’ बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री यादव द्वारा साझा किया गया वीडियो सबसे पहले उनकी पार्टी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि गांधी के साथ दुर्व्यवहार करने वाला व्यक्ति ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नेता है, जो स्वयं को उस जाति से संबंधित बताता है जिससे महात्मा गांधी आते हैं।” वीडियो में उस व्यक्ति को कहते हुए सुना गया, ”मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है, नीतीश सरकार भी अच्छा कर रही है। महात्मा गांधी के वंशज होकर भी इस सच्चाई को न मानने के लिए आपको शर्म आनी चाहिए।” यह घटना तुरकौली गांव में हुई थी, जो एक ऐतिहासिक ‘नीम के पेड़’ के पास स्थित है। ब्रिटिश राज के दौरान नील की खेती करने वालों को इस पेड़ से बांधकर कोड़े मारे जाते थे। यह अमानवीय प्रथा तब बंद हुई जब महात्मा गांधी ने देश में अपना पहला असहयोग आंदोलन शुरू किया। तुषार गांधी ने पंचायत भवन में आयोजित एक कार्यक्रम से पहले पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि बिहार को बदलाव की जरूरत है। राजग सत्ता में है लेकिन उसने अपने कई वादे पूरे नहीं किए हैं। महा गठबंधन एक विकल्प है, और इसलिए मैं आगामी चुनावों में विपक्षी गठबंधन का समर्थन करूंगा। हालांकि, मैं एक (सामाजिक) कार्यकर्ता था, हूं और रहूंगा और अगर महा गठबंधन सत्ता में आता है, तो मैं उससे भी उसी स्तर की जवाबदेही मांगूंगा।” गांधी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी अपनी नाराजगी जतायी। उन्होंने कहा, ”काफी पहले मैंने उनसे आग्रह किया था कि चंपारण के नाम में ‘सत्याग्रह’ जोड़ा जाए। यह बापू को एक श्रद्धांजलि होती।” गांधी के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख ”ने उस प्रस्ताव से सहमति जतायी थी, लेकिन लगता है अब भूल गए हैं – जो कि उनकी अनगिनत राजनीतिक पलटियों को देखते हुए कोई हैरानी की बात नहीं है।” पंचायत भवन से अपमानजनक ढंग से बाहर निकाले जाने के बाद गांधी ने भवन के बाहर एक छोटी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ”बापू को तो बहुत पहले मार दिया गया, लेकिन गोडसे की विचारधारा आज भी जीवित है। यही विचारधारा किसी भी असहमति की आवाज को दबाना चाहती है।” उन्होंने कहा, ”हमें नहीं पता कि बापू की सत्यनिष्ठा चुनावी राजनीति में कितनी जगह पा सकती है, जिसकी नींव अब झूठ और धोखे पर टिकी है। फिर भी हमें लड़ते रहना होगा।” इसके साथ ही भीड़ में से ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे गूंज उठे।
बिहार सरकार अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ रोजगार और रोजगार के अवसर सृजित करेगी
-कैबिनेट की बैठक में 30 प्रस्तावों पर मुहर पटना, 15 जुलाई : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अगले पांच वर्षों यानी 2030 तक रोज़गार और रोजगार के अवसर पैदा करने सहित कुल 30 निर्णय लिए गए। कैबिनेट सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि ये रोजगार और रोजगार के अवसर सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में सृजित किए जाएंगे, साथ ही सरकार से किसी भी रूप में सहायता प्राप्त करने वाली फर्मों/उद्यमियों में भी। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि बैठक में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक 12 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया, जो इस उद्देश्य के लिए सभी संभावनाओं और विकल्पों पर विचार करने के बाद सरकार को अपने सुझाव देगी। एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, कैबिनेट ने सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ उन गैर-कॉर्पोरेट करदाताओं को भी देने का निर्णय लिया, जो राज्य के निवासी हैं और जिनका व्यवसाय राज्य में पंजीकृत है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में वाणिज्य कर विभाग के प्रस्ताव बिहार व्यवसायी दुर्घटना मृत्यु अनुदान योजना, 2025 को मंजूरी दे दी गई है। इस प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार किसी व्यवसायी की दुर्घटना में मृत्यु होने पर उसके निकटतम परिजन को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी, बशर्ते व्यवसायी बिहार का निवासी हो या उसने राज्य में अपना व्यवसाय पंजीकृत कराया हो। राज्य के व्यवसायियों को लाभ पहुंचाने के अलावा, यह जीएसटी करदाताओं को भी कवर करेगा। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को एकमुश्त राशि के भुगतान के लिए 394.41 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता भी स्वीकृत की है। उन्होंने आगे कहा कि गैर-सहायता प्राप्त शिक्षा नीति को समाप्त करने के बाद, सरकार विभिन्न प्रभागों में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या के आधार पर ऐसे विद्यालयों को अनुदान देती है। पटना मेट्रो के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के रखरखाव के लिए धनराशि स्वीकृत -सिद्धार्थ ने बताया कि पटना मेट्रो रेल परियोजना के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के रखरखाव के लिए दो साल आठ महीने (अगस्त 2025 और मार्च 2028) की अवधि के लिए 179.37 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की गई है। उन्होंने आगे बताया कि यह राशि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को दी जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने तीन-कार सिंगल ट्रेनसेट मेट्रो को तीन साल की अवधि के लिए किराए पर लेने के लिए 21.15 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की। गौरतलब है कि मेट्रो ट्रेन सबसे पहले मलाही पकरी और न्यू आईएसबीटी के बीच एक एलिवेटेड सेक्शन पर प्राथमिकता वाले कॉरिडोर पर अपनी सेवा शुरू करेगी। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को 6000 रुपये का एकमुश्त मानदेय-मंत्रिमंडल ने राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्य के लिए 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और 8245 बीएलओ पर्यवेक्षकों को 6000 रुपये का एकमुश्त मानदेय देने का निर्णय लिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि इस हेतु 51.68 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। बिहार कैबिनेट की बैठक में चार डॉक्टरों को बर्खास्त करने को लेकर भी निर्णय लिया गया है। इसके तहत लखीसराय में पोस्टेड डॉक्टर कृतिका सिंह, डॉ कृति किरण, बेगूसराय में पोस्टेड डॉक्टर चंदना कुमारी और जमुई में तैनात डॉक्टर निमीषा रानी को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का फैसला लिया गया है। इन सभी को लगातार अनुपस्थित रहने की वजह से सरकारी सेवा से बर्खास्त किया गया है। पटना की ही तरह भागलपुर और मुंगेर में गंगा पर परियोजना को मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दी है। इसके तहत भागलपुर में सुल्तानगंज-भागलपुर-सबोर के बीच 40.80 किलोमीटर लंबा पथ बनेगा। इसके लिए 4,850 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं। मुंगेर जिले में भी गंगा पथ परियोजना को मंजूरी दी गई है। मुंगेर -बरियारपुर-घोरघट -सुल्तानगंज के बीच 42 किलोमीटर लंबा पथ बनेगा और इसके लिए 5,120 करोड़ रुपये की स्वीकृत दी गई । अन्य महत्वपूर्ण निर्णय-मंत्रिमंडल ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा द्वारा संचालित 46 राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों में कार्यशालाओं एवं प्रयोगशालाओं के लिए मशीनरी/उपकरण/औजार/कंप्यूटर क्रय एवं स्थापना हेतु 80 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। इसी प्रकार, राज्य के 38 राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में कार्यशालाओं एवं प्रयोगशालाओं हेतु मशीनरी/उपकरण/औजार/कंप्यूटर क्रय एवं स्थापना के लिए 90 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। कैबिनेट ने पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के विस्तार, जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण कार्य के लिए अनुमानित 7832.29 करोड़ रुपये की राशि को भी मंजूरी दी। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि इस परियोजना के मार्च 2029 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना के पूरा होने पर दरभंगा जिले के 16 और मधुबनी जिले के 20 प्रखंडों को लाभ मिलने की उम्मीद है। परियोजना का कृषि योग्य कमान क्षेत्र (कृषि योग्य कमान क्षेत्र) 2,15,672 हेक्टेयर है और वार्षिक सिंचाई क्षमता 2,91,158 हेक्टेयर है। कैबिनेट ने वित्त विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।
जिंदगी की जंग हार गई ओडिशा की छात्रा
भुवनेश्वर, 15 जुलाई : ओडिशा के बालासोर में यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय न मिलने पर आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने सोमवार रात को एम्स में दम तोड़ दिया। वह करीब 60 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझती रही। शिक्षक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से आहत छात्रा ने शनिवार को यह कदम उठाया था और वह 95 प्रतिशत तक झुलस गई थी। छात्रा को पहले बालासोर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर बेहतर उपचार के लिए भुवनेश्वर स्थित एम्स भेज दिया गया। छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि मामले में सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। इसके लिए मैंने खुद अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने ‘एक्स पर लिखा कि फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मौत हो गई। इससे मैं बेहद दुखी हूं। सरकार द्वारा सभी जिम्मेदारियों को निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। मुख्यमंत्री ने छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि सोमवार रात को एम्स में पोस्टमार्टम के बाद छात्रा का शव बालासोर जिले के उसके पैतृक गांव पलासिया भेज दिया गया। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इस मामले में पहले ही पुलिस ने मुख्य आरोपी कॉलेज के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और प्राचार्य दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा ने समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने किया बलप्रयोग छात्रा की मौत की सूचना मिलते ही बीजद और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता सोमवार देर रात एम्स परिसर के अंदर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंच गए। शव को ले जा रहे वाहन को वहां से निकालने के लिए पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा। एसटीआई टीम गठित ओडिशा पुलिस ने मामले की जांच में तेजी लाने के लिए एक त्वरित सुनवाई पहल (एसटीआई) टीम का गठन किया है। पुलिस उपमहानिरीक्षक (पूर्वी रेंज) सत्यजीत नाइक ने कहा कि एसटीआई टीम में जांचकर्ता, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अभियोजक शामिल हैं। ये मेडिकल रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य जुटाने के साथ ही फोरेंसिक विश्लेषण पर काम कर रहे हैं। ये मामले हुए दर्ज प्राचार्य और विभाग प्रमुख के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाना, आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न और पीछा करने के साथ ही महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है। सांसद ने प्राचार्य को ठहराया दोषी बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। यह घटना जिस भयावह रूप में सामने आई है, उसके लिए प्राचार्य की गंभीर लापरवाही सीधे तौर पर जिम्मेदार है। सांसद ने दावा किया कि प्राचार्य ने छात्रा से कहा था कि यौन उत्पीड़न का उसका आरोप झूठा है। प्राचार्य की इस टिप्पणी के बाद ही छात्रा ने यह कदम उठाया। बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया : पिता छात्रा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया है और मैं इसे जारी रखूंगा। मुझे पैसे या अनुग्रह राशि की जरूरत नहीं है। मुझे अपनी बेटी वापस चाहिए। क्या सरकार मुझे मेरी बच्ची वापस दे सकती है? प्रशासन की मदद करती थी छात्रा एक ग्रामीण ने कहा कि छात्रा प्राकृतिक आपदाओं, खासकर बाढ़ के दौरान सक्रिय रहती थी। बालासोर जिले के बाढ़ग्रस्त ब्लॉक बस्ता के एक ग्रामीण ने कहा कि वह बाढ़ के दौरान महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में प्रशासन की मदद करती थी। इस मौत के जिम्मेदारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
पत्रकार से यूट्यूबर बने अजीत अंजुम पर प्राथमिकी में क्या है? क्या दिखाने के कारण एफआईआर दर्ज
बेगूसराय, 15 जुलाई : बिहार के बेगूसराय जिले में यूट्यूबर और पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर सरकारी काम में बाधा डालने और बिना अनुमति सरकारी दफ्तर में घुसने का आरोप है। यह मामला बलिया थाना में दर्ज हुआ है। एफआईआर भाग संख्या 16, साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र के बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) मो. अंसारुल हक ने दर्ज करवाई है। बीएलओ ने बताया कि 12 जुलाई की सुबह करीब 9:30 बजे वे बलिया प्रखंड सभागार में बीएलओ एप से वोटर लिस्ट की जानकारी अपलोड कर रहे थे। उसी दौरान अजीत अंजुम, उनके सहयोगी और कैमरामैन बिना अनुमति अंदर घुस आए और सवाल-जवाब करने लगे। उन्होंने बीएलओ से पूछा कि बूथ पर कितने मतदाता हैं, फार्म कितनों को दिया गया, कितनों से वापस लिया गया, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कितनी है और कितनों ने फार्म के साथ दस्तावेज जमा किए हैं। बीएलओ ने बताया कि उनके बूथ पर 1020 मतदाता हैं और सभी से फार्म लेकर अपलोड किया जा चुका है। बीएलओ के अनुसार, अजीत अंजुम बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रहे थे कि मुस्लिम मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है, जबकि बीएलओ का कहना है कि यह पूरी तरह गलत आरोप है। बीएलओ ने यह भी बताया कि अजीत अंजुम और उनकी टीम करीब एक घंटे तक वहां मौजूद रही, जिससे सरकारी कामकाज में काफी परेशानी हुई। इस घटना के बाद अजीत अंजुम और उनके सहयोगियों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। आसान भाषा में समझें पूरा मामला देश के जाने-माने पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान से जुड़ी एक रिपोर्टिंग की और उसे अपने चैनल पर अपलोड किया। इसी वीडियो को लेकर बेगूसराय जिला प्रशासन ने आपत्ति जताई है और एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें अजीत अंजुम पर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया गया है। प्रशासन का कहना है कि बलिया अनुमंडल में चल रहे वोटर लिस्ट सुधार कार्य के दौरान अजीत अंजुम ने बिना अनुमति सरकारी दफ्तर में जाकर वीडियो बनाया और इसे यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर दिया। इस वीडियो में कुछ गलत जानकारियां दी गई हैं, जिससे समाज में भ्रम और तनाव फैल सकता है। इस वीडियो की पड़ताल जब एक अखबार के पत्रकार ने की, तो कुछ अहम बातें सामने आईं। वीडियो में दिखता है कि अजीत अंजुम बलिया अनुमंडल कार्यालय पहुंचते हैं और वहां कैंपस में रिपोर्टिंग करते हैं। फिर वह एक कार्यालय कक्ष में प्रवेश करते हैं, जहां कुछ महिला कर्मचारी वोटर लिस्ट से जुड़े काम कर रही होती हैं। अजीत अंजुम वहां रखे कागजों को पलटकर देखते हैं और कर्मचारियों से सवाल-जवाब करते हैं। वीडियो में यह भी दिख रहा है कि वे बीएलओ और अन्य अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस पूरे मामले को लेकर बेगूसराय में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। मंगलवार को नागरिक संवाद समिति के द्वारा विरोध मार्च निकालने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि अजीत अंजुम ने एक विशेष समुदाय को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की है, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। जिला प्रशासन ने क्या कहा? बेगूसराय जिला प्रशासन ने 13 जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें यूट्यूबर अजीत अंजुम पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक जाति विशेष को निशाना बनाकर झूठी बातें फैलाईं और लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की। प्रशासन ने बताया कि 12 जुलाई की शाम 4 बजे अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर 45 मिनट 39 सेकंड का एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में वे अपने कैमरामैन के साथ बलिया प्रखंड सभागार में चल रहे वोटर लिस्ट सुधार कार्य का वीडियो बना रहे हैं, जो बिना अनुमति के किया गया। प्रशासन का कहना है कि इस वीडियो में एक खास वर्ग के लोगों को लेकर ऐसे सवाल उठाए गए हैं, जिससे समाज में भेदभाव और तनाव फैल सकता है। वीडियो में कुछ निजी और संवेदनशील दस्तावेजों को भी दिखाया गया है। प्रशासन ने चेतावनी दी कि अगर इस वीडियो के कारण इलाके में कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अजीत अंजुम और उनके साथियों की होगी। प्रेस विज्ञप्ति में प्रशासन ने यह भी कहा कि अजीत अंजुम का यह कृत्य सरकारी काम में बाधा डालने वाला, गैरजिम्मेदार और अनुचित है। इससे धार्मिक तनाव भी फैल सकता है। प्रशासन ने यह साफ किया कि साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र (145) में वोटर लिस्ट सुधार कार्य शांतिपूर्वक और अच्छे माहौल में चल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस मतदान केंद्र के कागजात अजीत अंजुम ने वीडियो में दिखाए, वहां कुल 1104 वोटर हैं, जिनमें 1098 हिन्दू और 6 मुस्लिम हैं। अब तक वहां से 980 फॉर्म वापस लिए जा चुके हैं, और 715 फॉर्म अपलोड भी हो चुके हैं। पूरे विधानसभा क्षेत्र में 2,76,904 मतदाता हैं, जिनमें से 2,18,000 योग्य मतदाताओं के फॉर्म भरे और वापस लिए जा चुके हैं। इनमें से 2,01,897 फॉर्म यानी 72% पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं। यह काम चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार पूरी गंभीरता से और समय पर किया जा रहा है।
पटना में वकीलों ने अदालती कामकाज का बहिष्कार किया
पटना, 14 जुलाई: पटना में हुए एक अधिवक्ता की जघन्य हत्या के विरोध में वकीलों ने आज पटना सिविल कोर्ट में अदालती कामकाज का बहिष्कार किया। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर नाथ ने यहाँ बताया कि वकीलों ने अपने समुदाय के खिलाफ हो रहे आपराध की घटना को गंभीरता से लिया है और इसके विरोध में वे आज अदालती कामकाज का बहिष्कार कर रहे हैं। नाथ ने बताया कि आज सुबह बार एसोसिएशन की एक विशेष बैठक में यह निर्णय लिया गयाI उन्होंने बताया कि बैठक में उपस्थित अधिवक्ताओं ने पटना सिविल कोर्ट के वकील जितेंद्र कुमार मेहता की हत्या पर शोक व्यक्त किया। हत्या पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए अधिवक्ताओं ने घटना पर चिंता जताई। इसके बाद बार एसोसिएशन की ओर से नाथ ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सिविल कोर्ट पटना को प्रस्ताव की एक प्रति सौंपी और उनसे इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया। उल्लेखनीय है कि कल सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के अशोक राजपथ के निकट महेंद्रू मोहल्ले में कुछ हथियारबंद अपराधियों ने वकील जितेंद्र कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
पटना मेयर के बेटे की होगी गिरफ्तारी, आर्म्स एक्ट हत्या मामले में केस दर्ज
पटना, 14 जुलाई : राजधानी पटना से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है पटना मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर पर गांधी मैदान थाने में केस दर्ज किया गया है पटना पुलिस कभी भी उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिशिर के खिलाफ पिछले 2 साल में पटना के अलग-अलग थाने में आर्म्स एक्ट हत्या के प्रयास के लगभग चार मामले दर्ज हैं पटना के एसएसपी कार्तिकेय के. शर्मा ने बताया कि उनके अपराधी इतिहास को देखते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया गया। वहीं पटना के एसएसपी ने बताया कि मेयर सीता साहू से भी पूछताछ हो सकती है फिलहाल शिशिर राज्य से बाहर भागा हुआ है। गिरफ्तारी के लिए पटना पुलिस की ओर से टीम गठित की गई है कभी भी उसकी गिरफ्तारी हो सकती।
“वन नेशन, वन इलेक्शन: सुशासन और खर्च में कटौती की दिशा में बड़ा कदम” : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 14 जुलाई (संवाददाता परमहंस) : भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित “वन नेशन, वन इलेक्शन” योजना को देशभर में एक ऐतिहासिक और सुधारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस पहल के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चुनावों पर होने वाला भारी खर्च कम होगा और प्रशासनिक मशीनरी पर पड़ने वाला दबाव भी घटेगा। एक अनुमान के अनुसार, बार-बार होने वाले चुनावों की तुलना में यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो सरकार ₹10,000 करोड़ से अधिक की बचत कर सकती है। इसके अतिरिक्त, बार-बार आचार संहिता लागू होने से नीति-निर्माण प्रक्रिया प्रभावित होती है। एक साथ चुनाव से सरकारें नीतिगत निर्णयों को अधिक सुचारू रूप से लागू कर सकेंगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा, “बार-बार चुनाव से देश की विकास प्रक्रिया बाधित होती है। यह पहल लोकतंत्र को मजबूत बनाएगी।” “वन नेशन, वन इलेक्शन: क्या यह लोकतांत्रिक विविधता को नुकसान पहुंचाएगा?” जहाँ एक ओर सरकार “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लोकतंत्र के लिए सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दलों और कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि भारत जैसे विविध और संघीय ढांचे वाले देश में एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है। हर राज्य की अपनी राजनीतिक स्थिति, समस्याएं और प्राथमिकताएं होती हैं, और एक ही समय पर चुनाव होने से क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय विमर्श हावी हो सकता है। इसके अलावा, कई दलों ने इसे संविधान की आत्मा के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि अगर किसी राज्य सरकार की अवधि खत्म होने से पहले वह गिर जाए, तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? या उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? इन सवालों का कोई स्पष्ट समाधान अभी सामने नहीं आया है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना है, न कि लोकतंत्र को मजबूत करना